रेटिंग: डेढ़ स्टार
निर्माताः होली बेसिल फिल्मस
निर्देशकः के.एस मल्होत्रा
कलाकारः दिव्या दत्ता, समीक्षा भटनागर, देव शर्मा, मुकुल देव, दीपराज राणा, युगंत बद्री पांडे और अमन दहलीवाला व अन्य
अवधि: दो घंटे
इन दिनों रहस्य व रोमांच से भरपूर फिल्में दर्शकों द्वारा पसंद की जा रही हैं. इसी को देखते हुए फिल्मकार के एस मल्होत्रा रहस्य प्रधान फिल्म ‘‘अंत- द एंड’’ लेकर आए हैं. मगर कमजोर कहानी व पटकथा के चलते फिल्म बोर करने के अलावा कुछ नही करती.
कहानीः
कहानी के केंद्र में खूंखार व सनकी हत्यारा रंजीत (दीपराज राणा) है. वह कई हत्याओं के आरोप में जेल में बंद होता है. जेल मे वह पुलिस कांस्टेबल की भी हत्या कर देता है. अदालत उसे फांसी की सजा सुनाती है. मगर रास्ते में पुलिस वैन में दूसरे अपराधी से रंजीत की मारा मारी हो जाती है. तब घायल अवस्था में उसे अस्पताल में भरती कराया जाता है. वह वेश बदलकर अस्पताल से फरार होकर अपनी प्रेमिका सिमरन के घर पहुंचता है.
उसकी मंगेतर व मॉडल सिमरन (समीक्षा भटनागर) उसे धोखा देकर एक फैशन फोटोग्राफर (देव शर्मा) संग रंगरेलियां मना रही है. उसे अपने दस करोड़ रूपए की तलाश है. पता चलता है कि सिमरन ने उस रकम को अपने नए प्रेमी व फैशन फोटोग्राफर को दे दिया है. रंजीत को अपने दस करोड़ चाहिए, पर उसके हाथ से सिमरन की भी हत्या हो जाती है. अब रंजीत फैशन फोटोग्राफर के घर पहुंचता है, जहां उसकी पत्नी (दिव्या दत्ता) व एक छोटी बेटी मिलती है. इसके बाद कहानी में कई घटनाक्रम बदलते हैं.
लेखन व निर्देशनः
रहस्य व मर्डर मिस्ट्री वाली फिल्म ‘‘अंत- द एंड’’ की कहानी व पटकथा अति लचर व दिशाविहीन है. लेखक पूरी तरफ से कंफयूज नजर आते हैं. कहानी के अभाव में बार बार सीन्स का दोहराव कर फिल्म को जबरन खींचा गया है. निर्देशक के एस मल्होत्रा का निर्देशन औसत दर्जे का है.
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