आप ने रेलवेस्टेशनों, बसअड्डों, पैसेंजर गाडि़यों और महानगरों के फुटपाथों पर 10 रुपए में इंगलिश सिखाने का दावा करने वाली पुस्तकें खरीदी भले ही न हों मगर देखी जरूर होंगी. इन्हें अपनी जेब के अनुकूल, अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप पा सर्वसाधारण अपनी जेब ढीली करने को उत्सुक नजर आता है. और इस तरह यह धंधा चलता रहता है. समय की मार खाए गरीब बेचारे कभी यों 10 रुपए में अंगरेजी तो नहीं सीख पाते किंतु अपनी तरफ से पूरी कोशिश करने की आत्मसंतुष्टि उन्हें जरूर मिल जाती है. उस पुस्तक ने उन का कितना अंगरेजी ज्ञान बढ़ाया, यह तो नहीं कहा जा सकता. यह शोध का विषय है लेकिन चिंतनमननमंथन द्वारा मानसिक वादविवाद का आयोजन करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि दरअसल इस सर्वसाधारण के जीवन को उन्नत करने के लिए अंगरेजी नहीं झूठ बोलना कैसे सीखें नामक पुस्तक की सख्त आवश्यकता है. सर्वशिक्षा अभियान के तहत अगर इसे बढ़ावा मिले तो अतिउत्तम. अनिवार्य पठनीय पुस्तक का दरजा मिले तो वाहवाह.

सत्यं वद प्रियं. वद न वद सत्यम अप्रियम, यह पाठ हिंदुस्तान की हर पाठशाल में पढ़ाया जाता रहा है और इस के सदके में हमारे जैसे झूठ बोलने में अक्षम लोगों का जमावड़ा हिंदुस्तान की धरती पर हो गया, जिन्हें आजादी के सठिया जाने के बाद भी मिडिल क्लास कह कर खूब लताड़ा गया. अब तो सब से बड़ा अड़ंगा है हमारी प्रगति में, वह यही है, हमारी मिडिल क्लास सत्यवादी सोच. इसलिए शरीर पर टैटू सा गुदा मिडिल क्लास रहनसहन, मिडिल क्लास भाषा.

यह तो मानी बात है कि कोई आदमी सच बोल कर प्रिय नहीं बना रह सकता. सच तो प्रकृति से ही कड़वा होता है, एकदम करेला, ऊपर से नीम चढ़ा जैसा. करेला तो जानते हैं न, छिलका उतार भी दिया जाए तब भी कड़वाहट अंदर पोरपोर तक भरी ही रहती है.

अभी तक हम ने तो सुना नहीं कि करेले को चाशनी में डुबो कर किसी ने बारहमासी रसगुल्ला बनाने में सफलता प्राप्त की हो, किसी को यह कला आई भी हो तो खानदानी शाही दवाखाना की तरह निश्चित ही चांदनी चौक की किसी गली में चुपचाप चल रही होगी. यों पटरियों पर तो वह न बिक रही होगी. यह हमारा सच तो होली पर बनने वाली गुझिया सी साख भी नहीं जुटा पाया कि चलो, सालाना जलसे में ही उस का कुछ जलवा हो. मगर वहां भी बुरा न मानो होली है का वरक लपेटा जाए तब जा कर कुछ बात बने.

इधर, झूठ की दादागीरी एकदम निराली है, बासमती चावल सी उस की महक आ ह ह हा…एकएक दाना एकदम खिला हुआ ताजगी से भरपूर. सब को मजा देने वाला. सब की इज्जत बचाने वाला. झूठ की खासीयत है वह हमेशा आराम से मेजपोश की तरह बिछा रहता है, खूबसूरत परदे की तरह लटका रहता है. सब की नंगई ढकी रहती है. सो, सब को समझ लेना चाहिए कि झूठ बोलना कितना आवश्यक है.

दुनिया तो, जी, झूठ से चलती है, सामने वाले की झूठी तारीफ करिए, आराम से रहिए. हंसिए, बोलिए चैन की नींद सोइए. वरना धरती सुंघाऊ , पानी पिलाने वाले, धूल चटाने वाले, दिन में तारे दिखाने वाले, छठी का दूध याद दिलाने वाले, चारों खाने चित्त कर देने वाले सत्य की मार के लिए स्वयं भी तैयार रहिए क्योंकि सामने वाला व्यक्ति सांप काटे की तरह पहला मौका हाथ आते ही आप पर वार करने से चूकेगा नहीं. फिर चाहे वह कोई रामदेव हो या कोई बालकृष्ण.

