नीचे से ऊपर तक पानी में भीगे जोगवा को घर के भीतर घुसते देख कर सुखिया चिल्लाई, ‘‘बाहर देह पोंछ कर अंदर नहीं आ सकते थे? सीधे घर में घुस आए. यह भी नहीं सोचा कि घर का पूरा फर्श गीला हो जाएगा.’’

जोगवा को सुखिया की बात पर गुस्सा तो आया, पर उसे चुप रहने का इशारा कर के वह कोने में पड़े एक पीढ़े पर बैठ गया.

पलभर खोजी नजरों से चारों ओर देख कर जोगवा ने अपनी धोती थोड़ी ढीली की और उस की कमर में बंधा मिट्टी का लोंदा फर्श पर गिर पड़ा.

‘‘यह क्या है?’’ सुखिया ने धीमी आवाज में पूछा.

‘‘मालिक के कुएं में बालटी गिर गई थी. उसे निकालने के लिए जब मैं कुएं में उतरा, तो यह चीज हाथ लगी. मैं सब की नजरों से छिपा कर ले आया हूं,’’ जोगवा बोला.

मिट्टी के उस लोंदे को टटोल कर सुखिया ने पूछा, ‘‘पर यह है क्या?’’

जोगवा के चेहरे पर हलकी सी मुसकान फैल गई. उस ने कहा,

‘‘तुम देखोगी, तो खुशी से पागल हो जाओगी… सम झी?’’ इतना कह कर उस ने कोने में रखे घड़े के पानी से कीचड़ में लिपटी उस चीज को रगड़रगड़ कर साफ किया, तो उस के हाथ में एक पायल  झलकने लगी.

‘‘अरे सुखिया, देख यह चांदी की है. कितनी मोटी और वजनदार है. असली चांदी की लगती है,’’ जोगवा अपनी खुशी संभाल नहीं पा रहा था.

चांदी की पायल देख कर सुखिया खुशी से  झूम उठी. वह जोगवा का सिर सहलाते हुए बड़े प्यार से बोली, ‘‘क्या इस की जोड़ी नहीं थी?’’

‘‘पानी के अंदर तो लगा था कि कुछ और भी है, पर तब तक मेरा दम घुटने लगा और मैं पानी के अंदर से ऊपर आ गया,’’ जोगवा ने बताया.

सुखिया जोगवा की कमर में हाथ डाल कर बड़े प्यार से बोली, ‘‘सुनोजी, मेरा मन कहता है कि तुम इस की जोड़ी जरूर ला दोगे. देखो न, यह मेरे पैर में कितनी अच्छी लग रही है…’’ सुखिया पायल को एक पैर में पहन कर बोली, ‘‘मैं इसे पहन कर अपने मायके जाऊंगी और जो लोग तुम्हें भुक्खड़ कह कर खुश होते थे, तुम्हारा मजाक उड़ाते थे, उन्हें दिखा कर बताऊंगी कि मेरा घरवाला कंगाल नहीं है. इस से तुम्हारी इज्जत और भी बढ़ जाएगी.’’

‘‘ठीक है, मैं एक बार और कुएं में उतरूंगा. पर दिन के उजाले में नहीं, बल्कि रात के अंधेरे में… जब सारा गांव गहरी नींद में सोया होगा,’’ जोगवा बोला, तो सुखिया के होंठों पर हंसी फैल गई.

आखिरकार रात हो गई. सारा गांव सन्नाटे में डूबा हुआ था. गहरी नींद में सोए गांव को देख कर जोगवा घर से बाहर निकला. उस के पीछेपीछे सुखिया भी रस्सी ले कर निकली. दोनों धीरेधीरे मालिक के घर की ओर बढ़े.

कुएं के करीब पहुंचने पर दोनों ने पलभर रुक कर इधरउधर देखा. कहीं कुछ नहीं था. सुखिया ने कुएं में रस्सी डाल दी.

कुएं में उतरने से पहले जोगवा सुखिया से बोला कि वह रस्सी को अपनी कमर में लपेट ले, ताकि हाथ से अचानक छूटने का खतरा न रहे.

