राजू की शादी विगत वर्ष मुन्नी के साथ हुवी थी.दोनों के परिवारवाले काफी खुश थे. पहले दिन जब राजू ने शारीरिक सम्बन्ध बनाया तो योनि से रक्तस्राव नहीं हुआ. राजू को साथी दोस्तों से मालूम था कि पहली बार सेक्स करने के बाद अगर रक्तस्राव नहीं हुआ तो समझना की लड़की पहले ही किसी लड़के के साथ शारीरिक सम्बन्ध बना चुकी है.वह उसी रात्रि से मुन्नी से नफरत करने लगा.उसने मुन्नी से पूछा भी क्या तुमने किसी लड़के के साथ सम्बन्ध बनायी हो अगर बनायी हो तो सच सच बता दो.मुन्नी राजू का पैर पकड़ कर बोलने और गिड़गिड़ाने लगी मैंने किसी लड़के के साथ सम्बन्ध नहीं बनायी हूँ.मुन्नी जब अपने मैके गयी तो शर्म की वजह से किसी को बता नहीं पायी.शादी के दो वर्ष बीतने के बाद राजू पुनः मुन्नी को अपने घर ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ तो मुन्नी के पिता ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर दिया.कोर्ट ने मुन्नी के पक्ष में फैसला सुनाया.आज मुन्नी ससुराल में है लेकिन राजू के मन में एक कसक और टीस है कि मुन्नी चरित्रहीन है.राजू जैसे ग्रामीण क्षेत्र के कम पढ़े लिखे और कम उम्र में शादी हुवी लड़कों को इन चीजों की जानकारी नहीं होती.
मदन की शादी हुवी.वह सुहागरात के दिन पहले से ही काफी डरा हुआ था कि मैं हस्तमैथुन बहुत करता हूँ तो अपनी पत्नी को सन्तुष्ट नहीं कर पायूँगा.हस्तमैथुन के सम्बन्ध में उसके मन में बहुत सारी भ्रांतियां थी.हुआ भी वही डर और अवसाद की वजह से वह अपनी पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध नहीं बना पाया.एक सप्ताह तक पत्नी रही परन्तु वह सफल नहीं हो सका.वह जब मैके गयी तो अपनी माँ से बतायी लड़का नपुंसक है.लड़की के माता पिता ने निर्णय लिया की अब उस लड़के के साथ इसकी जिंदगी नहीं बीत पायेगी.उसके बाद दूसरे लड़के के साथ शादी कर दी।मदन के माता पिता ने जब मनोचिकित्सक से दिखाया तो उसकी भी बीमारी समाप्त हो गयी और दूसरी शादी जब मदन की हुवी तो वह सफल हो गया.मदन को आज दो बच्चे भी हैं और सफलतापूर्वक अपना परिवार चला रहा है.
संजय की इसी वर्ष शादी हुवी है.शादी के बाद वह दुबला हो गया है.उसके परिवार और गाँव वाले उसे कहने लगे तुम क्यों दुबले होते जा रहे हो.उसी गाँव में एक महात्मा यज्ञ कराने के लिए आये हुवे थे.परिवार वालों ने संजय को महात्मा जी के पास ले गए और समस्या को बताये.महात्मा ने संजय को बताया की अगर तुम स्वस्थ रहना चाहते हो तो संयम से रहो.औरत के साथ माह में एक बार शारीरिक सम्बन्ध बनाओ.उपस्थित लोग भी संजय को महात्मा जी के बात को मानने पर बल देने लगे।संजय और कमजोर होते चला गया.उसके बाद जब डॉक्टर को दिखाया तो ब्लड जाँच से पता चला की संजय को सुगर की बीमारी है.
उक्त चन्द उदाहरण हैं.समाज में ब्याप्त सेक्स से सम्बंधित भ्रांतियों का.चर्चा करते हैं.समाज में ब्याप्त सेक्स से सम्बंधित भ्रांतियां और अंधविस्वास का.
सेक्स से सम्बंधित बहुत सारी भ्रांतियां हमारे समाज में ब्याप्त है. सेक्स से सम्बंधित चर्चा करना आज भी लज्जा और शर्म की बातें समझी जाती है. बहुत सारे लोगों को यौन रोग हो जाता है तो उसे शर्म से किसी को नहीं बता पाते और मर्ज बढ़ता चला जाता है.यौन रोग को गुप्त रोग कहते हैं और उसे गुप्त ही रहने देते हैं किसी को बताते तक नहीं.सेक्स को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां मनोरोग का भी बड़ा कारण बन रही है.समाज में सेक्स को लेकर जागरूकता का अभाव है.सेक्स से सम्बंधित समाज,परिवार में इस पर कोई बात नहीं करना चाहता .स्कूलों में भी सेक्स से सम्बंधित कोई शिक्षा नहीं दी जाती .युवा वर्ग अपनी जिज्ञासा को मिटाने के लिए अपने साथी ,इंटरनेट ,सोशल मीडिया का सहारा लेता है.
