चकवाड़ा गांव में कल दोपहर को हुआ दंगा आज सुबह अखबारों की सुर्खियां बन गया. 6 घर जल गए. 3 बच्चों, 4 औरतों व 2 मर्दों की मौत के अलावा कुल 12 लोग घायल हो गए. कुछ लोगों को हलकीफुलकी चोटें आईं.
इत्तिफाक से पुलिस का गश्ती दल वहां पहुंच गया और दंगे पर काबू पा लिया गया. पुलिस ने 30 लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया.
गिरफ्तार हुए लोगों में नारायण भी एक था. उस ने जिंदगी में पहली बार जेल में रात काटी थी. जेल की उस बैरक में नारायण अकेला एक कोने में सहमा सा लेटा रहा. वह उन भेड़ियों के बीच चुपचाप आंखें बंद किए सोने का बहाना करता रहा. बाकी सभी जेल में मटरगश्ती कर रहे थे.
सुबह होते ही सब के साथ नारायण को भी कचहरी लाया गया. भीड़ से अलग, उदासी की चादर ओढ़े वह एक कोने में बैठ गया.
पुरानी, मटमैली सफेद धोती, आधी फटी बांहों वाली बदरंग सी बंडी, दोनों पैरों में अलगअलग रंग के जूते, बस यही उस की पोशाक थी.
कचहरी के बरामदे में फैली चिलचिलाती धूप सब को परेशान कर रही थी, पर नारायण धूप से ज्यादा अपने मन में छाए डर से परेशान था.
नारायण को इस बात का भी डर था कि अगर आज का सारा दिन कचहरी में ही लग गया तो दिनभर के कामधाम का क्या होगा. शायद आज घर वालों को भूखा ही सोना पड़ेगा.
नारायण को मालूम था कि कचहरी में एक मजिस्ट्रेट होता है, वकील होते हैं और तरहतरह के गवाह होते हैं. जेल से छूटने के लिए जमानत भी देनी पड़ती है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
- 24 प्रिंट मैगजीन
डिजिटल

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप