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सौजन्य- मनोहर कहानियां

दूसरी तरफ परिवार के लोग काफी दहशत में आ गए थे. जैसेजैसे समय बीत रहा था, उन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय तक में ट्विटर के जरिए डा. उमाकांत की रिहाई की गुहार लगाई.

अपहर्त्ताओं से पूछताछ में पता चला कि अपहरण करने वाले 6 बदमाश 2 बाइक से आए थे. उन्होंने डाक्टर का पीछा करने के बाद उन का कार सहित अपहरण करलिया था.

डाक्टर के मोबाइल की लोकेशन के अनुसार डाक्टर की कार को पहले खंदारी, फिर रोहता ले गए थे. बदमाश टोल पर गए बगैर रास्ते से धौलपुर निकल गए थे. सैयां टोल से जाने पर उन्हें पकड़े जाने का डर था.

पुलिस ने की 20 गांवों में कांबिंग

डा. गुप्ता की सकुशल बरामदगी के लिए चंबल के बीहड़ में आगरा और राजस्थान की पुलिस ने संयुक्त रूप से छानबीन शुरू कर दी.

दूसरी तरफ एसपी (धौलपुर) शेखावत और आगरा एसपी (सिटी) प्रमोद पकड़े गए अपहर्त्ताओं से पूछताछ में लग गए थे. उन से पुलिस को कई महत्त्वपूर्ण जानकारियां मिलीं. उन्होंने डा. गुप्ता को बीहड़ में छिपाने की जगह बता दी.

इस सूचना पर 14 जुलाई, 2021 को राजस्थान, उत्तर प्रदेश व सीमावर्ती मध्य प्रदेश के लगभग 20 गांवों में पुलिस ने कांबिंग की. इस दौरान चंबल नदी में एक से डेढ़ फीट पानी को भी कई बार पार करना पड़ा. डा. गुप्ता का कोई सुराग नहीं मिल पाया. रात में जांच टीम की तलाश जारी रही.

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जान जोखिम में डाल कर टीम के 22 पुलिसकर्मी बीहड़ में खाक छानने लगे. उस वक्त भी उन्हें निराशा हाथ आई और वे रात 11 बजे वापस आ गए. टीम को डर था कि कहीं बदमाश डाक्टर को मध्य प्रदेश न ले गए हों.

जांच टीम 2 घंटे बाद रात के एक बजे दोबारा बीहड़ में घुसी. उस वक्त उन्हें डाक्टर के बमरौली के पास होने की सूचना थी. करीब 6 किलोमीटर दूर गाडि़यों को छोड़ पुलिस टीम पैदल ही आगे बड़ रही थी. तभी उन्हें टौर्च की रोशनी दिखी.

कुछ पुलिसकर्मी जब कोहनी के बल पर रेंगते हुए रोशनी के पास पहुंचे, तब वहां उन्होंने डा. गुप्ता को बंधा पाया. उन के हाथपांव बंधे थे और मुंह पर कस कर कपड़ा बांध हुआ था.

उस वक्त रात के 2 बज रहे थे. डा. गुप्ता के पास उस समय कोई नहीं था. वह एक छोटी सी दरी पर अधमरे से पड़े थे.

चंबल घाटी से सकुशल बरामद हुए डाक्टर उमाकांत

पुलिस को देख डाक्टर ने समझा कि उन्हें किसी दूसरे गैंग को सौंपा जा रहा है. लेकिन जब एत्माद्दौला के इंसपेक्टर देवेंद्र शंकर पांडेय ने अपना आइडेंटिटी कार्ड दिखाया तब उन्हें भरोसा हुआ.

फिर जांच टीम उन्हें अपने साथ आगरा ले आई. इस तरह से 31 घंटे बाद आगरा पुलिस को दूसरे राज्यों की पुलिस की मदद से सफलता मिल गई.

आगरा और धौलपुर पुलिस की सक्रियता से डा. उमाकांत गुप्ता के 5 करोड़ रुपए बच गए. उन के सकुशल बरामद होने की जानकारी रात को जैसे ही डा. विद्या को मिली वह भागीभागी थाने आईं. उन के साथ परिवार के दूसरे लोग भी थे. सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे. परिजनों ने पुलिस के प्रति आभार जताया.

15 जुलाई को पुलिस ने अपहृत डाक्टर की बरामदगी की सूचना मीडिया को दे दी. बदमाशों के कब्जे से मुक्त हुए डाक्टर के अपहरण की कहानी काफी रोमांचक है. पूरे मामले की जानकारी डाक्टर ने पुलिस को विस्तार से दी.

