दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में रहने वाली 24 साल की प्रतिभा एक बड़ी कंपनी में इंफौर्मेशन टैक्नोलौजी डिपार्टमैंट के सपोर्ट सिस्टम में काम करती थी. वह अपने काम में माहिर थी. उस का पूरा परिवार इलाहाबाद में रहता था, बस यहां पश्चिम विहार में उस का 18 साल का छोटा भाई राघव साथ में रहता था. राघव का कालेज में पहला साल था और वह मैट्रो से कालेज आताजाता था.

प्रतिभा के घर वाले उस के लिए लड़का ढूंढ़ रहे थे, लेकिन वह अपने औफिस के एक लड़के दीपक को पसंद करती थी. दोनों में खूब जमती थी और वे डेट पर भी जाते थे.

प्रतिभा का औफिस ओखला में था और वह मैट्रो से आनाजाना करती थी. 10 से 6 बजे का औफिस था. सुबह 8 बजे घर से निकलना और रात के 8 बजे तक घर वापसी.

एक दिन प्रतिभा औफिस के काम में मगन थी. सोमवार था शायद. दोपहर के 12 बजे उस के मोबाइल फोन की घंटी बजी. ह्वाट्सएप काल थी. अनजान नंबर होने के बावजूद प्रतिभा ने वह काल पिक कर ली, ‘‘हैलो…’’

सामने से एक रोबीली मर्दाना आवाज आई, ‘आप प्रतिभा बोल रही हैं?’

‘‘जी कहिए, क्या काम है?’’ प्रतिभा ने कहा.

‘काम तो ऐसा है मैडमजी कि आप के छोटे भाई ने बहुत बड़ा कांड कर दिया है,’ उस आवाज ने यह कह कर अचानक बम सा फोड़ दिया.

‘‘मतलब…?’’ राघव का खयाल आते ही प्रतिभा के तनबदन में डर की ?ार?ारी सी फैल गई.

‘मतलब, राघव ने तगड़ा क्लेश कर दिया है और वह अभी पुलिस हिरासत में है,’ उस रोबीली आवाज की सख्ती धीरेधीरे बढ़ने लगी थी.

‘‘क्या बकवास कर रहे हैं आप? राघव तो अभी कालेज में होगा,’’ अपना सारा डर दबाते हुए प्रतिभा बोली. पर तब तक उस के माथे पर पसीना आ गया था.

‘तेरा भाई कालेज में ड्रग्स लेते पकड़ा गया है. पैडलर है वह. ड्रग्स की स्मगलिंग भी करता है,’ इतना सुनते ही प्रतिभा को मानो लकवा सा मार गया.

‘और सुन, मैं बोल रहा हूं स्पैशल पुलिस विंग का इंस्पैक्टर. हमारा काम ही ऐसे स्लीपर पैडलर को पकड़ना है. अब तो वह लंबे समय के लिए गया जेल में,’ उस आदमी की आवाज मानो और भी कड़क होती जा रही थी.

प्रतिभा की अब तक घिग्घी बंध चुकी थी. उस के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था. उसे लगा कि जैसे वह किसी गहरे अंधे कुएं में गिर गई है और कोई उस पर मिट्टी डाल रहा है. उसे चक्कर सा आ गया.

इतने में प्रतिभा के साथ वाली सीट पर बैठी सुधा को शक हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है. उस ने प्रतिभा का हाथ पकड़ कर झिड़का. हाथ एकदम ठंडा पड़ा हुआ था. प्रतिभा जैसे नींद से जागी और उसे अहसास हुआ कि वह तो औफिस में बैठी है.

प्रतिभा ने तुरंत मोबाइल फोन पर हाथ रखा और सुधा को इग्नोर करते हुए वाशरूम की तरफ बढ़ गई. सुधा ने इशारे से दीपक को बुलाया.

दीपक उस कंपनी में कंप्यूटर इंजीनियर था और जैसे ही उस ने सुधा से प्रतिभा के बारे में सुना, तो वह दबे पैर प्रतिभा के पीछे गया.

‘‘आप मेरे भाई से बात कराइए,’’ प्रतिभा उस फोन करने वाले से कह रही थी.

थोड़ी देर तक दूसरी तरफ से आवाज नहीं आई, तो प्रतिभा ने कहा, ‘‘हैलो…’’

‘दीदी, प्लीज मुझे बचा लो. मैं आगे से ऐसा काम नहीं करूंगा. दीदी, इन्होंने मुझे बहुत मारा. मेरा हाथ तोड़ दिया है. पुलिस वाले अंकल को किसी भी तरह मना लो. मेरा कैरियर खत्म हो जाएगा. प्लीज दीदी…’ इतना कहते ही आवाज आनी बंद हो गई.

यह तो राघव की आवाज थी. प्रतिभा के दिल में तेज चुभन सी हुई और उस के पैर लड़खड़ा गए.

‘‘प्रतिभा, सब ठीक है न?’’ पीछे खड़े दीपक ने उसे संभालने की कोशिश की.

प्रतिभा एकदम से गरजी, ‘‘तुम यहां क्या कर रहे हो? दफा हो जाओ. मैं ठीक हूं…’’

दीपक ने बहुत कोशिश की कि प्रतिभा उसे फोन पकड़ा दे, पर वह नाकाम रहा और वहां से चला गया.

‘हां जी मैडम, फिर क्या विचार है आप का? इस लड़के को छोड़ दें या बना दें कोई पक्का केस?’ फोन पर आवाज आई.

‘‘आप को क्या चाहिए?’’ प्रतिभा गिड़गिड़ाई.

‘‘जी, वैसे तो हम पुलिस वाले रिश्वत लेने में विश्वास नहीं करते हैं, पर आप के भाई ने कांड ही इतना बड़ा कर दिया कि बिना पैसे लिए छोड़ नहीं सकते. ऐसा करो, आप 50,000 रुपए हमारे खाते में डलवा दो और अपने भाई को छुड़वा लो.’

प्रतिभा ने आव देखा न ताव और तुरंत उस आदमी द्वारा बताए गए एक खाते में 20,000 रुपए ट्रांसफर कर दिए.

‘‘देखो, मैं ने पैसे भेज दिए हैं. अब आप मेरे भाई को छोड़ दो…’’ प्रतिभा अपनी बात पूरी कर पाती, इस से पहले ही फोन कट गया.

प्रतिभा हैरान रह गई. उस ने दोबारा वही नंबर मिलाया, पर नहीं लगा. वह सम?ा गई कि उस के साथ कोई धोखाधड़ी हुई है. हालांकि, उस ने 20,000 रुपए ट्रांसफर कर दिए थे, फिर भी उस ने मोबाइल एसएमएस पर चैक किया. 20,000 रुपए का चूना लग चुका था. फिर उस ने यह सोच कर तसल्ली कर ली कि चलो, भाई तो महफूज है.

प्रतिभा सीट पर आई ही थी कि दोबारा उसी आदमी का फोन आ गया, ‘मैडम, यह आप ने क्या कर दिया. सिर्फ 20,000 रुपए ही भेजे हैं. अब तो हमारे बड़े साहब नाराज हो गए हैं. वे बोल रहे हैं कि ड्रग्स का मामला है, कम से कम 2 लाख रुपए और लगेंगे.’

प्रतिभा बोली, ‘‘आप मु?ो थोड़ा समय दें. मु?ो इतने सारे रुपए जमा करने में 2 घंटे से ज्यादा का समय लगेगा.’’

उधर से आवाज आई, ‘जल्दी कर जो करना है…’ और फोन कट गया.

प्रतिभा को रोते देख कर आसपास का स्टाफ वहां जमा हो गया. थोड़ी देर के बाद प्रतिभा ने बताया कि पिछले 15 मिनट में उस की जिंदगी में कितना बड़ा तूफान तबाही मचा कर गया है.

सब लोग हैरान थे कि अगर राघव अपने कालेज में था, तो फिर वह आवाज किस की थी, जिसे राघव सम?ा लिया गया? साइबर क्राइम का यह कैसा घिनौना रूप है, जो आप को पैसे के साथसाथ दिमागी तौर पर भी तोड़ देता है?

