उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर में एक गांव है चंदनवाला, जहां पर शादाब अपने अम्मीअब्बा और एक छोटे भाई के साथ रहता था. उन की हवेली काफी बड़ी थी. वहीं नजदीक ही शादाब के चाचा अनीस भी अपने परिवार के साथ रहते थे.
दोनों परिवारों का एकदूसरे के घर में आनाजाना लगा रहता था. शादाब बिजनौर में मोबाइल फोन की दुकान चलाता था. उस की अच्छीखासी कमाई थी. एक दिन उस के लिए नंदपुर गांव की सायरा का रिश्ता आया.
सायरा गजब की खूबसूरत थी, जिसे देखते ही शादाब के अब्बा फुकरान ने उसे अपने घर की बहू बनाने का फैसला कर लिया.
कुछ ही दिनों में शादाब और सायरा का निकाह हो गया. शादी की पहली रात थी. शादाब ने जैसे ही सायरा का घूंघट उठाया, उस के मुंह से खुद ब खुद निकला, ‘‘आप गजब की खूबसूरत हैं.’’
शादाब के मुंह से अपनी तारीफ सुन कर सायरा शरमा गई और अपने चेहरे को हथेलियों से छिपाने लगी.
शादाब ने बड़े प्यार से सायरा के नाजुक हाथों को उस के चेहरे से हटाया और कहा, ‘‘मेरा चांद हो तुम, जिसे आज जीभर कर देखने दो.’’
सायरा शादी के सुर्ख जोड़े में वाकई कयामत ढा रही थी. उस के सुनहरे बाल, गोरेगोरे गाल, सुर्ख होंठ और बड़ीबड़ी आंखें शादाब को पागल बना रही थीं.
फिर उन दोनों ने एकदूसरे के आगोश में जिस्म की प्यास बुझाई. सुहागरात की उस पहली रात में ही शादाब सायरा का दीवाना बन गया और तनमन से उसे चाहने लगा.
शादी के कई महीनों तक शादाब सायरा के पास अपने घर पर रुका और उसे हर वह खुशी दी, जो एक बीवी को चाहिए.
फिर सायरा पेट से हो गई. यह सुन कर शादाब की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने सायरा का पूरी तरह खयाल रखा, पर उसे अपनी दुकान पर भी जाना था, जो कई महीने से अपने नौकर के भरोसे छोड़े हुए था.
एक दिन अब्बा ने शादाब से कहा, ‘‘बेटा, अब तू अपना काम देख. सायरा की देखभाल के लिए हम सब हैं न.’’
शादाब बिजनौर में अपनी दुकान पर चला गया. वह हर महीने घर आताजाता था, ताकि सायरा खुद को अकेला महसूस न करे.
आखिरकार वह दिन भी आ गया, जब सायरा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया, जिसे पा कर पूरे घर में खुशी का माहौल छा गया.
7वें दिन शादाब ने अपनी बेटी का अकीका बड़ी धूमधाम से मनाया. पूरे गांव को दावत में बुलाया गया और तरहतरह के लजीज खाने का इंतजाम किया गया.
शादाब के अम्मीअब्बा तो पोती पा कर झूम उठे. वे पहली बार दादादादी बने थे, इसलिए उन्होंने सायरा का बहुत खयाल रखा और प्यार दिया. शादाब कुछ दिन गांव में रुक कर अपनी दुकान पर चला गया.
सायरा की बेटी अब 7 महीने की हो गई थी, जिस से पूरे घर में खुशियां ही खुशियां दिखाई देती थीं.
गरमी के दिन थे. रात के 10 बजे थे. सायरा घर में अकेली थी. गरमी के मारे उस का बुरा हाल था. उस के सासससुर छत पर सोए हुए थे, पर सायरा गरमी की वजह से सो नहीं पा रही थी. उस ने अपने कपड़े बदल कर हलकी और ?ानी नाइटी पहन ली, जिस में उस की उभरी हुई गोरीगोरी छाती साफ दिखाई दे रही थी.
सायरा ने गरमी से बचने के लिए अपने कमरे का दरवाजा खोल रखा था और वह आराम से अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी कि तभी उसे अपने बदन पर किसी के हाथ फेरने का अहसास हुआ, जो उस के नाजुक पेट से होते हुए उस की मुलायम छाती को सहला रहा था.
सायरा की आंख खुल गई, पर उसे उन हाथों से जो मजा आ रहा था, वह चाह कर भी कुछ न बोल सकी और यों ही आंखें बंद किए पड़ी रही.
थोड़ी देर के बाद उस ने हलकी सी आंख खोल कर देखा तो पाया कि उस का चचेरा देवर नदीम उस के नाजुक अंगों को सहला रहा था.
सायरा को मजा आ रहा था. उस ने यह जानने के लिए कि नदीम उस के साथ और क्या करेगा, आंखें बंद कर के सोने का नाटक जारी रखा.
नदीम सायरा के बदन को सहलाते हुए उस की उभरी हुई छाती को अपने मुंह में ले कर चूमने लगा, तो सायरा भी मदमस्त हो गई. उस ने नदीम को अपने ऊपर खींच लिया.