सुखिया ने वैसा ही किया. रस्सी के एक छोर को अपनी कमर से लपेट कर उस ने दोनों हाथों से उसे कस कर पकड़ लिया.

जोगवा रस्सी के सहारे धीरे-धीरे कुएं के अंधेरे में गुम हो गया. वह अथाह पानी में जोर लगा कर अंदर धंसता चला गया. कीचड़ से भरे तल को उस ने रौंद डाला. कंकड़पत्थर और न जाने क्याक्या उस के हाथ में आए, पर पायल जैसी कोई चीज हाथ न लगी.

जब जोगवा का दम घुटने लगा, तब जल्दीजल्दी हाथपैर मार कर वह पानी की सतह पर आया और कुएं का कुंडा पकड़ कर दम लेने लगा.

सुखिया को कुएं के भीतर से जोगवा के पानी के ऊपर उठने की आहट मिली, तो उस की बांछें खिल उठीं. वह रस्सी के हिलने का इंतजार करने लगी. लेकिन जब अंदर से कोई संकेत नहीं मिला, तब वह निराश हो गई.

कुछ देर दम भरने के बाद जोगवा फिर पानी में घुसा. इधर अंधेरे में कुछ दूरी पर कुत्तों के भूंकने की आवाजें सुनाई पड़ीं.

सुखिया का कलेजा कांप उठा. उस ने कुएं में  झुक कर जोगवा को आवाज लगाई, पर कुएं से उसी की आवाज लौट आई. उस का जी घबराने लगा.

तभी अचानक मालिक के मकान का दरवाजा खुला. लालटेन की धीमी रोशनी कुएं के चबूतरे पर पड़ी.

‘‘कौन है? वहां कौन खड़ा है?’’ दरवाजे के पास से कड़कदार आवाज आई.

मालिक की आवाज सुन कर सुखिया का दिल दहल उठा. उस के हाथपैर कांपने लगा.

दहशत में न जाने कैसे सुखिया की कमरे से बंधी रस्सी छूट कर हाथ में आ गई और हाथ से छूट गई. जोगवा के ऊपर आने का सहारा कुएं के अंधेरे में गुम हो गया.

मालिक लालटेन ले कर कुएं तक आए. वहां उन्हें कोई दिखाई नहीं पड़ा. इधरउधर  झांक कर वे लौट गए.

इधर जोगवा ने पानी से ऊपर आ कर जैसे ही रस्सी पकड़ कर दम लेना चाहा, तो रस्सी ऊपर से आ कर उस की देह में सांप की तरह लिपट गई.

रस्सी उस के लिए नागफांस बन गई और वह पानी में डूबनेउतराने लगा. हाथपैर मारना मुहाल हो गया. धीरेधीरे पानी में उठने वाला हिलोर शांत हो गया.

सुखिया अंधेरे में गिरतीपड़ती घर पहुंची. डर से उस का पूरा शरीर कांप रहा था. सांस धौंकनी की तरह चल रही थी. मालिक के हाथों जोगवा के पकड़े जाने के डर ने उसे रातभर सोने नहीं दिया.

पौ फटते ही मालिक के कुएं के पास भीड़ जमा हो गई. सुखिया को किसी ने आ कर जब जोगवा के डूब जाने की खबर दी, तो वह पछाड़ खा कर गिर पड़ी. गांव वालों ने जोगवा की लाश को कुएं से निकाल कर आंगन में रख दिया.

सुखिया रोतेरोते जब जोगवा की लाश के पास गई, तो उस की आंखें उस के हाथ में दबी किसी चीज पर अटक गईं. सुखिया ने जोगवा के हाथ को अपने हाथ में ले कर जब पायल की रुन झुन की आवाज सुनी, तो उस का कलेजा फट गया. उस चीज को मुट्ठी में भींच कर सुखिया दहाड़ मार कर रोने लगी. उस के लालच ने जोगवा की जान ले ली थी.

 

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