दीपक ने कहा, ‘‘आजकल मोबाइल फोन पर लोगों को इस तरह ?ाठ के जाल में बरगलाया जाता है कि अच्छाभला पढ़ालिखा इनसान भी गच्चा खा जाता है.

‘‘इसे एक सच्ची खबर से सम?ाते हैं. हाल ही में मुंबई में रहने वाले एक सीनियर सिटीजन के पास कनाडा से एक फोन आया. यहां ठग ने पीडि़त शख्स से कहा कि मैं आप के बेटे का दोस्त बोल रहा हूं. उस ने हूबहू बेटे के दोस्त की आवाज में बात की थी. इसी के साथ ठग ने

3 लाख रुपए की चपत लगा दी.

‘‘यह 2 मार्च, 2024 का मामला है. पुलिस ने बताया कि 63 साल के शिकायत करने वाले आदमी की

2 बेटियां और एक बेटा है. तीनों विदेश में रहते हैं. 2 मार्च को उन के पास एक अनजान नंबर से ह्वाट्सएप पर वौइस काल आई.

‘‘काल करने वाले ने अपना नाम विकास गुप्ता बताया. चूंकि पीडि़त विकास गुप्ता को बचपन

से जानते थे और काल करने वाले की आवाज विकास गुप्ता से मिलतीजुलती थी, इसलिए पीडि़त ने उस आवाज पर भरोसा कर लिया.

‘‘इस के बाद फोन करने वाला यह कहते हुए रोने लगा कि वह मुसीबत में है और उसे तुरंत पैसों की जरूरत है. इस के बाद पीडि़त ने काल करने वाले के खाते में 2 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए और अपने

2 दोस्तों से भी 50-50 हजार रुपए और ट्रांसफर करवा दिए.

‘‘जब जालसाज ने फिर से पैसों की मांग की तो पीडि़त को शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है. उस ने काल करने वाले को वीडियो काल किया, जिस का जवाब नहीं दिया गया, तब पुष्टि हुई कि उन के साथ धोखाधड़ी हुई है.’’

दीपक की बात सुन कर सब हैरान रह गए. फिर एक लड़की सुरभि ने दूसरी खबर का हवाला देते हुए कहा, ‘‘सर, यह तो एकदम ताजा मामला है. साइबर ठगों ने एआई डीपफेक की मदद से आईआईटी से इंजीनियरिंग कर रहे छात्र की आवाज में उस की मां को ह्वाट्सएप काल कर 40,000 रुपए हड़प लिए.

‘‘आईआईटी कानपुर में पढ़ रहे इंजीनियरिंग के एक छात्र उत्कर्ष सिंह ने बताया कि बीती 3 अप्रैल को किसी अनजान शख्स ने उन की मां सरिता देवी को ह्वाट्सएप काल की. किसी पुलिस वाले की डीपी लगे नंबर से काल करने वाले ने खुद को पुलिस वाला बताते हुए कहा कि उन के बेटे को दुष्कर्म व हत्या के मामले में पकड़ा गया है.

‘‘इतना ही नहीं, यकीन दिलाने के लिए शातिरों ने आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस (एआई) से बेटे की आवाज में एक संदेश भी सुनाया, जिस में बेटा खुद को बचा लेने की गुहार लगा रहा था. उस ने कहा कि मेरे दोस्तों ने मु?ो फंसा दिया है, मु?ो बचा लीजिए.

‘‘बेटे की आवाज सुनाई देने पर तुरंत मां ने बताए गए बैंक खाते में 40,000 रुपए ट्रांसफर कर दिए. हालांकि, जब रुपए देने के बाद मांबेटे की आपस में बात हुई, तो इस साइबर ठगी का पता चला.’’

‘‘पर, यह हूबहू आवाज कैसे मिला दी जाती है?’’ किसी ने सवाल किया.

दीपक ने बताया, ‘‘जहां तक मैं जानता हूं, आजकल बहुत से ऐसे वौइस इंजन टूल हैं, जो सिर्फ छोटे से औडियो से ही क्लोन वौइस जैनरेट करने की ताकत रखते हैं. इस के साथ ही ये कई भाषाओं में काम कर सकते हैं.

‘‘इतना ही नहीं, ये टूल्स आवाज के साथसाथ किसी इनसान की शक्ल से भी लोगों को बेवकूफ बना सकते हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नई तकनीक के गलत इस्तेमाल पर अपनी चिंता जाहिर की है.

‘‘एक एआई ऐक्सपर्ट अतुल रौय ने बताया है, ‘एआई के जरीए क्लोन बनाना अब आसान हो गया है, जिस का फायदा अपराधी भी उठा रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम सतर्क रहें और अपनी जानकारी को बढ़ाएं.’

‘‘आप को याद होगा कि कुछ साल पहले एक वैब सीरीज आई थी ‘जामताड़ा-सब का नंबर आएगा’. इस में इसी मुद्दे को उठाया गया था कि मोबाइल फोन में सिम बदलबदल कर कैसे लोगों को लालच दे कर उन से पैसा किसी अनजान अकाउंट में डलवाया जाता था.

‘‘अब एआई तकनीक ने इस साइबर क्राइम को और ज्यादा भयावह बना दिया है. पर अगर जरा सी सावधानी बरती जाए, तो समय रहते बचा भी जा सकता है.’’

‘‘पर कैसे?’’ दीपक के एक साथी ने पूछा.

‘‘जब भी आप के पास कोई काल आए तो सामने वाले की पहचान पूरी होने के बाद ही अपनी जानकारी उसे दें. स्कैमर्स आप को काल लगाते हैं और पर्सनल जानकारी मांगते हैं, इसलिए कोई काल करने के साथ ही पैसे या पर्सनल जानकारी मांगे, तो सम?ा जाएं कि स्कैमर्स हैं.

‘‘पर भारत में लोग अभी भी इस सब तकनीकी से अनजान हैं. एक खबर के मुताबिक, दुनिया में आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस वौइस स्कैम का सब से ज्यादा भारत के ही लोग शिकार हो रहे हैं. एक सर्वे में शामिल 47 फीसदी से ज्यादा भारतीयों ने माना है कि या तो वे खुद पीडि़त हैं या ऐसे किसी को जानते हैं, जो वौइस स्कैम का शिकार हुआ है.’’

फिर दीपक ने कुछ आंकड़ों का हवाला दिया कि दुनिया के 7 देशों में 7,054 लोगों पर किए गए सर्वे की रिपोर्ट इस तरह है :

* 83 फीसदी लोग यह पता लगाने में नाकाम हैं कि उन के पास आया स्पैम काल किसी मशीन या सौफ्टवेयर की मदद से किया गया है या सच में कोई इनसान बोल रहा है.

* 66 फीसदी भारतीयों ने बताया है कि ऐसे वौइस स्कैम वाले ज्यादा काल किसी दोस्त या परिवार के सदस्य से आते हैं, जिसे पैसे की तत्काल जरूरत होती है.

* स्कैम वौइस काल में सब से ज्यादा दावा किया गया था ‘मैं लुट गया हूं’ (70 फीसदी). इस के बाद ‘कार हादसा हो गया’ (69 फीसदी), ‘फोन खो गया या पर्स खो गया’ (65 फीसदी) या ‘विदेश में हू्ं पैसे की तुरंत जरूरत है’ (62 फीसदी) जैसे बहाने बनाए गए.

‘‘तो फिर ठगी का शिकार लोग क्या करें और कहां गुहार लगाएं?’’ किसी ने दीपक से सवाल किया.

‘‘आज हमारे औफिस में यह कांड हुआ है, तो मैं प्रतिभा से कहूंगा कि वह पहले तो खुद को संभाले और फिर सब से पहले अपने बैंक अकाउंट से धोखाधड़ी कर के निकाले गए पैसों को वापस लेने के लिए अपने बैंक से बात करे. अगर बैंक की ब्रांच दूर है, तो फोन कर के कस्टमर केयर को जानकारी दे.

‘‘जिस के साथ भी यह कांड हुआ है, वह तुरंत पुलिस को जानकारी दे. धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन से संपर्क करें. आप साइबर सुरक्षा अधिकारियों को भी रिपोर्ट कर सकते हैं, जैसे कि नैशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी या नैशनल इनफार्मेशन सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन.’’