सेक्स से सम्बंधित बहुत सी भ्रांतियां है जिसके लिए उचित शिक्षा की जरूरत है.भ्रांतियां का वास्तविकता के साथ दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं होता मगर यह भ्रांतियां सेक्स समस्या को और गहरा कर देती है.
आम युवा लोग के बीच आम धारणा है कि जब हम पहली बार लड़की से सम्बन्ध बनाते हैं तो योनी से रक्तस्राव जरूरी है.
लेकिन सच्चाई है कि पहली बार संभोग करते समय कोई जरूरी नहीं की योनी से रक्तस्राव हो ही क्योंकि सायकिल चलाने, रस्सी फांदने या अन्य शारीरिक श्रम करने के दौरान योनी की झिल्ली फट सकती है.ऐसी स्थिति में पहली बार संभोग के दौरान रक्त नहीं निकलता.
लोगों में यह भ्रांतियां और अंधविस्वास है कि हस्तमैथुन करने से आँखों की रौशनी कम हो जाती है.लिंग टेढ़ा हो जाता है.आप पिता नहीं बन सकते.कमजोर और नपुंसक हो जाता है.
लेकिन वास्तविकता यह है कि हस्तमैथुन एक सामान्य शारीरिक क्रिया है.इससे रक्त संचार में सुधार होता है.तनाव अवसाद और संक्रमण से बचाव होता है.प्रोस्टेट कैंसर से बचाव सहित सहित शरीर की प्रतिरक्षण शक्तियों में बढ़ोतरी.
महिलाओं को भी हस्तमैथुन करने से किसी प्रकार का कोई हानि नहीं होती है.लाभ ही होता है.
शरीर में जब बीर्य की मात्रा बढ़ जाती है और किसी माध्यम से जब नहीं निकलता है तो सोने के दौरान स्वप्न के दौरान वीर्य स्खलित हो जाता है.आम लोगों के बीच धारणा है कि स्वप्नदोष से कमजोरी होती है.स्वप्नदोष एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें वास्तविक संभोग के बिना ही रति आनंद की प्राप्ति होती है.नीम हकीम झोला छाप डॉक्टर युवकों में भय पैदाकर इलाज के नाम पर लूटते हैं.
लेकिन वास्तविकता है कि स्वप्नदोष से मन हल्का हो जाता है.अवसाद से लोगों को मुक्ति मिलती है.
संभोग के दौरान जो लोग शीघ्र स्खलित हो जाते हैं.वो समझते हैं कि यह बीमारी है और इलाज पर निम–हकीम और तरह तरह के दवाओं का सेवन करते रहते हैं.सेक्स पॉवर बढाने वाली बहुत सारी दवायें बाजार में उपलब्ध है जिसका बहुत सारा साईड इफेक्ट है.
आमलोगों के बीच धारणा है कि लिंग का छोटा होने की वजह से पुरुष और स्त्री को सेक्स के दौरान आनंद नहीं आता.
सेक्स विशेषज्ञो का कहना है कि यौन सन्तुष्टि और आनंद के लिए लिंग के छोटा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता.
आमलोगों के बीच यह धारणा है कि कंडोम का प्रयोग करने से सेक्स में आनंद नहीं आता जबकि सच्चाई यह है कि कंडोम यौन रोग से तो बचाता ही है.सेक्स के दौरान आनंद भी अधिक आता है.
महिलाओं को खाने वाली गर्भ निरोधक ओरल पिल्स के सम्बन्ध में भी लोगों के अंदर विस्वास और धारणा है कि जो महिलायें इसका उपयोग करती हैं और जब वे चाहती हैं कि गर्भधारण करें तो गर्भधारण नहीं कर पाती जबकि इसमें सच्चाई नहीं है.
आमलोगों के बीच यह धारणा और विस्वास को साधु सन्यासियो नीम हकीमों द्वारा भी फैलाया जाता है कि एक हजार खून के बूँद से एक बून्द बीर्य बनता है. जब यह वीर्य हमारे शरीर से बाहर निकलता है तो हमें कमजोरी महसूस होती है.उनलोगों के द्वारा बताया जाता है कि हमे संयम से रहनी चाहिए यानि की सेक्स नहीं करनी चाहिए जिससे हम ज्यादा स्वस्थ और ताकतवर बने रहेंगे.
जबकि सच्चाई यह है कि जब हम सेक्स करते हैं तो उससे हमें आनंद और ख़ुशी मिलती है. वीर्य की मात्रा जब हमारे शरीर में बढ़ता है तो किसी न किसी माध्यम से बाहर निकल ही जाता है. अगर हम सेक्स नहीं करते तो स्वप्नदोष के माध्यम से भी बाहर निकल जाता है. जिस तरह से मनुष्य के लिए भोजन की आवश्यकता है.सेक्स की भी इक्षा हर पुरुष स्त्री को होता है. सेक्स भी मनुष्य के जीवन का अहम हिस्सा है. जीवन के आनंद के लिए सेक्स जरूरी है.