उस का असली नाम नीना नहीं, अंजलि कपलिश था. पढ़लिख कर वह विवाह के लायक हुई तो 24 फरवरी, 1996 को सामाजिक रीतिरिवाज से उस का विवाह कैमिकल इंजीनियर मंगतराम शर्मा से कर दिया गया था. मंगतराम एक निजी संस्था में बढि़या नौकरी करते थे. उन के घर में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी. उन्होंने अंजलि को न केवल हर सुखसुविधा के साथ भरपूर प्यार दिया था, उस का नाम भी बदल कर नीना रख दिया था. समय अपनी गति से गुजरता रहा और इस बीच नीना एक बेटे और एक बेटी की मां बन गई थी. बीए एवं एमलिब (मास्टर औफ लाइब्रेरी साइंस) की डिग्रियां हासिल करने वाली नीना शादी के पहले रोपड़ के एक स्कूल में नौकरी करती थी. शादी के बाद भी वह 2 सालों तक नौकरी करती रही. लेकिन बाद में पति ने उसे घर संभालने की सलाह देते हुए नौकरी करने को मना कर दिया.

नीना नौकरी नहीं छोड़ना चाहती थी, पर पति की वजह से उसे नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा. पति से इस फैसले के बारे में वह ज्यादा कुछ कह तो नहीं सकी, पर अच्छीभली नौकरी छोड़ने का उसे काफी अफसोस था. पति का यह फैसला उसे सही नहीं लगा.

वजहें कुछ भी रही हों, शादी के 6 साल बाद उन के वैवाहिक रिश्ते में खटास पैदा होने लगी. इस का नतीजा यह निकला कि सन 2004 में नीना ने पति से तलाक ले लिया. नीना के इस फैसले से मंगतराम काफी आहत हुए. कुछ समय बाद वह इंडिया छोड़ कर आस्ट्रेलिया चले गए.

नीना के मायके वाले भी तलाक के लिए नीना को ही दोषी मान रहे थे, इसलिए उन्होंने भी उस से नाता तोड़ लिया. नीना अब बेसहारा हो चुकी थी. ऐसी हालत में उस ने हिम्मत से काम लिया. किसी की परवाह न कर के उस ने आने वाली संभावित स्थितियों से मुकाबला करने के लिए कमर कस ली.

रोपड़ के दशमेशनगर में किराए का मकान ले कर वह अपने दोनों बच्चों के साथ रहने लगी और फिर से नौकरी हासिल करने की कोशिश करने लगी. पर काफी मेहनत के बाद भी नौकरी हाथ नहीं लगी. इस के बाद उस ने घर से ही ट्रेडिंग का काम करना शुरू कर दिया. थोक में दालें वगैरह खरीद कर लाती और उन के एक किलोग्राम और आधा किलोग्राम के पैकेट तैयार कर के वह उन्हें राशन की दुकानों पर सप्लाई करने लगी.

देखने में काम छोटा था, मगर अच्छा चल निकला. पैसों के लिए नीना अब किसी की मोहताज नहीं रही. इस के बावजूद ज्यादा कमाई वाला काम करने की उथलपुथल उसे बेचैन किए रहती थी. उसी बीच वह कई बीमारियों की चपेट में आ गई, जिन में हाई ब्लडपै्रशर, गौलब्लैडर में ट्यूमर व ब्लडकैंसर सरीखी बीमारियां थीं. वह अपनी इन बीमारियों का लगातार इलाज करवा रही थी.

दुख और बीमारी में जो काम दवा नहीं कर पाती, वह किसी अपने की प्यारभरी हमदर्दी और मीठे बोल कर जाते हैं. नीना भी इसी तरह के प्यार और हमदर्दी को तरस रही थी. इस दुख को वह अपने बच्चों से भी साझा नहीं करती थी. ऐसे में उसे यह बात बारबार कचोटती थी कि मंगतराम को तलाक दे कर उस ने भारी भूल की थी. उसे यह भी भरोसा था कि अगर वह मंगतराम के पास जा कर अपनी गलती मान ले तो वह निश्चित ही उसे माफ कर के फिर से अपना लेगा.

आखिर नीना आस्ट्रेलिया जाने की तैयारी करने लगी. पासपोर्ट उस के पास था ही. वह वीजा हासिल करने की कोशिश में लग गई, पर लाख कोशिशों के बावजूद भी उसे वीजा नहीं मिल सका. ट्रैवल एजेंटों ने उसे खासा परेशान किया. उस का वक्त तो बरबाद हुआ ही, वे लोग उस से पैसा भी खूब वसूलते रहे. यानी वह ठगी गई.

मंगतराम से समझौता करने नीना आस्ट्रेलिया तो नहीं जा पाई, अलबत्ता इन कोशिशों का एक फायदा उसे यह हुआ कि वह ट्रैवल एजेंटों द्वारा झांसा दे कर ठगी करने के कई गुर सीख गई. लिहाजा उस ने खुद भी यही सब कर के पैसा कमाने का निश्चय किया. उस की तमन्ना बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर लेने का था.

