मियांबीवी के ?झगड़े आम हैं पर कभीकभार हत्या में भी तबदील हो जाते हैं. दिल्ली में एक मेकैनिक का घर बेचने को ले कर हो रहे ?झगड़े में मर्द ने औरत पर किसी तेज चीज से हमला कर दिया और शायद यह एहसास होने पर कि कुछ गलत हो गया है, उस ने खुद को भी घायल कर लिया. दोनों की अपने बड़े बच्चों के सामने मौत हो गई.

कुएं में कूद जाऊंगी, आग लगा लूंगी, जहर पी लूंगा, घर छोड़ कर भाग जाऊंगा जैसे बोल अकसर मियांबीवी के ?झगड़ों में ?ाल्ला कर बोले जाते हैं. मर्द और औरत में कौन सही है, कौन गलत, इस का फैसला नहीं होता. ?झगड़ा तो किस की चलेगी पर होता है. पहले हमेशा मर्दों की चलती रही है पर अब औरतें भी बराबर होने लगी हैं.

यह बात दूसरी है कि आम आदमी को पट्टी पढ़ाई जाती है कि औरत पैर की जूती है, वहीं रखो. यही सीख जो मांबाप देते हैं, पंडेपादरी देते हैं, समाज देता है, रिश्तेदार देते हैं, ?झगड़ों को मारपीट की हद तक ले जाते हैं.

जिस भी बात पर 2 जनों की राय एक न हो वहां कौन सही है, कौन गलत का पूरा फैसला कभी नहीं हो सकता. हर मामले के कई पहलू होते हैं और हरेक अपनी समझ  से अपना मन बनाता है. अच्छे पतिपत्नी वे होते हैं जो एकदूसरे की पूरी तरह सुनते हैं और बिना अकड़ लाए तय करते हैं कि क्या सही है, क्या गलत है. अगर पतिपत्नी में से कोई तीसरे से चिपक भी रहा है तो मरनामारना कोई तरीका नहीं है. आज किसी को मार कर उस की लाश को निबटाना आसान नहीं है. अगर बच्चे हों तो मारने वाला भी जेल में रहता है तो बच्चों की देखभालके लिए कोई बचता नहीं. तीसरे के साथ जुड़ाव होने पर घर से अलग होना सब से सही है.

हमारे समाज में पतिपत्नी के ?झगडे़ मारपीट में इसलिए ज्यादा तबदील होते हैं कि यहां शादी को तोड़ना आसान नहीं है. अगर ?झगड़े के बाद आदमी या औरत कुछ दिन अपना अकेले का घर बना सकते हों तो उन्हें जल्दी ही एहसास हो जाए कि वजह कुछ भी रही हो, वे एकदूसरे के बिना अधूरे हैं. इस के लिए जरूरी है कि मर्द और औरत हमेशा बाहर काम करते रहें और अपने पैरों पर खड़े हों.

दूसरी जरूरत यह हो कि कानून यह मजबूर करे कि कोई मकान मालिक अकेले आदमी या अकेली औरत को मकान किराए पर देने से मना न करेगा. चाहे मकान बड़ा हो या छोटी खोली, आजकल अकेलों को घर मिलना मुश्किल होता जा रहा है.

मुश्किल यह है कि सरकारें तो धर्म, हिंदूमुसलिम, मूर्तियों, नारों में इतनी लगी हैं कि समाज की सब से बड़ी जरूरत, घर, सुखी घर, पर उन का कोई ध्यान नहीं है.

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