लाख टके का सवाल यह है कि जब हम किसी विदेशी को अपना प्रधानमंत्री बनते नहीं देख सकते जैसा कि श्रीमती सोनिया गांधी के प्रकरण में हुआ था, मगर आज हम गाल क्यों बजा रहे है कि ब्रिटेन का प्रधानमंत्री एक भारतीय मूल का व्यक्ति बनने जा रहा है.

आखिर इसके आगे और पीछे का सच क्या है. क्या परिस्थितियां होंगी अगर ऋषि सुनक ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बन जाएंगे जो कि पद के बिल्कुल करीब पहुंच चुके हैं. निसंदेह भारत में उस दिन राष्ट्रवादी ढोल बजाएंगे और सारा देश तो दीपावली मनाएंगा ही . जब यह समाचार सुर्खियों में है वहीं भारतवासी की निगाह ब्रिटेन की राजनीति पर टिकी हुई है और वह मन ही मन प्रार्थना कर रहा है कि ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बन जाएं. यह स्वाभाविक भी है हर एक भारतवासी या किसी भी देश का नागरिक चाहेगा कि उसके देश का कोई भी नागरिक हर एक क्षेत्र में ऊंचाइयां छुए, ऐसे में ऋषि सुनक की सफलता से हर देशवासी गौरवान्वित होगा . इससे भारत को क्या लाभ होगा यह तो आने वाला भविष्य बताएगा. मगर दुनिया के इतिहास में यह एक ऐसी अप्रतिम घटना होगी जिसकी मिसाल दुनिया के लोकतंत्र में शायद ही मिले.इसके अपने लाभ भी हैं और हानियां भी मगर मानवता की दृष्टि से देखें तो यह घटना दुनिया के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएगी. जब एक दूसरे देश का व्यक्ति किसी दूसरे देश वह भी महान राष्ट्र ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनेगा.

दरअसल, जो राजनीतिक घटनाक्रम घटित हो रहा है उसमें
भारतीय मूल के ब्रिटिश राजनेता ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के एक कदम और करीब हो गए हैं. ऐसे में भारत और दुनिया भर की निगाह ब्रिटेन की राजनीति पर टिकी हुई गई है.
लंदन में कंजरवेटिव पार्टी की वोटिंग में ऋषि सुनक एक बार फिर सबसे ज्यादा वोट लेकर लगातार दूसरी बार टॉप पर आ गए हैं. दूसरे राउंड की इस वोटिंग में ऋषि सुनक को 101 वोट मिले हैं. अब ब्रिटेन के पीएम पद की रेस में 5 उम्मीदवार रह गए हैं. गुरुवार 14 जुलाई को ब्रिटिश संसद के 358 सांसदों ने पीएम पद के 6 कैंडिडेट के लिए अपना वोट डाला. इन 6 उम्मीदवारों में ऋषि सुनक, पेन्नी मॉर्डान्ट, लिड ट्रॉस, केमी बेडेनोक, टॉम ट्जैन्ट और भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन शामिल थे. इस नतीजे के बाद भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन इस रेस से बाहर हो गई हैं. सुएला ब्रेवरमैन को दूसरे राउंड की वोटिंग में मात्र 27 वोट मिले हैं. गुरुवार की वोटिंग में पेन्नी मॉर्डान्ट को 83, लिज ट्रास को 64, केमी बेडेनोक को 49 और टॉम टुजैन्ट को 32 वोट मिले हैं.

सोनिया गांधी का समय काल

याद कीजिए 2004 का वह समय . जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को बहुमत मिला था. कांग्रेस बड़ी पार्टी बनकर सामने आई और श्रीमती सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने के रास्ते खुल गए.
उस समय राष्ट्रवाद की कट्टर प्रति बद्ध करके भाजपा और उसकी एक नेता सुषमा स्वराज ने बड़ा हंगामा मचाया. सुषमा ने तो कह दिया कि वह अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बन गई तो वह सफेद कपड़े पहनेंगी और चने खाकर के अपना जीवन यापन करेंगी. माहौल देश का वितरित होता देख कांग्रेस पार्टी की नेता सोनिया गांधी ने समझदारी का परिचय दिया और प्रधानमंत्री पद हेतु डॉ मनमोहन सिंह को आगे कर दिया.

घटनाक्रम को हम इस परिप्रेक्ष्य में देखें कि आज दुनिया में ब्रिटेन एक नजीर पेश करने जा रहा है वह ब्रिटेन जिसकी हुकूमत भारत में लगभग 100 सालों तक चली, जिन अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बना करके शोषण किया लोगों को फांसी पर चढ़ा दिया उसी ब्रिटेन में आज लोकतंत्र की जो खूबसूरती दिखाई दे रही है उससे भारत खुश भी है और आश्चर्यचकित भी ही क्या ऐसा भी हो सकता है.

जी हां! ब्रिटेन में जो कुछ ऐतिहासिक होने जा रहा है हो सकता है जल्द ही एक खुशखबरी आ जाए कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक बन गए हैं. मगर इसके साथ ही यह भारत और दुनिया भर के लिए सबक होगा और चिंतन करने का एक जिसे भी हम विशाल हृदय बने हम ब्रिटेन के रास्ते पर चलकर अगर कोई भारत का हो गया है भारत में ही जन्मा है यहां पला बड़ा है तो वह देश के ऊंचे से ऊंचे पद पर निर्वाचित हो सकता है ऐसा हममें विशाल हृदय होना चाहिए और सोच भी होनी चाहिए.

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