जले हुए तेल का साइड इफेक्ट इतना है कि दिल की तीनों नलियों ब्लौक हो जाती है और मरीज की जान पर बन जाती है. IGIMS में ऐसी ही 50 महिलाओं की एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी. इनमें ज्यादातर महिलाएं ग्रामीण इलाके की हैं. बिहार के एक गांव में तो एक बाप-बेटे को जला हुआ तेल खाने से उनके दिल को इतना नुकसान हुआ कि दोनों की एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी. ये तथ्य आईजीआईएमएस की कैथ लैब में पिछले दो साल में मरीजों पर किए गए परीक्षण में सामने आया है.
संस्थान के हृदय रोग विभाग के डाक्टरों का कहना है कि कैथ लैब में आने वाले मरीजों के परीक्षण में पाया गया कि ज्यादातर मरीज अनियमित दिनचार्या, दूषित भोजन, मधुमेह और ब्लडप्रेशर से पीड़ित थे. इस वजह से उनके दिल में खराबी आई. दो साल में 3000 मरीजों की एंजियोग्राफी, 800 को एंजियोप्लास्टी व 350 मरीजों में पेस मेकर लगाया गया जबकि 50 के दिल के छेद को बंद किया गया. आश्चर्यजनक बात यह रही कि जिन 800 महिलाओं की एंजियोग्राफी की गई उसमें 50 ऐसी थी जिनका दिल जले हुए तेल को खाने से खराब हुआ था.
डाक्टरों का कहना है कि प्राय: यह माना जाता है कि मेनोपौज के बाद हार्मोन के कारण महिलाओं का दिल ठीक रहता है लेकिन उनमें ऐसा नहीं हुआ. डाक्टरों का कहना है कि 2005-06 में प्रदेश में शहरी क्षेत्र में दिल के मरीजों की संख्या 5-7 प्रतिशत तथा ग्रामीण इलाके में 2-3 प्रतिशत होती थी लेकिन 2016 में इस आंकड़े में बदलाव हो गया है. अब शहरी क्षेत्र में आठ से दस तथा ग्रामीण इलाके में सात प्रतिशत तक दिल से पीड़ित मरीज हैं.
यह तथ्य सामने आए हैं
शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों की संख्या का फासला कमा
दूषित भोजन व तंबाकू के सेवन से कमजोर हो रहा हृदय
दो साल में 3 हजार मरीजों की एंजियोग्राफी हुई
50 मरीजों के हृदय के छेद को बंद किया गया
क्या होता है जले हुए तेल में
अध्ययन टीम में शामिल डाक्टर का कहना है कि तेल जलने के बाद उसमें ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. तेल जितनी बार जलेगा उतना ही ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा बढ़ेगी. यह पदार्थ हृदय में चर्बी को बढ़ा देता है, जिससे खून प्रवाहित होने वाली मुख्य तीन नलियों में ब्लौकेज आ जाती है. डाक्टरों ने लोगों को ज्यादा तिसी का तेल नहीं खाने की सलाह दी है क्योंकि इसमें फैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है जिससे हृदय की खून की नलियां ब्लॉक हो जाती हैं.