भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल और असम चुनाव में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया है. मुसलिम वर्ग वहां असर वाला माना जाता है. वहां रहने वालों में बड़ी तादाद में बिहार के लोग भी शामिल हैं. ऐसे में भाजपा ने 17 साल बाद शाहनवाज हुसैन को प्रमुखता देने का काम किया है. इस के जरीए वह पश्चिम बंगाल और असम के मुसलिमों को बताना चाहती है कि उन की चिंता भी उसे है.
दूसरी तरफ बिहार में नीतीश कुमार पर राष्ट्रीय जनता दल हमलावर है. उन को ‘निर्लज्ज कुमार’ का नाम दे कर 5 साल तक विधासभा के बौयकौट का नारा दिया गया है. कमजोर पड़ते नीतीश कुमार को भाजपा भी बिहार से दूर करना चाहती है. इस के लिए भाजपा की बहुतकुछ रणनीति पश्चिम बंगाल और असम के चुनाव नतीजों पर निर्भर करती है. असम और पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद बिहार में भी राजनीतिक दंगल देखने को मिलेगा.
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नया नाम ‘निर्लज्ज कुमार’ रख दिया है. तेजस्वी यादव का कहना है कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक की चर्चा के दौरान विधानसभा में मौजूद विधायकों को जिस बुरी तरह से मारापीटा गया और उन की बेइज्जती की गई, उसे शब्दों में बताया नहीं जा सकता है.
तेजस्वी यादव ने ये बातें अपने ट्विटर हैडिंल पर बताईं. उन्होंने लिखा, ‘महिला विधायक अनीता देवी नौनिया के पैर में चोट लगी. उन का ब्लाउज पकड़ कर घसीटा गया. उन के साथ बताई न जा सकने वाली बदसुलूकी की गई. जिस समय विधानसभा में यह हो रहा था, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के चरणों में बैठ कर आनंद ले रहे थे.’
तेजस्वी यादव ही नहीं, दूसरे कई विधायकों ने भी इस बात की शिकायत की. विधायक सत्येंद्र कुमार ने कहा, ‘एसपी ने मेरी छाती पर पैर रख कर मारा.’
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इस घटना के विरोध में तेजस्वी यादव ने कहा, ‘अगर सीएम नीतीश कुमार ने घटना पर माफी नहीं मांगी तो वे 5 साल तक विधानसभा का बौयकौट करेंगे.’
किसी विरोधी नेता द्वारा 5 साल तक विधानसभा के बौयकौट का यह पहला मामला है. वैसे, पिछले कुछ सालों में विधानसभा में मारपीट की तमाम घटनाएं हुई हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, पर किसी विपक्षी नेता द्वारा 5 साल तक विधानसभा का बौयकौट पहली बार हो रहा है.
राजद और बिहार सरकार के बीच विधानसभा में मारपीट का मामला नाक का सवाल बन गया है. राजद के नेता तेजस्वी यादव ही नहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी इस घटना को ले कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए अपने ट्विटर पर लिखते हैं, ‘लोहिया जयंती के दिन कुकर्मी आदमी कुकर्म नहीं करेगा तो कुकर्मी कैसे कहलाएगा?’
लालू प्रसाद यादव अपने ट्विटर पर आगे लिखते है, ‘जब पुलिस विधानसभा में घुस कर विधायकों को मार सकती है, तो सोचिए जब उन के घर पर जाएगी तो क्या करेगी.’
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी अपने ट्विटर पर लिखा, ‘तुम ने आज जो चिनगारी भड़काई है, वह कल तुम्हारे काले सुशासन को जला कर राख कर देगी.’
इस घटना को ले कर तमाम ऐसे वीडियो भी सोशल मीडिया पर दिखे, जिन में पुलिस महिला विधायक को घसीट कर ले जा रही थी. सरकार की तरफ से दावा किया गया कि राजद के विधायक विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा में आने से रोक रहे थे. विधायकों के हमले से उन्हें बचाने के लिए यह किया गया.
तेजस्वी यादव और लालू परिवार के विरोध पर बिहार के मुख्यमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. नीतीश कुमार की खामोशी की वजह यह है कि वे इस घटना को तूल नहीं देना चाहते हैं, जबकि तेजस्वी यादव इस बात को मुद्दा बनाना चाहते हैं. आने वाले दिनों में यह मुद्दा बिहार में राजनीति का नया अखाड़ा बनेगा.