सब लोग दीपक की बात बड़े ध्यान से सुन रहे थे और प्रतिभा उसे देखे जा रही थी. वह चुप हो गया. जब सब लोग चले गए, तो प्रतिभा ने दीपक से कहा, ‘‘बांट दिया ज्ञान… अब काम करने का समय आ गया है. उस आदमी का लालच बढ़ गया है. उस ने 2 लाख रुपए की डिमांड की है. हमारे पास बस 2 घंटे हैं उसे ट्रेस करने के लिए.’’

दीपक ने एक आंख दबाते हुए कहा, ‘‘तुम तो बड़ी दिलेर निकली, जो 20,000 रुपए का रिस्क ले लिया. अगर वह ट्रेस नहीं हो पाया तो…?’’

‘‘ट्रेस तो उस का बाप भी होगा. तुम किस मर्ज की दवा हो. चलो, अपने अड्डे पर और करते

हैं उस बेवकूफ का सबकुछ हैक,’’ प्रतिभा बोली.

‘‘अजी, आप की खातिर हम उसे ट्रेस तो कर देंगे, पर इस गरीब को क्या इनाम मिलेगा?’’ दीपक थोड़ा रोमांटिक होते हुए बोला.

‘‘डार्लिंग, आज यह मिशन पूरा होते ही मैं सारी रात तुम्हारे साथ अपार्टमैंट्स पर रहूंगी, क्योंकि राघव तो इलाहाबाद गया हुआ है. फिर निकाल लेना अपने दिल के अरमान. पूरी रात जश्न मनेगा.’’

दरअसल, प्रतिभा और दीपक एक एआई कंपनी के लिए काम करते थे. दीपक किसी के भी फोन से उस इनसान की सारी जानकारी निकाल लेता था, जिसे हैकिंग कहते हैं. अब जब उस आदमी का 2 लाख रुपए लेने के लिए फोन आएगा, तब प्रतिभा उसे बातों में उल?ा कर रखेगी और दीपक उस की लोकेशन से फोन के जरीए उसे हैक कर लेगा.

थोड़ी देर में वे दोनों एक ऐसे औफिस में बैठे थे, जो उन्हीं की कंपनी में गुप्त तरीके से बना हुआ था. वहां सिर्फ स्पैशल लोग ही जा सकते थे, जैसे आज प्रतिभा और दीपक का मिशन था.

2 घंटे होते ही उस आदमी का फोन आ गया. दीपक ने प्रतिभा को सम?ा दिया कि वह किसी तरह उसे बातों में उल?ा कर उस बैंक अकाउंट तक पहुंच जाए, फिर वह उसे हैक कर लेगा.

प्रतिभा बोली, ‘‘देखिए भाई साहब, मैं आप को

2 लाख रुपए तो एकसाथ नहीं दे पाऊंगी, पहले 10,000 रुपए आप के अकाउंट में आएंगे और फिर उस के आधे घंटे के बाद पूरी रकम आप को मिल जाएगी.’’

‘यह क्या नौटंकी है. जो करना है जल्दी कर. अगर बड़े साहब नाराज हो गए, तो रकम बढ़ जाएगी. फिर मत रोना,’ यह कहते हुए उस आदमी ने अपना अकाउंट नंबर बता दिया. थोड़ी देर में ही उस के खाते में 10,000 रुपए चले गए.

इधर दीपक अपना काम कर रहा था. वह हैकिंग का मास्टर था. उस ने नई तकनीक की मदद से उस आदमी का फोन हैक कर के उस के बैंक अकाउंट में सेंध लगा दी थी. उस आदमी ने भी लापरवाही बरतते हुए अपना फोन स्विच औफ नहीं किया था और न ही सिमकार्ड बदला था.

5 मिनट में ही दीपक ने उस आदमी का फोन पूरी तरह से हैक कर लिया था. इतना ही नहीं, उस के सोशल मीडिया अकाउंट से 10 और दोस्तों के फोन हैक कर के उन के बैंक अकाउंट की डिटेल भी अपने कब्जे में ले ली थी.

