नीलेश सिंह सिसोदिया
अंडरवियर यूं तो पैंट के नीचे पहनी जाती है. जिस पर पहले कोई खास ध्यान नहीं देता था. पर समय बदला और बदला कपड़ों का फैशन जिसने अंडरवियर को खास जगह दे डाली. अब पेंट और शर्ट की तरह ही अंडरवियर अलग-अलग स्टाइल और डिजाइन में मार्किट में मौजूद है. इस ग्लैमराइज होते समाज में अंडरवियर की एक अगल इंमपोर्टेंस हो गई है. पर इस इंपोर्टेंस के चलते हम कही अपनी सेहत के साथ तो संझौता तो नही कर रहे?
अंडरवियर कुछ मायनों में स्वास्थ से भी जुड़ी है. एक रिसर्च के मुताबिक अंडरवियर का चुनाव पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है. लेकिन क्या पुरुषों की जेब और उनके जांघे के बीच भी कोई रिश्ता हो सकता है? अमरीका के दिग्गज अर्थशास्त्री ‘एलन ग्रीनस्पैन’ ने कभी कहा था कि अर्थव्यवस्था की सेहत का अंदाजा पुरुषों के जांघिये की बिक्री से लगाया जा सकता है. खैर जो भी हो अंडरवियर का आज के दौर में एक विशेष महत्व है, जिससे जुड़े कई पहलुओं की हमें जानकारी होनी चाहिए.
एक रिसर्च बताती है कि बहुत उच्च तापमान शुक्राणु के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. इसी कारण हाल ही में पुरुषों को शुक्राणुओं की संख्या या एकाग्रता में कमी के डर से अंडरवीयर पहनने से बचने के लिए कहा गया. हालांकि, हाल ही के दो अध्ययनों के अनुसार, अंडरवियर का चुनाव से इस बात पर कोई फर्क नही पड़ता.
फ्रांस में हुए एक शोध में बताया गया था कि 1990 के दशक के बाद से पूरे विश्व में स्पर्म काउंट यानी प्रति मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या घट गई है. इतना ही नहीं इस दौरान शुक्राणुओं की गुणवत्ता में भी कमी आयी. इस शोध में पाया गया है कि 1985 से 2005 के बीच पुरुषों में स्पर्म काउंट में 30 प्रतिशत तक की कमी दर्ज हुई है. सोध के अनुसार स्वस्थ शुक्राणु भी वर्तमान में आसानी से नहीं मिल पा रहे हैं.
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