क्या है बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021
बिहार विधानसभा में मारपीट की घटना का कारण राजद के विधायकों द्वारा बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 का विरोध किया जाना था. राजद और बाकी विपक्ष जैसे कांग्रेस और वाम दलों का कहना है कि नीतीश सरकार इस विधेयक की आड़ में पुलिस को विशेष अधिकार दे रही है, जिस के बाद पुलिस बिना किसी वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है. विधायक इस बात का विरोध कर रहे थे, जिस की वजह से विधानसभा में पुलिस बुलानी पड़ी और मारपीट की यह घटना घट गई, जिसे बिहार की राजनीति में एक काला अध्याय माना जा रहा है. यह केवल काला अध्याय ही नहीं है, विपक्षी दलों को एकजुट करने का जरीया भी बन गया है.
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 को ले कर राजद, कांग्रेस और वाम दल नीतीश सरकार पर हमलावर हैं. नीतीश कुमार की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी भी अलग से पूरे प्रकरण को देख रही है. उस के लिए भी यह अवसर की तरह से है. जैसेजैसे विपक्षियों द्वारा नीतीश कुमार पर हमले होंगे, उन की पकड़ बिहार से कम होगी. इस से भाजपा को नीतीश कुमार को हाशिए पर धकेलना आसान होता जाएगा.
पश्चिम बंगाल चुनाव नतीजे के बाद बिहार की राजनीति में नए गुल खिलने के आसार प्रबल होते जा रहे हैं. बिहार में भाजपा अपनी पकड़ मजबूत करने की फिराक में है, जिस से नीतीश कुमार की ताकत को कम किया जा सके. भाजपा बिहार में नीतीश कुमार को इस कदर मजबूर करना चाह रही है कि वे भाजपा की हर बात मान लें. वे अपने मन से मुख्यमंत्री की कुरसी से हट जाएं, जिस से भाजपा वहां अपना आदमी बैठा सके.
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शाहनवाज बन सकते हैं भाजपा का नया चेहरा
बिहार की राजनीति में शाहनवाज हुसैन को ले कर अटकलों का दौर चल रहा है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि शाहनवाज हुसैन बिहार में भाजपा का नया चेहरा होंगे. इन के जरीए वह मुसलिम वर्ग में अपनी पैठ बनाने का काम करेगी.
मुसलिम वर्ग बिहार में यादव समाज के साथ मिल कर भाजपा को विस्तार नहीं करने दे रहा है. राजद को कमजोर करने के लिए भी जरूरी है कि मुसलिम वर्ग को उस से अलग किया जाए. शाहनवाज हुसैन ऐसे नेता हैं जिन से यह काम हो सकता है.
साल 2001 में 32 साल की उम्र में केंद्र की अटल सरकार में शाहनवाज हुसैन को उड्डयन मंत्री बनाया गया था और साल 2003 में उन को कपड़ा मंत्री बना दिया गया था. तब वे भाजपा के ‘पोस्टर बौय’ कहे जाते थे.
शाहनवाज हुसैन की इमेज कट्टर मुसलिम की नहीं है. उन का प्रेम विवाह रेनू नामक लड़की से हुआ था, जो उन के साथ पढ़ती थी. साल 2004 में जब वे किशनगंज सीट से अपना चुनाव हार गए तो भाजपा की राजनीति में हाशिए पर चले गए. साल 2009 में वे सांसद बने, पर भाजपा में उन के महत्व को कम कर दिया गया.
तकरीबन 17 साल के बाद शाहनवाज हुसैन को केंद्र की राजनीति से बिहार भेजा गया. यहां नीतीश सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया.
भाजपा की मुख्यधारा में शाहनवाज हुसैन की वापसी को नए अर्थों में देखा जा रहा है. बिहार में शाहनवाज हुसैन को मंत्री बनाने के लिए विधानपरिषद का सदस्य बनाया गया. इस के बाद वे उद्योग मंत्री बनाए गए. उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया.
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शाहनवाज हुसैन के बहाने भाजपा मुसलिमों को यह संदेश देने का काम कर रही है कि वह उन की चिंता करती है. दिल्ली में मोदीशाह की जोड़ी बनने के बाद शाहनवाज हुसैन को पहली बार महत्व दिया जा रहा है. शाहनवाज हुसैन के बारे में एक आकलन यह भी लगाया जा रहा है कि केंद्र में उन की उपयोगिता दिख नहीं रही थी, जिस कारण उन्हें बिहार भेजा गया है.
भाजपा उन के नाम पर कोई बड़ा दांव नहीं लगाएगी. भाजपा की रणनीति पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजों पर टिकी है. ये नतीजे बिहार में भी उथलपुथल मचा सकते हैं. इस में शाहनवाज हुसैन की भूमिका भी चर्चा में है. नीतीश कुमार का राजद द्वारा किया जा रहा विरोध भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जिस की आड़ में भाजपा नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ाने का काम करेगी.