जनाब, बात तो धार्मिक व दलीय भावनाओं की है और सच के साथ वही सब से पहले आहत होती है. अब देखिए आप अपनेआप चलते कहीं गिर पड़ते हैं ठोकर खा कर, तो न अफसोस होता है न दर्द, बस उठे और फिर चल दिए. किंतु, सत्य का कोड़ा पड़े तो पीठ पर उभार छोड़ जाता है. इसलिए जनाब जानिए और समझिए अब हम रह रहे हैं ग्लोबल विलेज में, और राजनीतिज्ञों की सफलता के पांव तले दबेदबे सांस ले रहे हैं. उन के सफल घोटालों की अनवरत दास्तान कानफोड़ू कीर्तन की तरह धाड़धाड़ बज रही है वातावरण में. यह किस का कमाल है, मिथ्या वचन ना.

जिस के आगे 10 रुपए की बांसुरी से सच की कितनी भी मीठी तान निकले, झूठ के औरकैस्ट्रा के आगे टिक नहीं पाती. इस पर भी अगर हम सत्य को पकड़ कर बैठे रहेंगे तो विलुप्त होते देर न लगेगी. सो, आवश्यक है कि हमारी संतानें, भावी पीढ़ी झूठ बोलना सीखें. यों तो यह कार्य पाठ्यक्रम में बदलाव कर के सरकार भी कर सकती है किंतु जैसे बिजली, पानी, सड़क, सुरक्षा इत्यादि के मामले में सरकार से हम सीख चुके हैं  आत्मनिर्भर रहना, वैसे ही हम इस में भी आत्मनिर्भर हो जाएं.

इसी अभियान के अंतर्गत हम ने ‘झूठ बोलना कैसे सीखें’ नामक पुस्तक बाजार में उतारी है, इस से हमारी चार पैसे की आमदनी हो जाएगी और आप झूठ बोलना बड़ी आसानी से सीख जाएंगे.

हमें यह जान लेना चाहिए कि कंप्यूटर की तरह इसे पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल करना आवश्यक है लेकिन जब तक यह औपचारिक शक्ल अख्तियार करे तब तक प्राइवेट ट्यूशन से सफलता की ओर कदम बढ़ा देना चाहिए. वैसे भी यदि सभी सीख जाएंगे तो झूठ की सफलता के क्षेत्र में बड़ा कंपीटिशन हो जाएगा बिलकुल आईआईटी सा.

आज की तारीख में यह पाठ किसी पाठशाला की किसी पाठ्यपुस्तक में पढ़ाया नहीं जाता. बस, बच्चा अनुभव से फेल होहो कर इसे धीरेधीरे सीखता है. उस पर तुर्रा यह कि सच की जड़ बड़ी गहरी होती है, बेशरम के झाड़ की तरह बेतरतीब यहां से काटें तो वहां से सिर उठा लेगी. अमरबेल सी जीवन का सब रस चूस लेगी. बरसात में सड़ेगी, अकाल में सूखेगी, सर्दी में ठिठुरेगी मगर गले पड़ी रहेगी. इसलिए एक बार सच की लत पड़ जाए तो बीड़ीसिगरेटशराब की तरह इस के नशे में आदमी सबकुछ लुटा बैठता है राजा हरिश्चंद्र की तरह.

जीवन में सफलता का राज दरअसल आप की झूठ बोलने की क्षमता पर निर्भर करता है या यों कहिए कि गोलमाल करने के प्रतिबद्धता पर टिका रहता है तो कुछ अतिशयोक्ति न होगी. झूठ बोलना एक कला है जिसे कुंगफू जैसी मेहनत से आम आदमी को सीखना पड़ता है, कराटे किड की तरह रोजमर्रा के जीवन में सुबहसवेरे से देर शाम तक इस का अभ्यास करना पड़ता है तब जा कर कहीं यह आम आदमी के जीवन में उतरती है और उसे खास बनाती है. हां, राजनीतिज्ञों और पंडेपुजारियों के जीन में यह होती है वंशानुगत, पैदाइशी, कोयल की कूक सी जिसे संगीत सीखना नहीं पड़ता. वे झूठ की विरासत लिए होते हैं, पैदा होते ही नेता और पंडित बन जाते हैं.

झूठ अपनी संरचना में ही लुभावना व प्रिय लगने वाला होता है व रक्तबीज सा अपनी फसल धड़ाधड़ काटता है. एक झूठ से 100 झूठ पैदा होते देर नहीं लगती. उस की बेल अपनी गति से हौलेहौले परवान चढ़ने लगती है. जबकि सच न बढ़ता है, न घटता है. बस, उतने का उतना ही बना रहता है. सो, उस की प्रगति की संभावना भी स्थिर सी रहती है.

झूठा सहारा ही आप की जिंदगी को बेहद आसान बना देता है. आप का खड़ूस बौस आप से हंसहंस कर करने लगेगा बात. जैसे वजन कम करने के लिए कमर कसनी होती है वैसे ही झूठ बोलना सीखने के लिए तैयार होना पड़ता है. वरना आप झूठ बोल नहीं पाते. सच की इस बीमारी को शुरुआत में ही संभाल लेना चाहिए वरना सच का कैंसर बड़ा भयंकर दर्द देता है. न जीने देता है न मरने देता है. राजा हरिश्चंद्र सा डोम बना कर छोड़ता है जो अपने बेटे का भी दाह नहीं कर पाता. सो, सच से दूर रहें. सच डरने की चीज है, अपनाने की नहीं.

अब झूठ की तारीफों के पुल क्या बांधना. पूरा का पूरा तंत्र बाकायदा इस के सहारे चल रहा है. सच को खोजना पड़ता है भूसे के ढेर से सूई की तरह. समंदर में डूबे खजाने की तरह, सच अन्वेषण की चीज है, इसलिए आप कृपया इस का दैनिक सार्वजनिक उपयोग बंद करें. यह बातबात पर दन्न से उगलने वाली चीज नहीं. यह कीमती चीज है, इसे इस की कीमत मिलने पर ही उपलब्ध कराएं. बताओ भला, यह भी कोई बात हुई कि इधर घर में आया मेहमान, गले मिले नहीं, कि बोल पड़े, ‘कैसे बेढब लग रहे हो.’ आ गया पतीले में उबाल. लो, पकड़ो अपने सच का ढक्कन.

आज की तारीख में जो झूठ नहीं बोल पाता वह सफलता की सीढि़यां नहीं चढ़ पाता. झूठ के साथ बस यही बड़ी खराबी है कि यह दिल पर बोझ बन जाता है. एक सच्चा झूठ बोलने वाला वही होता है जो कैसा भी झूठ बोले मगर वह न तो उस के दिल पर बोझ बने न चेहरे पर शिकन डाले. बस, जिस दिन आप को यह तरीका आ गया, आप महान हो गए. सच तो एक पैदाइशी तत्त्व है खानापीनासोना जैसा, उस में क्या शिक्षा, क्या ज्ञान की आवश्यकता. झूठ बोलना एक फन है और सोचिए, आप कैसे फनकार हैं.

सच के बारे में ऐसी धारणा है कि वही अंतिम विजेता होता है. चलिए मान लिया. मगर अंत का क्या? रास्ते का महत्त्व नहीं. अंत तो मृत्यु भी है, फिर क्या जीवन, कुछ भी नहीं. मौत तो एक पल में हो जानी है. सांसें तो जीवनभर चलनी हैं. सो, मंजिल से अधिक रास्ते का महत्त्व है. झूठ बोलनासीखना परमआवश्यक पाठ है. इस से अधिक इस विषय में कहना झूठ की तौहीन खास है.

अब हम आप को बताने जा रहे हैं कि हमारी झूठ बोलना सीखें नामक पुस्तक की हाईलाइट्स क्या हैं. इंगलिश स्पीकंग कोर्स की तर्र्ज पर ही हम ने अपने यहां 3 तरह के  कोर्स मय कोर्स मैटीरयल व सीडी के उपलब्ध कराएं हैं. रैगुलर व कौरेस्पौंडैस कोर्र्स दोनों की सुविधाएं हैं. रैपीडेक्स क्रैश कोर्स, नियमित रैगुलर व सस्ता शौर्टकट भी आप की जेब व हस्ती के अनुसार आप की आकंक्षाओं व इच्छाओं के अनुरूप उपलब्ध हैं.

उपलब्ध पुस्तक के की नोट्स अर्थात कुछ टिप्स यानी कि कुछ मारक तत्त्व निम्नांकित हैं. कृपया वृहद वर्णन के लिए पुस्तक खरीदें. संपूर्ण पुस्तक के लिए मनीऔर्डर करें या इंटरनैट के जरिए कैश औन डिलीवरी सुविधा का उपयोग करें.