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उन्होंने बताया कि यदि पुलिस उन्हें नहीं मुक्त कराती तो उन की जान बचना मुश्किल थी. बदमाशों के रवैए को देखते हुए उन्होंने छूटने की आस ही छोड़ दी थी. उन्होंने पुलिस को धन्यवाद दिया. इस संबंध में अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

डा. उमाकांत गुप्ता सर्जन हैं. उन के परिवार में उन की पत्नी डा. विद्या गुप्ता स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं. 2 बेटे भी चिकित्सक हैं. इन में अभिषेक सर्जन और अभिलाष अस्थिरोग विशेषज्ञ हैं. करीब महीना भर पहले एक युवती ने डाक्टर गुप्ता से फोन पर संपर्क  कर अपने भाई के पेट में लगातार दर्द रहने की बीमारी के बारे में बात की थी. उस के 2 हफ्ते बाद अपने भाई को ले कर नर्सिंग होम आई.

करीब 30 वर्षीया युवती ने अपना नाम  अंजलि बताया. उस ने बताया कि वह मथुरा की रहने वाली है और युवक उस का भाई है. उसे पथरी है. उस का नर्सिंग होम में उपचार शुरू हुआ और उस का औपरेशन कर दिया गया.

डा. गुप्ता ने बताया कि उस के नर्सिंग होम में भरती होने के दरम्यान उस से मिलने कई लोग आते रहते थे. उन्हीं दिनों मरीज की तीमारदारी में लगी अंजलि ने डा. गुप्ता को बताया कि वह विधवा है. उसे वह कहीं नौकरी पर लगवा देंगे तो मेहरबानी होगी.

डा. गुप्ता ने उसे नौकरी दिलाने का दिलासा देते हुए कहा कि उन के अस्पताल में जगह खाली होने पर नौकरी पर रख लेंगे. युवक इलाज करवा कर चला गया. फिर भी अंजलि अकसर फोन से डाक्टर के संपर्क में बनी रही. वह डा. गुप्ता को अकसर मिस काल किया करती थी.

वह डा. गुप्ता को जताती थी कि वह बहुत परेशान है. उन से बात कर के उसे अच्छा लगता है. मिस काल देख कर डाक्टर अपनी ओर से काल कर उस से बातें करने लगे थे. लगातार बातचीत करने के कारण डा. गुप्ता उस पर भरोसा भी करने लगे थे.

बातों में फंसा कर अंजलि ले गई थी डाक्टर को घटना वाले दिन 13 जुलाई को अंजलि ने डा. गुप्ता को काल कर भगवान टाकीज चौराहे पर मिलने के लिए बुलाया. डाक्टर गुप्ता अपनी कार ले कर नर्सिंग होम जाने के बजाय भगवान टाकीज जाने की राह पर आ गए.

पहले उन्होंने अपनी गाड़ी खंदारी की ओर मोड़ी. रास्ते में ट्रैफिक पुलिस ने उन की कार रोकी, कारण डा. गुप्ता हड़बड़ी में सीट बेल्ट लगाना भूल गए थे. उन का चालान हो गया.

फिर जब वे डा. उमाकांत भगवान टाकीज चौराहे पर पहुंचे तो वहां अंजलि को बेसब्री से  अपना इंतजार करते देखा.

वह कार के रुकते ही मुसकराए. अंजलि कार में आ कर बैठ गई. दोनों के बीच बातचीत होने लगी. बातोंबातों में ही उन की कार एमजी रोड पर आ गई.

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अंजलि ने बताया कि अब वह रोहता के पास अपनी सहेली के घर में रहती है. अंधेरा हो गया है. अब अकेले कैसे जाएगी. उस ने डाक्टर साहब से उसे छोड़ने के लिए कहा. भगवान टाकीज से रोहता की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है.

डाक्टर उसे छोड़ने को राजी हो गए. रास्ते में उन्हें शक हुआ कि उन की कार का पीछा किया जा रहा है. उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा 2 बाइक सवार कार के पीछे चल रहे थे.

तभी अंजलि ने कहा कि डाक्टर साहब, आप अब बड़ी मुसीबत में फंस गए हो. मैं जैसा कहूं वही करते रहना. कार को कहीं रोकना नहीं. मेरे साथी पीछे बाइक से चल रहे हैं.

किसी तरह की होशियारी करने पर आप को जान गंवानी पड़ सकती है. कार में एसी चल रहा था, लेकिन युवती की बात सुन कर उन्हें पसीना आ गया.

रोहता नहर के पास सुनसान इलाका आने पर बदमाशों ने कार के आगे बाइक लगा दी. कार रुकते ही डाक्टर को धमकाते हुए बोले, ‘‘महिला के साथ यहां कैसे घूम रहे हो? वीडियो है हमारे पास. वायरल कर देंगे.’’

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