तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुरसी पर काबिज अरविंद केजरीवाल की आवाज अब भारतीय जनता पार्टी के सुप्रीमो व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में नहीं, बल्कि सहानुभूति में उठने लगी है. वे मोदी की तारीफ करते नहीं अघाते.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम बैठक के बाद एक ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लौकडाउन बढ़ा कर सही फैसला किया है. आज भारत कई विकसित देशों से बेहतर हालत में है, क्योंकि हम ने शुरुआत में ही लौकडाउन कर दिया था. अगर हम इसे अभी हटाते हैं तो इस से अब तक हुए फायदे बेकार चले जाएंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि लौकडाउन से कोई भी जिला कोरोनामुक्त नहीं होने वाला है. जब तक दवाई नहीं आएगी, कोई जिला या राज्य या फिर पूरी दुनिया कोरोनामुक्त नहीं होगी. जब दवाई आएगी तब देखा जाएगा. अभी तो हमें कोरोना के साथ जीने के लिए 2 चीजें करनी है- पहली – इस के फैलाव को रोकना है और दूसरी – मौत पर कंटोल करना है.

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मोदी सरकार की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 2 महीने के लौकडाउन के बाद अब अर्थव्यवस्था को खोल कर बहुत अच्छा काम किया गया.

कोरोना संकट और लौकडाउन को ले कर मोदी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल काफी खुश हैं. उन्होंने इस बात को माना कि केंद्र की ओर से अधिकतर गाइडलाइन अच्छी हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन काफी फायदेमंद रहीं. हेल्थ सैंटर, कोरोना सैंटर, कोविड 19 अस्पताल, फिर होम क्वारंटीन की गाइडलाइन जारी करने सम्बंधी सभी चीजें बातचीत कर के चल रही हैं. हम ने उन्हें आइडिया दिया था.

भले ही अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर लें, पर एक समय वह भी था जब उन को मोदी की हर बात गलत लगती थी, चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक का मुद्दा हो या सीएए का मुद्दा. फिर अब… उन का इस तरह तारीफ करना शायद वे मोदी से फिलहाल भिड़ने से बच रहे हैं.

पर सच तो यह है कि आने वाले दिनों में यह उन के लिए आत्मघाती साबित होगा क्योंकि जनता से किए वादे दरकिनार जो हो गए हैं, जिस के दम पर वे मुख्यमंत्री की कुरसी पर काबिज हुए थे.

मोदी सरकार की तारीफ करने के साथ ही उन्होंने कहा कि लौकडाउन बढ़ाना कोरोना का इलाज नहीं है, बस यह इस को फैलने से रोकता है.

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अगर यह सोचें कि किसी एरिया या राज्य में पूरी तरह से लौकडाउन कर दिया और वहां केस जीरो हो जाएंगे, मुश्किल है. ऐसा तो पूरी दुनिया में हो रहा है. अमेरिका, स्पेन, इटली और यूके भी इस बीमारी से अछूते नहीं हैं. इसे ले कर लोगों के अंदर एक डर बैठ गया है. जिस दिन मौत का डर निकल जाएगा, उस दिन लोगों के मन से कोरोना का डर भी खत्म हो जाएगा.

उन्होंने आगे कहा, “अगर हम दिल्ली को लौकडाउन कर के छोड़ दें तो केस खत्म नहीं होने वाले. लौकडाउन कोरोना को कम करता जरूर है, पर खत्म नहीं. इसलिए अर्थव्यवस्था को खोलने का समय आ गया है. इस के लिए दिल्ली तैयार है.”

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी परेशानी जाहिर करते हुए कहते हैं कि अगर लौकडाउन के बाद भी पौजिटिव केस बढ़ते हैं तो हम लोगों को इस के लिए तैयार रहना होगा. केंद्र सरकार को चाहिए कि पूरी तैयारी के साथ धीरेधीरे राज्यों से लौकडाउन खोले. जो रेड जोन हैं, केवल उन इलाकों को बंद रखना चाहिए.

दिल्ली ने कोरोना महामारी के दौरान बड़ी मुश्किल लड़ाई लड़ी. वे कहते हैं कि कोरोना से बचाव ही बेहतर इलाज है. पर हमें जीने की आदत बदलनी होगी.

उन्होंने कहा कि कोरोना ने सिखा दिया है कि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत रखो. इसलिए हमें भी अपने यहां मैडिकल रिसर्च को और मजबूत बनाना होगा.

ऐसा नहीं है कि चिंता की लकीरें सिर्फ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर ही दिख रही हैं, ऐसी चिंताओं से हर राज्य के मुख्यमंत्री जूझ रहे हैं.

एक ओर जहां पूरे देश की अर्थव्यवस्था चौपट है, वहीं आम लोगों के जीवन में भी उथलपुथल मची हुई है कि हमारा जीने का ढर्रा किस तरह का होगा. जिन लोगों की रोजीरोटी चली गई, उन्हें नए सिरे से पहल करनी होगी. गांवों की तरफ पलायन कर चुके अप्रवासी मजदूरों को वापस लाना होगा, तभी रोजगार का पहिया पुराने ढर्रे पर चल सकेगा.

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अर्थव्यवस्था को ले कर सरकार का परेशान होना लाजिम है, वहीं कारोबार को पटरी पर लाना भी किसी चुनौती से कम नहीं.

उन्होंने मोदी के साथ सुर मिलाने में ही अभी तो अपनी भलाई समझी है, पर यदि जनता मोदी सरकार से नाराज़ हो गई तो उसका खामियाजा केजरीवाल को भी भुगतना पड़ सकता है. आमतौर पर जरूरत से ज्यादा शक्तिशाली नेताओं के आगे जूनियर नेता सरेंडर कर ही देते हैं. अतः आने वाले दिनों में उन का इस तरह सुर मिलाना आत्मघाती साबित होगा.

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