नदीम अब सायरा की रजामंदी समझ कर उस पर भूखे भेडि़ए की तरह झपट पड़ा. उस ने सायरा की गरदन पर चुम्मों की ऐसी बौछार कर दी कि वह झूम उठी.
थोड़ी देर बाद नदीम ने सायरा के बदन के एकएक नाजुक अंग को चूमना शुरू कर दिया. जोश में आई सायरा नदीम को अपने ऊपर खींचने लगी.
नदीम ने बिना समय गंवाए सायरा के नाजुक बदन को मसलना शुरू कर दिया. फिर काफी देर तक नदीम सायरा के बदन को रौंदता रहा. संतुष्ट होने के बाद भी वह सायरा को अपनी बांहों में जकड़े हुए एक तरफ निढाल हो कर लेट गया.
सायरा ने नदीम से जो जिस्मानी सुख आज हासिल किया था, वह उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मर्द उसे इतनी खुशी भी दे सकता है.
सायरा और नदीम का एक बार जिस्मानी रिश्ता बना, तो अब थमने का नाम ही नहीं ले रहा था. उन्हें जब भी मौका मिलता, वे एकदूसरे से अपने बदन की प्यास बुझाते. उन्होंने कभी यह नहीं सोचा कि जब शादाब को इस का पता चलेगा, तो क्या होगा. ऐसा हुआ भी. एक दिन शादाब ने दोनों को ऐसी हालत में पकड़ा कि वे अपना जुर्म न छिपा सके.
दरअसल, शादाब अपने घर आया हुआ था. घर के सभी लोग छत पर सोए हुए थे, नीचे बस सायरा अकेली सो रही थी. रात के तकरीबन 2 बजे नदीम नीचे आया और सायरा के कमरे में घुस गया.
सायरा नदीम को देख कर उस की बांहों से लिपट गई. दोनों ने बिना समय गंवाए अपने कपड़े उतारे और एकदूसरे को चूमने लगे.
उधर छत पर शादाब की नींद खुल गई. उसे गरमी की वजह से बहुत तेज प्यास लगी थी. वह पानी पीने के लिए नीचे आ गया.
शादाब अभी नल के पास पहुंचा ही था कि उसे अपने कमरे से सायरा की सिसकियों की आवाज सुनाई दी. उस ने कमरे के भीतर झांक कर देखा तो उस का खून खौल उठा.
नदीम और सायरा अपने जिस्म की भूख मिटा रहे थे. जैसे ही उन की नजर शादाब पर पड़ी, वे हड़बड़ा कर एकदूसरे से अलग हो गए. नदीम अपने कपड़े पहन कर वहां से निकल गया और सायरा अपने किए की माफी मांगने लगी, पर शादाब कुछ न बोला. उस के जिस्म का खून मानो जम चुका था. जिसे उस ने सच्चे दिल से इतना प्यार किया, उस ने उस के ही प्यार को धोखा दे दिया.
कुछ देर बाद शादाब वहां से उठा और चुपचाप जा कर छत पर लेट गया. सुबह होते ही वह बिजनौर के लिए रवाना होने लगा, तो उस के अब्बू बोले, ‘‘तू कल ही तो आया है, फिर इतनी जल्दी क्यों जा रहा है?’’
शादाब ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया और अपना रोता हुआ चेहरा उन लोगों से छिपाते हुए अपनी दुकान पर आ गया.
सायरा समझ गई थी कि शादाब को गहरा सदमा लगा है. वह घबरा रही थी कि पता नहीं, अब क्या होगा. उस ने शादाब को कई बार फोन किया, पर शादाब ने उस का फोन नहीं उठाया.
2 महीने ऐसे ही निकल गए, पर शादाब ने न तो सायरा से बात की और न अब अपने घर वापस आया.
3 महीने बाद जब सायरा ने अपने ससुर को बताया कि शादाब उस से बात नहीं कर रहा है और न घर ही आ रहा है, तो उन्हें बड़ी हैरानी हुई.
अगले दिन वे बिजनौर के लिए रवाना हो गए और शादाब से बोले, ‘‘बेटा, ऐसा कौन सा काम आ पड़ा, जो तुम घर पर भी नहीं आ रहे हो और बहू का फोन भी नहीं उठा रहे हो?’’
शादाब बोला, ‘‘मुझे अब सायरा से तलाक चाहिए. मैं उस के साथ अब नहीं रह सकता.’’
यह सुन कर शादाब के अब्बा दंग रह गए और बोले, ‘‘बेटा, सायरा इतनी अच्छी बहू है, सब से कितना प्यार करती है, सब की देखभाल करती है. ऐसी
क्या कमी है उस में, जो तुम ऐसा बोल रहे हो?’’
शादाब ने कहा, ‘‘बस, मुझे उस के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना है. मैं उसे तलाक देना चाहता हूं.’’
शादाब के अब्बा गुस्सा करते हुए बोले, ‘‘लगता है, तुम ने किसी और औरत से रिश्ता बना लिया है, जो इतने महीनों से घर नहीं आए और इतनी प्यारी बीवी को छोड़ने की बात कर रहे हो.
