पहली सुर्खी-

-अमेरिका, ब्रिटेन, चीन कई देशों में ओमिक्रान वायरस फैलता चला जा रहा है.

दूसरी सुर्खी-

भारत में भी कहीं-कहीं ओमिक्रान वायरस फैल रहा है अलर्ट जारी.

तीसरी सुर्खी – भारत में भी स्वास्थ्य विभाग ओमिक्रान

वायरस पर पैनी निगाह रखे हुए हैं रात का कर्फ्यू का राज्यों को सुझाव.

कोरोना की दो लहरें  हमारे देश और सारी दुनिया ने देखी हैं. जिसका डर था अपना स्वरूप बदल कर के कोरोना ने  के रूप में दुनिया को हलाकान शुरू कर दिया है. सारी दुनिया के चेहरे पर चिंता की  लकीरें स्पष्ट देखी जा सकती है. ऐसे में भारत में सब कुछ वैसा ही चल रहा है जैसा कि सामान्य दिनों में. हाल ही में विवाह उत्सव संपन्न हुए हैं उनमें ना तो किसी प्रोटोकॉल का पालन किया  गया और नहीं कहीं समझदारी दिखाई दी. यही नहीं केंद्र और राज्य सरकारें भी पूरी तरीके से आंख मूंदे हुए दिखाई दी. लोगों में जो एक जागरूकता मास्क को लेकर की होनी चाहिए वह भी कहीं दिखाई नहीं दी. यहां तक कि हमारे राजनेता सरकार में बैठे हुए नुमाइंदे प्रशासन में बैठे हुए अधिकारियों से जो सूझबूझ और जागरूकता की अपेक्षा थी वह भी कहीं नजर नहीं आई. ऐसे में यह सवाल आज फिर उठ खड़ा हुआ है कि कोरोना की भयंकर विभीषिका देखने के बाद भी अगर हमारे राजनेता सत्ता में बैठे हुए लोग अगर उदासीन हैं तो फिर दोषी कौन है.

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आज हम इस रिपोर्ट में यह महत्वपूर्ण मसला आपके समक्ष रख रहे हैं केंद्र हो या राज्य सरकारें कोरोना के मामले में क्या आप उन्हें समझदारी का परिचय देते हुए देखते हैं. क्या आपको एहसास है की सरकारी आखिर क्यों कुंभकरण निद्रा में सोए हुए हैं. और अगर कोरोना का यह दूसरा रूप ओमिक्रान

क्या गुल खिलाने जा रहा है और अगर अब इससे जन हानि होती है तो क्या  सरकार राज्य सरकारें और हमारे नेता जो निठल्ले बैठे हुए हैं दोषी नहीं माने जाएंगे.

देखते हुए भी आंखें बंद

आपको याद होगा कि जब कोरोना की पहली लहर आई थी प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने सब कुछ अपने हाथों में ले लिया और एक छत्र निर्णय लिया करते थे. सबसे पहले उन्होंने ही टेलीविजन पर आकर के अचानक ही लॉकडाउन का धमाका कर दिया था और सारे देश में हंगामा  बरपा हो गया था. दूसरी दफा जब आए तो खूब तालियां बजवाई दिए जलवाए. मगर उसके बाद जो हाहाकार मचा वह इतिहास में दर्ज हो चुका है.

हमारे देश में यही सबसे बड़ी खामी है कि हम लोग सब कुछ ईश्वर को छोड़ देते हैं, भाग्य पर छोड़ देते हैं और शुतुरमुर्ग की तरह अपना सर छुपा लेते हैं. हकीकत को नजरअंदाज करने के कारण भारत ने हमेशा बहुत ही तकलीफ है और कष्ट झेले हैं. आज लोकतांत्रिक सरकार होने के बावजूद आज के आधुनिक युग में भी विज्ञान और जागरूकता को दरकिनार करते हुए हम शुतुरमुर्ग ही बने हुए हैं . कोरोना का बहु रुप ओमिक्रान धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैलता  चला जा रहा है. भारत की तैयारियों की बात करें तो देखते हैं कि सिर्फ बयानबाजी हो रही है. हम नजर रखे हुए हैं, हम राज्यों को सलाह दे रहे हैं, हम नाइट कर्फ्यू की बात कर रहे हैं. हम जमीनी हकीकत से बहुत दूर है हमें अपनी हॉस्पिटलों को जिस तरीके से तैयार करना चाहिए नहीं कर रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली से लेकर के किसी तहसील और गांव स्तर पर देखें तो कहीं भी कोई तैयारी हमें दिखाई नहीं देती. सिर्फ लोग इंतजार कर रहे हैं कि  ओमिक्रान चला आए और तब हम जागेंगे तब लोगों का इलाज करने का असफल प्रयास करेंगे और बाद में कहेंगे कि हमने बहुत कुछ किया.

दरअसल, सरकार में बैठे हुए हमारे निठल्ले नेता सिर्फ उद्घाटन और भूमि पूजन करने में पारंगत हैं. आज स्वास्थ्य सेवाओं को जिस तरीके से चुस्त-दुरुस्त करने का समय है उससे मुंह मोड़ा जा रहा है रात का कर्फ्यू लगा करके हमारे नेता हमारी सरकार क्या दिखाना चाहती है?

क्या ओमिक्रान वायरस रात को निकलता है? सरकार की सारी कवायद हंसी का पात्र है लोग अपने इन दिग्गदर्शक नेताओं पर हंसते हैं. कहते हैं धन्य हैं हमारे भाग्य विधाता!

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स्वास्थ्य इमरजेंसी अलर्ट क्यों नहीं

सीधी सी बात है- जब दुनिया भर में इस नए वायरस के आतंक से लोग परेशान हैं, लोग मर रहे हैं चर्चा का विषय बना हुआ है तो हमारे देश की सरकारी आंखें आंखें बंद करके क्यों सोई हुई है. क्यों नहीं देश में स्वास्थ्य हेल्थ इमरजेंसी अलर्ट कर दिया जाता. जिस तरीके से युद्ध के समय में देशभर में एक अलर्ट जारी कर दिया जाता है पूरी व्यवस्था देश की सुरक्षा में लग जाती है ऐसे में सब देखते समझते हुए भी स्वास्थ्य अलर्ट जारी नहीं करना अपने आप में एक गंभीर सवाल खड़ा करता है.  चाहिए कि देश का हर एक हॉस्पिटल इसके लिए तैयार किया जाए वहां बेड हो, गैस हो, वहां इस वायरस से मुकाबला करने के लिए सब कुछ सामान मेडिकल का उपलब्ध रहे. ताकि किसी की भी मृत्यु ना हो उसे इलाज मिल जाए. हमारे यहां नेता और सरकार प्रशासनिक अमला जानबूझकर के मानो अनदेखी कर रहा है और जब गांव गांव में घर घर में यह वायरस अपना आतंक दिखाना शुरू करेगा तब हक्का-बक्का यह शासन सिर्फ मीडिया में विज्ञापन जारी करना और बयान देने का काम करेगा.

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