पूरी योजना बना कर नीना ने एक मैटर तैयार किया. ‘आप स्टूडेंट हो, घरपरिवार वाली औरत हो, पढ़ेलिखे हो या फिर मामूली पढ़ाईलिखाई व सीमित अनुभव के साथ छोटीमोटी नौकरी करने को मजबूर हो. विदेशों में मोटी तनख्वाह वाली एक से एक बढि़या नौकरी आप के इंतजार में है. दिशानिर्देशन व वर्क परमिट के लिए संपर्क करें.’

इस के नीचे अपने घर का पता देते हुए नीना ने कई अखबारों में विज्ञापन दे दिए. इस के बाद तो विदेश जाने के इच्छुक लोगों की नीना के यहां लाइनें लगनी शुरू हो गईं. वैसे भी विदेश जा कर पैसा कमाने का पंजाब में कुछ ज्यादा ही क्रेज है. नीना ने खुद को एक विदेशी कंसल्टैंट कंपनी की एजेंट बताया.

जो लोग उस के पास पूछताछ करने आते थे, वह उन्हें बताती कि जो लोग विदेश जाना चाहते हैं, उन का पहले रजिस्ट्रेशन होगा, उस के बाद विदेश से आ कर कंपनी के अधिकारी उन लोगों का इंटरव्यू लेंगे, जो लोग सफल होंगे, उन्हें पौने 2 लाख रुपए महीने की तनख्वाह पर रख लिया जाएगा. उस तनख्वाह से कंपनी 2 सालों तक हर महीने 50 हजार रुपए अपने पास कमीशन के रूप में रखेगी. 2 साल बाद यह समझौता खुद ब खुद खत्म हो जाएगा.

नीना ने यह भी बताया कि रजिस्टे्रशन फीस के रूप में हर आदमी को 25 हजार रुपए जमा करवाने होंगे. सिलैक्ट हुए उम्मीदवारों को वाजिब हवाई किराया व कुछ अन्य खर्चे भी देने होंगे. किसी वजह से जो लोग सिलेक्ट नहीं हो पाएंगे, उन्हें उन की रजिस्ट्रेशन फीस वापस कर दी जाएगी. बाद में नौकरियों की रिक्तियां निकलने पर फिर से रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.

रजिस्ट्रेशन फीस 25 हजार तय करते समय नीना को लगा था कि उस ने जल्दबाजी में फीस शायद ज्यादा रख दी है. पर कमाल की बात यह हुई कि पहले ही झटके में 20 लोगों ने 25-25 हजार रुपए दे कर नीना की झोली में 5 लाख रुपए डाल दिए.

इस के बाद तो नीना के जैसे पंख निकल आए. चंडीगढ़ के सेक्टर-35 में उस ने इमीग्रेशन कंसल्टैंट्स का अपना शानदार औफिस खोल कर बडे़ पैमाने पर लोगों को ठगना शुरू कर दिया.

नीना को कमाई का यह नया तरीका सूझ गया था. वह भी मोटी कमाई का. उस की चिकनीचुपड़ी बातों में आ कर कई लोगों ने अपनी जमीनजायदाद तक गिरवी रख कर उसे मुंहमांगी रकम दे दी. पैसा देने वाले का मुंह बंद रहे, इस के लिए वह कभी मैडिकल का तो कभी कोई अन्य फार्म भरवा लेती.

देखतेदेखते नीना ने करीब 500 लोगों से 4 करोड़ रुपए की रकम इकट्ठी कर ली. इन लोगों का काम वह तभी करवा पाती, जब उस के हाथ में कुछ होता. उसे तो इस ठगी से अधिक से अधिक मोटी रकम बटोरनी थी. जिस रफ्तार से उस के पास पैसा आ रहा था, 4 करोड़ की रकम भी उसे छोटी लग रही थी.

उसे उम्मीद थी कि आने वाले कुछ समय में उस के पास इस से कई गुना ज्यादा रकम इकट्ठी हो जाएगी. तब वह यहां से इतनी दूर चली जाएगी कि कोई भी उसे ढूंढ नहीं पाएगा. मगर उसी बीच परिस्थिति बदल गई. फातियाबाद, हरियाणा के 2 भाई कुलविंदर सिंह और हरमिंदर सिंह भी आस्ट्रेलिया व कनाडा में नौकरी लगवाने के लिए नीना से मिले.