‘‘यह बात ध्यान रखो कि मैं अपनी पोती के बिना नहीं रह सकता और मैं तुम्हें बहू को छोड़ने भी नहीं दूंगा. तुम जिस लड़की के लिए मेरी बहू को छोड़ने की सोच रहे हो, वह सिर्फ तुम्हारी दौलत के चक्कर में होगी.’’
शादाब ने कहा, ‘‘मैं बस सायरा के साथ नहीं रह सकता. जब तक वह वहां रहेगी, तब तक मैं घर नहीं आऊंगा.’’
शादाब के अब्बा ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, पर शादाब पर कोई असर नहीं हुआ. अब्बू ने उसे जायदाद से बेदखल करने की धमकी दी, पर वह टस से मस नहीं हुआ.
सायरा के अब्बू को जब शादाब की इस हरकत का पता चला, तो वे आगबबूला हो गए और गांव के कुछ जिम्मेदार लोगों को अपने साथ ले कर शादाब के घर आ गए और उन्हें बुराभला कहने लगे.
शादाब के अब्बू ने उन्हें समझाते हुए कहा, ‘‘हम तो यही चाहते हैं कि हमारी बहू हमारे साथ रहे, पर शादाब को पता नहीं किस औरत का भूत सवार है, जो वह सायरा को रखने के लिए तैयार ही नहीं.’’
सायरा के अब्बू बोले, ‘‘ठीक है, मैं अपनी बेटी को ले जा रहा हूं. तुम कल आ कर पंचायत में मिलना और शादाब को भी साथ लाना. जब फैसला करना है, तो शादाब का होना भी जरूरी है.’’
अगले दिन शादाब भी आ गया. उस के अब्बा शादाब को ले कर उस की सुसराल पहुंचे. वहां बैठे पंचों में से एक ने शादाब से पूछा, ‘‘तुम सायरा को क्यों छोड़ना चाहते हो?’’
शादाब बोला, ‘‘मुझे इस के साथ नहीं रहना. बस, मैं इसे तलाक देना चाहता हूं.’’
दूसरे पंच ने पूछा, ‘‘अगर तुम सायरा को छोड़ोगे, तो उस मासूम बच्ची का क्या होगा? वह किस के पास रहेगी? कौन उस की जिम्मेदारी उठाएगा?’’
शादाब बोला, ‘‘जिसे आप ठीक सम?ा, बच्ची उस के पास ही रहेगी.’’
तीसरे पंच ने कहा, ‘‘बच्ची को तो मां ही अच्छी तरह पाल सकती है.’’
शादाब बोला, ‘‘जैसी आप सब की मरजी.’’
यह सुनते ही शादाब के अब्बा रोने लगे और बोले, ‘‘क्यों किसी बाजारू औरत के चक्कर में अपना घर बरबाद कर रहा है और अपने खून को ही क्यों किसी को दे रहा है… कल को सायरा शादी करेगी तो बच्ची भी उस के साथ जाएगी. क्या तुझे अच्छा लगेगा कि हमारा खून किसी और के पास जाए?’’
शादाब कुछ न बोला. वह बस सायरा को तलाक देने पर अड़ा रहा. उस ने सायरा की कोई गलती भी नहीं बताई कि वह उसे क्यों छोड़ना चाहता है.
पहले वाले पंच ने शादाब से पूछा, ‘‘ठीक है, हम तुम दोनों का तलाक करा देते हैं, पर तुम सायरा की कोई ऐसी गलती तो बताओ, जो तुम उसे छोड़ना चाहते हो?’’
शादाब बोला, ‘‘वह मेरी बीवी है. मैं उस की बुराई नहीं कर सकता. बस, मैं उस के साथ रहना नहीं चाहता.’’
दूसरे पंच ने पूछा, ‘‘क्या तलाक होने के बाद तुम उस की गलती बताओगे?’’
शादाब ने कहा, ‘‘तलाक के बाद जब वह मेरी बीवी ही नहीं रहेगी, तो मुझे उस की गलती से क्या मतलब, जो मैं उस की बुराई करूं.’’
एक पंच ने कहा, ‘‘इस का मतलब तो यही है कि तुम ने सायरा की जिंदगी से खेला है. उस के साथ इतना समय गुजार कर उसे तनहा छोड़ दिया.
सारी गलती तुम्हारी है, इसलिए तुम्हें 12 लाख रुपए सायरा को देने पड़ेंगे, ताकि वह अपनी और अपनी बच्ची की जिंदगी सही ढंग से गुजार सके और उसे किसी के आगे हाथ न फैलाने पड़ें.’’
शादाब ने कहा, ‘‘मुझे मंजूर है.’’
अगले ही दिन शादाब ने 12 लाख रुपए अदा किए और सायरा से छुटकारा पा लिया. इस तरह वह सब की नजरों में तो बुरा बन गया, पर उस ने सायरा के राज को एक राज रखा कि किस तरह उस ने उस के प्यार को धोखा दे कर नदीम के साथ नाजायज रिश्ता रखा था.