सबसे अधिक छह बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले नितीश कुमार भारतीय राजनीति मे सत्ता के लिए सबसे अधिक रंग बदलने वाले चेहरे भी हैं. उनके पास सुशासन का तमगा, केवल मंचों से नैतिकता का पाठ पढ़ाने और आश्वासन देने का हुनर भी है. नितीश जब सफेद मुस्लिम टोपी और हरे गमछे मे होते थे तब भी उनके पास सत्ता थी और केसरिया साफे और गमछे के साथ भी सत्ता है. इससे जाहिर है कि वह देश‌ के ऐसे नेता हैं जो सत्ता के लिए कभी भी रंग बदल सकते हैं. जबकि वह खुद आज भी मंचों से सबसे अधिक नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं.

बहुत पीछे जाने की जरूरत नही है.नितीश ने मुस्लिम वोटर्स को रिझाने के लिए ट्रिपल तलाक़ और जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का विरोध किया था. यहां तक कि तीन तलाक और आर्टिकल 370 के मुद्दे पर वोटिंग के दौरान दोनों सदनों से उनकी पार्टी के सांसद वॉकआउट कर गए थे. बिहार विधान सभा मे एनआरसी और एनपीआर लागू न करने का प्रस्ताव पास करवाने वाले नितीश कुमार की पार्टी ने केंद्र में सीएए का समर्थन किया, राज्यसभा और लोकसभा मे उनके सांसदों ने वोट किया. यहां तक की राज्य सभा मे उनके मुस्लिम सांसदों ने भी वोट किया.

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वहीं साल 2010 के नितीश कुमार सब को याद होंगें, जब वह हर कुछ महीनों में केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार के पास बिहार के मदरसों के अनुदान का प्रस्ताव भेजते थे. मनमोहन सरकार उसे बार बार नकार देती थी. केंद्र में सत्ता बदली तो यही नितीश केसरिया साफे में आ गये और अपने पुराने प्रस्ताव को भूल गए. आपको ये भी बता दें कि ये वही नितीश हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी का 10 साल से ज्यादा का सत्ता का साथ छोड़ कर अपने धुर विरोधी लालू यादव का, जिनको वह डेढ़ दशक से ज्यादा समय से कोसते आए थे, हाथ थाम लिया था.

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