दीपक को यह सब जानने के बाद शक हुआ कि यह कोई बड़ा गिरोह है, जो साइबर क्राइम को अंजाम देता है और इस गिरोह के सरगना विदेश में बैठे हैं और बड़े जालिम हैं.

दीपक ने अपनी करामात दिखाते हुए उन सब के अकाउंट से 1-1 लाख रुपए एक अनजान बैंक अकाउंट में भेज दिए.

इस के बाद दीपक ने प्रतिभा से कहा, ‘‘अभी उस आदमी का फोन आएगा. उसे पता चल चुका होगा कि उस के बैंक अकाउंट से पैसे कहीं ट्रांसफर हुए हैं. अब तुम उसे दिन में तारे दिखा देना.’’

‘‘मैं भी फोन आने का इंतजार कर रही हूं,’’ इतना कह कर प्रतिभा ने दीपक को चूम लिया.

वही हुआ भी. ह्वाट्सएप काल आ गया. उधर से आवाज आई, ‘यह सब क्या माजरा है? मेरे अकाउंट से पैसे कहां चले गए. क्या किया है तुम ने?’

‘‘क्या हुआ?’’ प्रतिभा ने ?ाठी हैरानी जताते हुए कहा.

‘तुम ने किया क्या है और तुम हो कौन?’ उस आदमी की हेकड़ी जैसे निकल रही थी.

‘‘क्या किसी पुलिस वाले को कोई चूना लगा गया? अपने बड़े साहब को बता दो या फिर मैं तुम्हारे आका का भी फोन हैक करूं. खुद को बड़ा शातिर सम?ाता है न.

‘‘बेटा, अभी तुम इस खेल के नए खिलाड़ी हो. तुम ने गलत इनसान से पंगा ले लिया है. तेरे ही क्या, तेरे और दूसरे 10 साथियों के अकाउंट से पैसे ट्रांसफर हुए हैं, वे भी तेरे बैंक अकाउंट में. उन का फोन आने ही वाला होगा.

‘‘तुम लोगों ने आम जनता की जिंदगी जहन्नुम कर रखी है. उन की गाढ़ी कमाई को साइबर क्राइम से लूट लेते हो और फिर कोई सुबूत भी नहीं छोड़ते. पर, मैं जहां नौकरी करती हूं, वहां आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस पर ही काम होता है.

‘‘तू ने हमें अपना शिकार नहीं बनाया है, बल्कि हम ने तु?ो किसी चूजे की तरह फांसा है. ज्यादा चूंचपड़ की तो ऐसा हाल करेंगे कि जिंदगीभर किसी को बेवकूफ नहीं बना पाएगा.

‘‘और हां, यह मत सम?ा लेना कि मु?ो किसी तरह का नुकसान पहुंचा पाएगा. तेरे फरिश्ते भी मु?ा तक नहीं पहुंच पाएंगे, पर हम लोग तेरी एकएक रग से वाकिफ हो चुके हैं. मु?ो कहीं भी और कभी भी एक खरोंच तक आई, तो तेरे पूरे गिरोह का बैंड बजा देंगे. वैसे भी तेरी तो उलटी गिनती शुरू हो चुकी है…’’ प्रतिभा ने अपना असली रूप दिखा दिया.

इतना सुनना था कि दूसरी तरफ से फोन कट गया. दीपक और प्रतिभा ने एकदूसरे को देखा और खिलखिला कर हंस दिए. उन के औफिस स्टाफ को भी नहीं मालूम था कि वे किस तरह से यह खुफिया काम करते हैं.

दीपक प्रतिभा के बालों में हाथ फेरते हुए बोला, ‘‘डार्लिंग, उस आदमी को तो तुम ने दिन में तारे दिखा दिए हैं, अब आज रात का क्या सीन है?’’

प्रतिभा बोली, ‘‘जो वादा किया था, आज रात को पूरा होगा. फिर कर लेना अपने मन की.’’

इस के बाद वे दोनों अपना मिशन पूरा कर के औफिस की तरफ चल दिए, जहां वे आम मुलाजिमों की तरह काम करते थे.

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