मनोरंजन का माध्यम अब सिनेमाघरों व टेलीविजन से होते हुए औनलाइन प्लेटफौर्म तक पहुंच चुका है. मोबाइल और लैपटौप पर वीडियो स्ट्रीमिंग वैबसाइट्स व ऐप्स मनचाही फिल्में व टीवी कंटैंट मुहैया करवा रही हैं. वीडियो स्ट्रीमिंग की बढ़ती लोकप्रियता कहीं टीवी को चलन से बाहर न कर दे.
नैटफिल्क्स पर प्रसारित वैब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ इन दिनों सुर्खियों में है. यह जुलाई में रिलीज हुई. इसकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी कि सोशल मीडिया पर चारों तरफ इसी के चर्चे हो रहे हैं. सेके्रड गेम्स विक्रम चंद्रा के उपन्यास पर आधारित है. इस सीरीज को अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवाले ने डाइरेक्ट किया है. इस गैंगस्टर थ्रिलर में नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राधिका आप्टे और सैफ अली खान मुख्य भूमिका निभा रहे हैं.
इन दिनों बौलीवुड में तो बायोपिक की बारिश हो रही है, लेकिन अब यह ट्रैंड डिजिटल इंटरटेनमैंट प्लेटफौर्म में भी देखने को मिल रहा है. सनी लियोनी की बायोपिक की सीरीज का पहला सीजन ‘करनजीत कौर : द अनटोल्ड स्टोरी औफ सनी लियोनी’ जी-5 पर आ चुका है. और दूसरा सीजन औनएयर होने के लिए तैयार है.
सुपरहिट फिल्म ‘बाहुबली’ के दोनों पार्ट्स ने देश-विदेश में जम कर कमाई की. इसकी कहानी और कलाकार दोनों को काफी पसंद किया गया. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि बाहुबली की कहानी जहां से शुरू होती है, उससे पहले क्या हुआ था. अब यह स्पिन औफ नैटफ्लिक्स पर आने वाले बाहुबली के 2 सीजन में वैब सीरीज के जरिए दिखाया जाएगा.
दरअसल, नैटफ्लिक्स ने एक करार किया है, जिसके तहत वह ‘द राइज औफ शिवगामी’ नौवेल की कहानी को वैब सीरीज में दिखाएगा. यह 2015 में आया बाहुबली का प्रीक्वल है. एस एस राजामौली निर्देशित बाहुबली के 2 पार्ट्स ‘बाहुबली द बिगिनिंग’ और ‘बाहुबली द कन्क्लूजन’ में जो कहानी चलती है, उससे पहले की कहानी को शिवगामी यानी राजमाता को आधार बना कर लिखा गया है. नैटफ्लिक्स बाहुबली के पहले सीजन में 9 एपिसोड्स दिखाएगा. इसमें बताया जाएगा कि एक पूरा शहर कैसे साम्राज्य में तबदील हुआ. इसके बाद इसका दूसरा पार्ट भी रिलीज होगा.
डिजिटल इंटरटेनमेंट
ये न फिल्में हैं न सीरियल, ये सब वैब सीरीज या वीडियो स्ट्रीमिंग डिजिटल इंटरटेनमेंट की मिसालें हैं जो दर्शकों, खासकर युवाओं का नया क्रेज है. आजकल आपको ज्यादातर नौजवान इयरफोन लगा कर वीडियो देखते हुए जरूर दिखते होंगे. आपको लगता होगा कि वे कोई फिल्म देख रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. वे फिल्म नहीं, वैब सीरीज देख रहे होते हैं. आज वैब सीरीज एंटरटेनमैंट के एक नए माध्यम के रूप में सामने आया है.
बड़े परदे पर फिल्म, छोटे परदे पर सीरियल और उस से छोटी स्क्रीन मतलब मोबाइल और लैपटौप पर फनी वीडियो देखे जाते हैं. जिन्हें वीडियो स्ट्रीमिंग भी कहा जाता है. वैसे, वीडियो स्ट्रीमिंग क्या होता है? आप यूट्यूब देखते हों या हौटस्टार या फिर आप ने अमेजन प्राइम देखा होगा, इन दिनों नैटफ्लिक्स का नाम तो सुन ही रहे होंगे. जी हां, यही सब वीडियो स्ट्रीमिंग कहलाते हैं.