झूठ बोलना सीखने के लिए निम्नांकित 10 नियमों का पालन करें. आप 10 दिनों में ही झूठ बोलना सीख जाएंगे, फिर आप की पौ बारह –

–    झूठ बोलने की शुरुआत अपने घर से करें.

–    घर में भी उस व्यक्ति से करें जिसे आप अपने सब से करीब पाते हैं.  यह कठिन होगा मगर सचमुच कारगर होगा.

–    झूठ सकुचाते हुए नहीं, धड़ल्ले से बोलें.

–    झूठ आंखों में आंखें डाल कर बोलें.

–    झूठ बोलते समय चेहरे पर पसीना न आने दें, आ जाए तो उसे रूमाल से पोंछने की गलती न करें. आप को अभ्यास की आवश्यकता होगी.

–    झूठ बोलने का अभ्यास सुबह के पहले घंटे से ही करें जैसे रातभर सोने के बाद कहें, ‘रात नींद ही नहीं आई’ या ‘रात को एक सपना देखा’ और फिर दिल की बात एक सपने के माध्यम से बयान करें जिसे वास्तव में आप ने देखा ही नहीं.

–    अपने झूठ को दैनिक दैनंदिनी में लिखें.

–    एक दिन में कम से कम 5 झूठ बिना आवश्यकता के बोलें, जब आप लगातार 5 झूठ बोल लें तो एक सच बोलने की छूट है. शुरुआत खाने की तारीफ से भी की जा सकती है, यह आसान है.

–    दफ्तर में देर से पहुंचने पर बोला, हुआ झूठ या छुट्टी के आवेदन में लिखा गया झूठ इस अभ्यास में शामिल नहीं किया जाएगा.

–    यदि आप का झूठ पकड़ा जाए तो न गलती मानें, न माफी मांगें. पकड़े जाने पर मुल्ला नसीरुद्दीन की पनाह में जाएं यानी कोईर् तीसरी स्थिति पैदा करें, जहां न सच टिके, न झूठ यों आप को झूठ बोलने का सफर दिलचस्प होता जाएगा और पाठ आसान.

याद रखिए झूठ बोलना सीखें यानी झूठ स्पीकिंग कोर्स द्वारा यह सब संभव है मात्र 3 महीनों में. पुस्तक को पढ़ते ही बस 1 महीने में आप फर्राटेदार झूठ बोलने लग जाएंगे और अपना जिंदगीभर का सत्यवचन का पाठ भूल जाएंगे. इस के बाद आप हमेशा झूठ के पक्ष में झंडा उठाए दिखाई देंगे. गरीबी रेखा से नीचे वालों के लिए कम मूल्य पर हमारा एक 15 दिनों का सस्ता व आसान कोर्स भी उपलब्ध है. जो आप की सोच बदल देगा, जीने का नजरिया बदल देगा. वह भी आज के जमाने में आप की सफलता सुनिश्चित करेगा. यह ऐसा कोर्स है जिस में बेहतरीन झूठ बोलना सिखाया जाता है जो बड़ेबड़े राजनीतिज्ञों को मात कर सकता है. बस, एक बार आजमाएं तो.

कृपया अपने बच्चों को सिखाएं, आज की दुनिया में सत्य जानलेवा बीमारी है जिस में आदमी सिर्फ दालरोटी खा सकता है, मक्खनमलाईर् का स्वाद कभी पहचान भी नहीं सकता. अगर भूले से कभी उस के आगे कोईर् रसगुल्ला पड़ जाए तो उस का हाजमा खराब हो जाता है, शौच करकर के वह बदहाल हो जाता है. तो फिर ऐसा शारीरिक सौष्ठव ले कर क्या करेंगे आप. 6 व 8 पैक्स छाती के जमाने में. क्या चुल्लूभर पानी में डूब मरेंगे. और डूबना भी चाहेंगे तो डूबेंगे कैसे. सच बोलने वाले के नसीब में पानी कहां? स्विमिंग पूल तो मिलने से रहा चार दिनों में आए टैंकर में.

आप के हिस्से में इतना जल कहां. हमारी पुस्तक इस रोग के प्रतिक्षक टीके की तरह है. ‘जिंदगी की दो बूंद’ का स्लोगन और पोलियो से छुटकारा जैसे. सो इसे अपनाएं, खुशहाली पाएं.

VIDEO : जियोमेट्रिक स्ट्राइप्स नेल आर्ट

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