नीना ने इन दोनों भाइयों से मोटी रकम ऐंठ ली. काफी दिनों बाद भी जब इन का काम नहीं हुआ तो इन्होंने नीना के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस में शिकायत कर दी. चंडीगढ़ पुलिस ने काररवाई करते हुए 28 नवंबर, 2005 को नीना को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने नीना को कोर्ट में पेश कर के उस का 4 दिनों का पुलिस रिमांड लिया. पुलिस को पता चला कि वह पहले से ही गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है. इस वजह से पूछताछ के वक्त उस से ज्यादा सख्ती नहीं की जा सकी. मनोवैज्ञानिक तरीके से की गई पूछताछ मे वह करोडों रुपयों की ठगी करने की बात तो कबूलती रही, पर उस ने पैसा कहां छिपा कर रखा है, यह नहीं बताया.

पुलिस ने उस के बैंक खातों व लौकरों की जांच की तो वहां कुछ हजार रुपए ही मिले. 4 दिनों के कस्टडी रिमांड की समाप्ति पर जब पुलिस नीना को अदालत में पेश करने ले जा रही थी, तभी ठगी का शिकार हुए लोगों  ने उस का रास्ता रोक लिया.

वह उस से अपने पैसों को मांग करने लगे. तब नीना ने उन से सपाट लहजे में कहा, ‘‘हां, मैं कसूरवार हूं, लेकिन मेरी भी अपनी मजबूरियां हैं, मैं गंभीर रूप से बीमार हूं, मुझे अपना इलाज करवाना है. इस के  अलावा मैं मानती हूं कि मैं ने आप लोगों से ठगी की है. मगर मैं यह पैसा लौटा नहीं सकती. आप लोगों से ज्यादा मुझे इस पैसे की जरूरत है. अदालत मुझे मेरे किए की सजा जरूर देगी. शायद मैं सजा भुगतते हुए जेल के भीतर मर ही जाऊं.’’

लेकिन वह न मरी और न ही जमानत पर छूटने के बाद उस ने ठगी का अपना कारोबार बंद किया. उस के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होते रहे, पुलिस उसे गिरफ्तार कर जेल भेजने के अलावा उस के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर अदालत में दाखिल करती रही.

16 दिसंबर, 2006 को नीना ने बलविंदर शर्मा नामक शख्स से दूसरा विवाह रचा लिया. उस के साथ मिल कर उस ने मोहाली में ‘एलीवेशन प्लेसमेंट सर्विस’ के नाम से अपना एक आलीशान औफिस खोला. इसी तरह के कई औफिस उस ने अलगअलग जगहों पर खोले और अपने धंधे को पहले की तरह ही अंजाम देती रही. उस के खिलाफ आपराधिक मामले भी लगातार दर्ज होते रहे. देखते ही देखते उस के ऊपर 50 से अधिक मुकदमे दर्ज हो गए.

विभिन्न केसों में बारबार रिमांड पर ले कर पुलिस उस से सिवाय सौफ्ट इंटेरोगेशन के और कुछ नहीं कर सकती थी. और तो और पुलिस उस से ठगी की रकम का भी पता नहीं लगा पाई कि उस ने कहां छिपा रखी है. वह सीधे कह देती थी कि बीमारी पर खर्च कर दी है.

नीना के खिलाफ भले ही कितने ही केस क्यों न चल रहे थे, पर उन में से तमाम अधर में ही लटके थे. कुछ केसों में वह बरी भी हो गई थी. मैडिकल आधारों पर उसे अदालत से जल्दी जमानत मिल जाती थी. इसी बात का वह फायदा उठा रही थी. ठगे गए लोग तो पुलिस पर भी उस के साथ सांठगांठ का आरोप लगा रहे थे.

अभी हाल ही में नीना को उस के खिलाफ दर्ज एक मामले में पहली बार सजा हुई है. करीब 4 साल पहले हिमाचल प्रदेश के कस्बा बरनी निवासी अशोक कुमार की शिकायत पर नीना के खिलाफ भादंवि की धारा 406 एवं 420 का यह केस मोहाली के थाना मटौर में दर्ज हुआ था.

शिकायतकर्ता का आरोप था कि उसे कनाडा भेजने के नाम पर नीना ने उस से 1 लाख 10 हजार रुपए ठगे थे. इस केस में मटोर थाना के थानाप्रभारी धर्मपाल ने नीना को गिरफ्तार कर के जेल भिजवाते हुए उस के खिलाफ चार्जशीट अदालत में दाखिल की थी.

सुनवाई करते हुए 16 दिसंबर, 2016 को मोहाली के विद्वान प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी हरप्रीत सिंह ने नीना को ठगी की कसूरवार मान कर 2 साल 10 महीने की कैद के अलावा 5 हजार रुपए के जुरमाने की सजा सुनाई थी. जुरमाना अदा न करने पर उसे 6 महीनों की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.

सजा सुनने के बाद भी नीना मुसकुराती रही. फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कह कर उस ने पूरे आत्मविश्वास से कहा,  ‘कोई बात नहीं, मैं इस कदर गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हूं कि जल्दी ही मुझे जमानत मिल जाएगी.’

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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