हम कई बार इस बात को रेखांकित करते आए हैं कि जब फिल्मकार सरकार के अजेंडे पर फिल्म बनाता है, तो वह मनोरंजन व कथानक से भटक जाता है. ‘‘दम लगा के हईशा’’ जैसी सफलतम फिल्म के लेखक व निर्देशक शरत कटारिया की फिल्म ‘‘सुई धागा’’ मूलतः प्रधानमंत्री के ‘‘मेक इन इंडिया’’ कार्यक्रम को प्रसारित करने के लिए बनायी गयी फिल्म का अहसास कराती है. पर फिल्मकार ने फिल्मी स्वतंत्रता इस कदर ले ली कि फिल्म का बंटाधार कर दिया. यदि शरत कटारिया ने ‘‘मेक इन इंडिया’’ को प्रचारित करने का लक्ष्य न रखा होता, तो आत्मविश्वास जगाने, अपनी जिंदगी को अपने हाथों बुनने के साथ साथ बड़े शहरों के धूर्त व बेईमान इंसानों के मुकाबले छोटे शहर के इमानदार लोगों की जीत का जश्न मनाने वाली एक बेहतरीन फिल्म बन सकती थी.

फिल्म ‘‘सुई धागा’’ की कहानी  छोटे शहर में रह रहे मौजी (वरुण धवन) और उनकी पत्नी ममता (अनुष्का शर्मा) की है. जो कि अपने माता (यामिनी दास) व पिता (रघुवीर यादव) के साथ एक ही मकान में रहते हैं. मौजी के छोटे भाई जुगनू ने अपनी पत्नी के साथ अलग रहना शुरू कर दिया है. मोजी के दादाजी स्व. छज्जू लाल कभी सिलाई कढ़ाई का काम किया करते थे, पर बाद में जब उनकी फैक्टरी बंद हो गयी तो पूरे परिवार को कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ा. अतः मौजी के पिता को सिलाई कढ़ाई के काम से नफरत हो गयी. इसलिए पिता के कहने पर मौजी ने सिलाई मशीन बेचने वाली एक दुकान पर नौकरी कर ली. मगर दुकान के मालिक का बेटा हर दिन मौजी का मजाक उड़ाया करता था. अपनी शादी वाले दिन पूरे समाज, मौजी की पत्नी व माता पिता तथा अपनी नई नवेली पत्नी के सामने मौजी से चिकन के लिए लालची कुत्ते का ऐसा अभिनय करवाया कि ममता की आंख से आंसू निकल पड़े. ममता के कहने पर आत्मसम्मान की खातिर मौजी ने नौकरी छोड़ दी, इस पर पिता के साथ साथ छोटे भाई जुगनू ने भी हायतोबा मचा दी. ममता ने उसे समझाया कि जब वह घर वालों के लिए कपड़े सिल सकता है, तो इसी को पेशा क्यों नहीं अपनाता. तब मौजी अपनी पत्नी ममता के साथ सीमा पर जाकर गरीबों को बांटी जा रही सिलाई मशीन लेकर आता है और बाजार में सिलाई का काम करने के लिए बैठ जाता है. पर मौजी अपने छोटे भाई जुगनू के साले गुड्डू (नमित दास) के चक्कर में ऐसा फंसता है कि बहुत बेइज्जत होना पड़ता है. पिता से भी डांट खानी पड़ती है. मगर इस बार ममता को बहुत बड़ी सीख मिल जाती है. जिसके चलते अब ममता व मौजी दोनों अपनी खुद की कंपनी ‘‘सुई धागा-मेड इन इंडिया’’ बनकार फैशन की दुनिया में उतरने का फैसला लेते हैं. कई अवार्ड जीतते हैं.

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