जेठ महीने का शुक्ल पक्ष. गंगा दशहरा महज 2 दिन दूर. एक महीना पहले से ही आसमान में अलगअलग रंगों की पतंगें दिखाई देने लगी थीं. मनोज इन पतंगों को आज जा कर देख पाया. अपने गांव के घर के बाहर तकरीबन साढ़े 4 बजे बैठा वह चाय पी रहा था, तभी देखा कि पीतल की विशालकाय थाली सा आसमान अपने पश्चिमी छोर पर बूंदी का एक लड्डू सजाए बैठा है.

1-1 कर के पतंगें आसमान में लड़तेलहरते अपनी हाजिरी दर्ज कराने लगीं. कितना शानदार सीन. सैकड़ों बालमन, मांझ, सद्धा, चरखी पकड़े गांव के किसी न किसी मैदान में, किसी न किसी छत से पतंग उड़ा रहे होंगे और जो कट रही होंगी, उन्हें लूटने के लिए सड़कों पर बेसुध दौड़ रहे होंगे.

सवा घंटे पहले आंधी आई थी. तब से सबकुछ उलटपलट जान पड़ता है. बाएं तरफ तने से टूटा अशोक का पेड़ अपने घुटनों में मुंह दे कर बैठा है... शायद टूट गया है या सालों से खड़ा थक गया है.

उस पेड़ के नीचे उग रही कंटीली झाड़ियों की कतार में दूध, गुटखे और कुछ दूसरे पौलीथिनों का कचरा मिट्टी से सना मानो उलझ गया है. सीधे हाथ पर भारद्वाज के घर की नेमप्लेट एक कील से लटक रही है. उन के घर के मुहाने पर अनगिनत पत्तियों का अंबार लगा हुआ है, ज्यादातर नीम की.

पत्तों से अटे दरवाजे पर एक भूरे रंग का भीगा कुत्ता बैठा है, जो मनोज के अंदाजे में आंधी के वेग से नाले में गिर गया है और अब सोच रहा है कि ऐसा हुआ कैसे? खुद को फड़फड़ा कर सुखाने के बाद भी वह कांप रहा है, किकिया रहा है और थोड़ा मायूस सा हो रहा है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन

डिजिटल

(1 महीना)
USD4USD2
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...