अब आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि फिल्में तो सिनेमाघर से कमाई करती हैं. टीवी सीरियल्स विज्ञापन से कमाई करते हैं लेकिन ये वीडियो स्ट्रीमिंग कहलाने वाले सभी प्लेटफौर्म्स कमाई कैसे करते होंगे, तो इसका सीधा फंडा है कि हमें इन सभी प्लेटफौर्म्स पर सब्सक्रिप्शन लेना होता है. वैसे यूजर चाहे तो कुछ प्लेटफौर्म्स का सब्सक्रिप्शन नहीं भी ले सकता है, लेकिन फिर उसे वीडियो के बीच में ऐड देखने पड़ते हैं.
यह है भी बिलकुल आसान और पोर्टेबल. अपने स्मार्टफोन पर ऐप डाउनलोड कीजिए और अपने लिए सब्सक्रिप्शन लीजिए. इसे सब्सक्रिप्शन कहिए या यों कहिए कि आपने बिना किसी ऐड ब्रेक और सैंसर कट के फिल्म देखने के लिए अमुक कंपनी को एडवांस किराया दे दिया. लोग नैटफ्लिक्स के लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग का आनंद ले रहे हैं.
हम आज तक किसी फिल्म या नाटक को या तो अपने टीवी में देखते थे या सिनेमाहौल में या फिर सीडी, डीवीडी में. लेकिन अब इनके अलावा एक और तरीके से हम फिल्म सीरियल वगैरह देख सकते हैं. वह तरीका दिया है इंटरनेट ने. तरीके का नाम है वीडियो स्ट्रीमिंग. आज के समय में इन्हें वैब टैलीविजन कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इनमें एक कहानी को 5-10 एपिसोड में दिखाया जाता है और ये एपिसोड 15 से 45 मिनट के ही होते हैं, जिस वजह से उबाऊ भी नहीं लगते.
सिनेमा-टीवी बनाम डिजिटल
भारत में मनोरंजन की होड़ खास दिलचस्प होती जा रही है. मुकाबला जारी है. मनोरंजन के 3 प्रमुख माध्यमों सिनेमा, टीवी और नए उभरे डिजिटल में कांटे की टक्कर चल रही है. 8वें दशक में यह सवाल उठता था क्या टीवी या बुद्धूबक्सा सिनेमा को खा जाएगा? आज फिर सवाल उठ रहा है क्या डिजिटल टीवी को लील जाएगा? आखिर क्या है हकीकत?
फिक्की अंर्स्ट ऐंड यंग की मीडिया ऐंड एंटरटेनमैंट 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत यूएसए को पीछे छोड़ कर दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन उपभोक्ता देश बन चुका है. पहला नंबर चीन का है. भारत में 50 करोड़ से ज्यादा इंटरनैटधारियों की औनलाइन सेना 2020 तक दुनिया का नंबर 2 औनलाइन वीडियो दर्शक बाजार बनने जा रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, टीवी माध्यम आज भी भारत में मनोरंजन क्षेत्र का निर्विवाद लीडर है. लेकिन, दिलचस्प तथ्य यह है कि बीते 2 और आगामी 3 सालों में सबसे तेज विकास करने वाला माध्यम टीवी नहीं, डिजिटल मीडिया है. जिसकी इन 5 सालों में तरक्की की गति 24.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इससे भी ज्यादा रोचक बात यह है कि मनोरंजन के क्षेत्र में डिजिटल माध्यम भारत के सबसे चहेते मनोरंजन माध्यम सिनेमा को 2020 तक ओवरटेक करने वाला है. रिपोर्ट के अनुसार, जिस गति से डिजिटल माध्यम तरक्की कर रहा है, सिनेमा उद्योग के 19 हजार 200 करोड़ रुपए के आंकड़े के मुकाबले 2020 में उसकी संभावित कमाई 22 हजार 440 करोड़ रुपए होगी. 8वें दशक में आया, टीवी समाज के लिए सिनेमा के मुकाबले ज्यादा नया माध्यम है. मगर पारिवारिक मनोरंजन का माध्यम होने के कारण मध्यवर्ग का चहेता माध्यम बन गया.
बार्क की ताजा रपट के मुताबिक, देश के 29.8 करोड़ घरों में से 19.7 घरों में वह पहुंच चुका है. इन परिवारों के 83 करोड़ दर्शक आज भी उसके कब्जे में हैं. यह आंकड़ा डिजिटल टीवी के लिए सपने की तरह है. इसके बावजूद वह सैचुरेशन से बहुत दूर है. इसलिए उसकी विकास यात्रा ऐसे ही चलती रहेगी, इसका उसे विश्वास है.
आज भारत में मनोरंजन का परिदृश्य दिलचस्प होता जा रहा है. जियो ने बाजार के 44 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा जमा लिया है. भारत में मोबाइल कनैक्शन की संख्या मानवीय संख्या के बराबर पहुंचती जा रही है. 2015 के अक्तूबर में यह आंकड़ा 100 करोड़ के जादुई नंबर को पार कर चुका था.
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 50 करोड़ स्मार्टफोन उपभोक्ता हैं. फिक्की अंर्स्ट ऐंड यंग की मीडिया ऐंड एंटरटेनमैंट 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, यही 50 करोड़ उपभोक्ता भारत को जल्दी औनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग का सबसे बड़ा बाजार बना देंगे.
इस तरह डिजिटल सिनेमा और टीवी दोनों के लिए खतरा है. मगर, टीवी के लिए खतरा ज्यादा है. सिनेमा की ताकत अलग है. टीवी इस बात को पहचान चुका है. वह डिजिटल से प्रतिद्वंद्विता मोल लेने के बजाय तालमेल करके चलना चाहता है.
नैटफ्लिक्स का आगाज
शहरों पर केबल टीवी वालों का कब्जा हो गया. उसके बाद तेजी से टीवी देखने का कौन्सैप्ट बदला और अब भी बदल रहा है.
नैटफ्लिक्स दुनिया की टौप वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस है, जिसमें आप अपने स्मार्टफोन से ले कर स्मार्ट टीवी तक की स्क्रीन पर कंटैंट देख सकते हैं. ओरिजिनल वैब कंटैंट को नैटफ्लिक्स में क्रिएट किया जाता हैं, जिनमें से अधिकांश अब हाई रिजोल्यूशन वाले अल्ट्रा एचडी में उपलब्ध हैं. नैटफ्लिक्स लगभग 20 वर्षों पहले जब शुरू हुआ, तो यह एक सब्सक्रिप्शन बेस्ड डीवीडी सर्विस था जो आपके घर में सीधे डीवीडी मेल करता था. यह अभी भी ऐसा ही करता है, लेकिन 2007 में नैटफ्लिक्स ने इसकी स्ट्रीमिंग सर्विस शुरू की, जिसके बाद दर्शकों को हजारों औन डिमांड टीवी शो और फिल्मों को विज्ञापनमुक्त देखने की इजाजत मिल गई. 10 वर्षों बाद, नैटफ्लिक्स मनोरंजन में सबसे बड़े नामों में शुमार हो गया. इस का बेस लौस गैटोस, कैलिफोेर्निया में है और भारत सहित दुनियाभर के 40 देशों में यह औपरेट होता है. इस की सर्विसेस औन डिमांड आधार पर प्रदान की जाती हैं, जिस का अर्थ है कि लोग जिसकी मांग करते हैं, उन्हें वह कंटैंट उपलब्ध होता है. ये सर्विसेस फ्लैट रेट पर मुहैया कराई जाती हैं.
औनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग
भारत में तकरीबन 30 कंपनियां हैं जिनमें मुख्यतया नैटफ्लिक्स, अमेजन, हौटस्टार, वायकौम हैं जो अभी देश में वीडियो गेम्स और खेल संबंधित कंटैंट लोगों को उपलब्ध करवा रही हैं. अब एक और कंपनी शीमारू एंटरटेनमैंट लिमिटेड ने भी इस मैदान में उतरने का मन बना लिया है. इस कंपनी के पास लगभग 3,500 भारतीय फिल्मों का जखीरा है और वह इसे सालाना 3-5 फीसदी की दर से बढ़ाते हुए कई औनलाइन प्लेटफौर्म्स से लाइसैंस फीस ले कर इसके जरिए कमाई करना चाहती है. इन सब कंपनियों में से नैटफिल्क्स के पास सबसे ज्यादा ग्राहक हैं. दुनियाभर में 12 करोड़ ग्राहकों वाली कंपनी नैटफिल्क्स ने 31 दिसंबर, 2017 तक लगभग 50 लाख ग्राहक बना लिए हैं. रीड हेस्टिंग्स का मानना है कि भारत 10 करोड़ वीडियो कंटैंट देखने वाले ग्राहकों का बाजार बन सकता है.
भारत में औनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग का बाजार जल्द ही बदलने वाला है. समय आ गया है कि वीडियो कंटैंट और गेमिंग एप्लीकेशंस आपकी और हमारी जिंदगी में भीतर तक प्रवेश कर जाएंगी. अंर्स्ट ऐंड यंग की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 के मुकाबले साल 2017 में भारत में मीडिया और एंटरटेनमैंट का बाजार 13 फीसदी की बढ़त के साथ डेढ़ लाख करोड़ का हो गया.
यूट्यूब ओरिजिनल बनाम नैटफ्लिक्स-अमेजन
अब तक भारत में फ्री में फिल्म और गानों का कोई डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफौर्म रहा है तो वह है यूट्यूब. बिना किसी सब्सक्रिप्शन चार्जेज के यहां 50-60 के दशक से ले कर आज तक हर भाषा में देश का सिनेमा, शौर्ट फिल्में और सीरियल्स फ्री में उपलब्ध होते रहे हैं.
ऐसे में जब नैटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे ब्रैंड आ गए हैं तो उन्हें टक्कर देने और अपनी पुरानी दर्शक संख्या बरकरार रखने के लिए यूट्यूब कमर कस चुका है. इस क्रम में यूट्यूब फ्रांस, जर्मनी, जापान और मैक्सिको के अलावा भारत में भी अपने ओरिजिनल प्रोग्रामिंग, ‘यूट्यूब ओरिजिनल’ सर्विस को लौंच करने की प्लानिंग कर रही है. इस के जरिए यूट्यूब यूजर्स को अपनी पेड सब्सिक्रप्शन सर्विस की तरफ आकर्षित करेगा. दिलचस्प बात यह है कि यूट्यूब बाकी वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनियों की तरह महज फिल्म, सीरियल ब्रौडकास्टिंग तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि उसकी ओरिजिनल प्रोग्रामिंग में टौक शो, स्क्रिप्टिड सीरीज, रिऐलिटी सीरीज, म्यूजिकल डौक्युमैंट्री शोज आदि भी शामिल होंगे.यूट्यूब के लिए ओरिजिनल प्रोग्रामिंग के ग्लोबल हेड सुजाने डैनियल्स के मुताबिक, ‘‘ज्यादातर रीजनल प्रोग्राम भाषाओं में बनाए जाएंगे और सबटाइटल्स भी रखे जाएंगे. साथ ही यूट्यूब सभी कंटैंट को यूट्यूब प्रीमियम के लिए नहीं लाएगा. इसके बजाय इस में से कुछ ही कंटैंट यूट्यूब प्रीमियम पर होंगे जबकि बाकी ऐड के साथ यूट्यूब पर फ्री में उपलब्ध होंगे.’’फिलहाल वह साउथ कोरिया में कई ओरिजिनल कार्यक्रम और भारत में एक हिंदी टौक शो अनक्रिकेट रिलीज कर चुका है. जाहिर है यूट्यूब का यह प्लानपेपर अमेजन प्राइम वीडियो और नैटफ्लिक्स को चुनौती देगा.
स्मार्टफोन की अहम भूमिका
भारत में स्मार्टफोन की क्रांति इस के पीछे एक अहम कारण है. आज भारत का स्मार्टफोन बाजार दुनिया में दूसरे नंबर पर आ गया है. जानकारों का मानना है कि इस साल देशभर में लगभग 50 करोड़ ग्राहक इंटरनैट से जुड़ जाएंगे और इसमें स्मार्टफोन सबसे बड़ा कारक है. दुनियाभर में लोग पढ़ने की अपेक्षा वीडियो देखने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. जाहिर है कि ऐसे माहौल में भारत वीडियो सर्फिंग और गेमिंग एक बड़ा बाजार बन जाएगा. तीसरा अहम कारण है कि भारत के देशी कंटैंट का अब इंटरनैट पर उपलब्ध होना. भारतीय भाषाओं में कंटैंट की उपलब्धता ने मीडिया और एंटरटेनमैंट के बाजार में इजाफा किया है.
इंटरनैट प्रोवाइडर्स की औफरबाजी
वीडियो स्ट्रीमिंग का बाजार सिर्फ इंटरनैट पर ही निर्भर है. बिना इसके इनका कोई अस्तित्व नहीं है. जाहिर है भारत में इंटरनैट प्रोवाइड करने वाली ज्यादातर टैलीकौम कंपनियां अलग-अलग प्लान्स पर पैकेज देती हैं. जियो के आने के बाद इंटरनैट पैकेज का सारा गणित बदला और अनलिमिटेड डाटा कम से कम दामों में उपभोक्ताओं को मिलने लगा. इस बात की तसदीक ऐसे भी होती है कि एक समय नैटफ्लिक्स ने भारत में आने से इनकार कर दिया था लेकिन कुछ सालों बाद जब जियो की सर्विस भारत में लौंच हुई तो इस के अधिकारियों ने जियो को धन्यवाद दिया. अब जब नैटफ्लिक्स, अमेजन, वीवू, सोनी लिव, एएलटी बालाजी जैसी स्ट्रीमिंग फर्म्स मार्केट में मौजूद हैं तो इसका फायदा इंटरनैट प्रोवाइडर कंपनियां भी उठाती दिख रही हैं. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब एयरटेल ने अपने पोस्टपेड यूजर के लिए एक औफर के तहत नैटफ्लिक्स की फ्री मैंबरशिप दी थी. इसके लिए एयरटेल ने बाकायदा नैटफ्लिक्स के साथ पार्टनरशिप की. भारती एयरटेल के सीईओ ने भी यह स्वीकार किया था कि यह पार्टनरशिप कंपनी की मुख्य रणनीति का ही एक हिस्सा है. हाई स्पीड डेटा सर्विस और बढ़ते स्मार्ट डिवाइस अंतर्राष्ट्रीय व स्थानीय दोनों स्तर पर नए अवसर पैदा कर रहे हैं और वे इसका पूरा फायदा उठाने के लिए तैयार हैं. कुछ महीनों की फ्री मैंबरशिप का यह आइडिया अगर चल निकला तो बाकी कंपनियां भी अन्य स्ट्रीमिंग साइट्स के साथ नए-नए करार करेंगी.
क्यों है क्रेज
वैब सीरीज में खास यह है कि यहां ब्रेक का झंझट नहीं है. वैब सीरीज को तुगलकी सैंसरशिप से नहीं जूझना पड़ता, न ही सैंसर बोर्ड से पास होने का इंतजार करना पड़ता है. उसमें आप अपनी रचनात्मकता खुल कर दिखा सकते हैं. ऐसा नहीं है कि इस में केवल वही कलाकार काम कर रहे हैं जिन्हें बौलीवुड में मौका नहीं मिल रहा है, सितारों को भी अब समझ आ गया है कि यह भविष्य की विधा है, इसलिए कई बड़े स्टार भी काम करने लगे हैं. ‘सेके्रड गेम्स’ को ही लीजिए, इस में सैफ अली खान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी व राधिका आप्टे हैं. इसमें कई बौलीवुड स्टार भी काम कर चुके हैं, जिनमें कल्की कोचलिन, स्वरा भास्कर, करणवीर मेहरा, परिणीति चोपड़ा, कुणाल कपूर, भूमि पेडणेकर, रिचा चड्ढा, रिया चक्रवर्ती, अली फजल और आर माधवन जैसे कलाकार शामिल हैं.अब तो फिल्मों के डाइरैक्टर भी वैब सीरीज में आ रहे हैं. अनुराग कश्यप की ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ को भी वैब सीरीज में तबदील कर अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया जा रहा है, जिसे खुद अनुराग कश्यप ने 8 हिस्सों की एक वैब सीरीज का फैलाव दिया है. टेलीविजन की महारानी एकता कपूर भी एक वैब सीरीज ले कर आई हैं, जिस में फिल्म ‘एयरलिफ्ट’ स्टार निम्रत कौर हैं. साथ ही, ‘बाजीराव मस्तानी’ का निर्माण करने वाला स्टूडियो इरोस नाउ एकसाथ तकरीबन 6 वैब सीरीज पर काम कर रहा है. यही नहीं, देश के सब से बड़े फिल्म निर्माताओं में से एक यशराज फिल्म्स अपनी एक निर्माण शाखा वाय फिल्म्स के माध्यम से वैब सीरीज बना रहे हैं. नैटफ्लिक्स ने देश में कई गेम्स सीरीज शुरू करने की घोषणा की है. इस की पहली कड़ी में वह एक भारतीय कंपनी के साथ बौलीवुड अभिनेता सैफ अली खान को ले कर भारत के धार्मिक पात्रों पर आधारित एक गेम बनाने जा रही है. भारत में मौजूद वीडियो औन डिमांड प्लेयर्स जैसे हौटस्टार, नैटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो ने हिंदी और दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में डिजिटल कंटैंट बनाने में भारी पैसा लगाया है. वीडियो औन डिमांड या ओटीटी प्रोवाइडर्स और प्रोडक्शन हाउस की डिमांड बढ़ने की वजह से टीवी ब्रौडकास्टर्स ने अपना डिजिटल मीडिया प्लेटफौर्म शुरू कर दिया है. इस में हौटस्टार, डिट्टो टीवी, ओजी, वूट, सोनीलिव शामिल हैं. इसके अलावा, इरोज और बालाजी भी डिजिटल मीडिया में कूद पड़े हैं. बालाजी ने हाल में ही में बालाजी एएलटी शुरू किया है. जी 5 ने डिजिटल प्लेटफौर्म पर एंटरटेनमैंट से जुड़ी मूल सामग्री पेश करने के क्षेत्र में प्रवेश कर लिया है. इस के साथ ही जी 5 भारत में सब से बड़ा कंटैट हब बन गया है. जी 5 ओरिजिनल पर करीब 20 ऐसे कंटैट पेश किए जाएंगे जो इस की खास प्रस्तुति रहेगी जो ऐक्शन, सस्पैंस, थ्रिलर, बायोपिक और कौमेडी से भरपूर होगी. खास बात यह है कि इन सभी को करीब 6 भाषाओं में प्रस्तुत किया जाएगा.
पायरेसी और इंटरनैट स्पीड बिगाड़ रही है खेल
भले ही नैटफ्लिक्स दुनियाभर में डिमांडिंग ब्रैंड माना जाता हो और ताबड़तोड़ कमाई कर रहा हो लेकिन भारत में इस की राह आसान नहीं है. इस के पीछे असली कारण है पैसा. विदेशों में लोग कोई भी कंटैंट या सर्विस मुफ्त में लेना पसंद नहीं करते जबकि अपने यहां मुफ्त में खाने का चलन है. इसलिए आज पत्रिका खरीदने से बचने वाली जेनरेशन फ्री ईबुक्स और वीडियो जम कर देखती है. जाहिर है नैटफ्लिक्स और अन्य स्ट्रीमिंग सर्विस कंपनियों का कंटैट भी इंडिया में फ्री में ज्यादा देखा जा रहा है, वह भी पायरेसी के जरिए.
दिल्ली के लक्ष्मीनगर इलाके में चले जाइए. वहां मोबाइल की दुकानों के आगे लैपटौप लिए बैठे लड़के नैटफ्लिक्स और अमेजन की हर सीरीज के सारे सीजन पैनड्राइव में मात्र 10 रुपए में दे रहे हैं. बाद में ये कंटैंट दोस्तयारों से होता हुआ सब जगह फ्री में शेयर होता रहता है. दूसरी वजह इंटरनैट सेवाओं की स्पीड भी है. अमेरिका और अन्य कई देशों की तुलना में यहां यह स्पीड बहुत ही कम है तथा 4जी की आमद के बावजूद इस में बहुत जल्दी किसी बेहतरी की संभावना नहीं दिखाई देती है. जबकि नैटफ्लिक्स ने साफ कहा है कि इस में मूवीज देखने के लिए कम से कम 5 एमबीपीएस के कनैक्शन की दरकार है. टैलीकौम टौक के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 45 फीसदी इंटरनैट यूजर्स के पास 1 से 3 एमबी प्रति सैकंड की स्पीड का कनैक्शन है. 30 फीसदी यूजर्स एक एमबी प्रति सैकंड से कम स्पीड वाले कनैक्शन से काम चलाते हैं और 50 एमबी प्रति सैकंड से अधिक स्पीड के कनैक्शन रखने वालों की संख्या एक फीसदी से भी कम है. सामान्यतया नैटफ्लिक्स की हाई डैफिनीशन सेवाओं का समुचित ढंग से आनंद उठाने के लिए उपभोक्ता के पास 8 एमबी प्रति सैकंड स्पीड का कनैक्शन और 100 जीबी प्रतिमाह का डाटा होना चाहिए. ऐसे कनैक्शन के लिए 2 हजार रुपए से अधिक शुल्क की सेवाएं लेनी होंगी. इस सेवा के लिए नैटफ्लिक्स की दरें भी अधिक हैं. भारत में डीटीएच का व्यापक प्रसार है. ऐसे में इन तमाम कठिन प्रतिस्पर्धाओं से नैटफ्लिक्स को जूझना होगा.
-साथ में राजेश कुमार