17जून, 2021 को मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा के सीओ डा. अनूप सिंह अपने औफिस मे बैठे थे, तभी एसएसपी पंकज कुमार के पीआरओ का उन के पास फोन आया. पीआरओ की तरफ से सीओ साहब को विशेष जानकारी मुहैया कराई गई थी, जिसे सुन कर सीओ साहब सकते में आ गए थे.
सूचना मिली थी कि आप के सर्किल थाना क्षेत्र में मुजफ्फरनगर जनपद के खतौली थानाक्षेत्र के गांव दहौड़ का रहने वाला कांस्टेबल अनिल कुमार पुत्र सुखपाल, 112 पीआरवी 0281 ड्यूटी कर रहा है. लेकिन हमें यह खबर मिली है कि अनिल कुमार तो अकसर अपने घर पर ही मौजूद रहता है. तो फिर उस की जगह नौकरी कौन कर रहा है, यह जांच कराई जाए.
यह सूचना मिलते ही डा. अनूप सिंह ने तुरंत ही ठाकुरद्वारा थानाप्रभारी सतेंद्र सिंह को यह सूचना दे कर जांच करने को कहा. चूंकि अनिल कुमार की ड्यूटी हमेशा ही 112 पीआरवी में ही चलती रहती थी. इसी कारण उस का थाने आनाजाना बहुत ही कम होता था.
इस अहम जानकारी के मिलते ही थानाप्रभारी सतेंद्र सिंह ने सच्चाई जानने के लिए पुलिस रिकौर्ड में दर्ज कांस्टेबल अनिल कुमार के मोबाइल पर काल की.
‘‘जय हिंद सर.’’ फोन कनेक्ट होते ही दूसरी तरफ से आवाज आई.
‘‘आप कौन?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.
‘‘कांस्टेबल अनिल कुमार रिपोर्टिंग. आदेश कीजिए सर, मेरी लोकेशन ठाकुरद्वारा में ही है सर. मेरी पीआरवी 0281 पर तैनाती है सर.’’ उस ने थानाप्रभारी से कहा.
‘‘अनिल आप फौरन थाने पहुंचो, आप से कुछ जरूरी काम है.’’ थानाप्रभारी ने आदेश दिया.
‘‘ओके सर.’’ कोई 10 मिनट बाद ही होमगार्ड के साथ एक सिपाही थाने पहुंचा.
उस की वरदी पर अनिल कुमार नाम का बैज लगा था. थानाप्रभारी ने युवक को ऊपर से नीचे तक देखा. उस के बाद अनिल कुमार से अपना पूरा परिचय देने को कहा.
थानाप्रभारी की बात सुनते ही एक सिपाही की भांति ही सावधान मुद्रा में अपना परिचय देने लगा. मैं कांस्टेबल 2608 अनिल कुमार पुत्र श्री सुखपाल, थाना खतौली जिला मुजफ्फरनगर के गांव दहौड़ का रहने वाला हूं. वर्ष 2011 बैच का सिपाही हूं. सर, 2016 में बरेली से ट्रांसफर पर मेरी यहां पर नियुक्ति हुई है.’’
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जिस तरह से युवक ने थानाप्रभारी के सामने अपना पूरा परिचय दिया था, उस के आत्मविश्वास को देख कर सतेंद्र सिंह भी चकरा गए. एक बार तो उन्हें लगा कि जिस ने भी कप्तान साहब से उस की शिकायत की है, वह झूठी ही होगी.
सब जानकारी लेने के बाद इंसपेक्टर सतेंद्र सिंह ने अनिल कुमार से आखिरी प्रश्न किया, ‘‘तुम्हारे ट्रांसफर के समय बरेली जिले के कप्तान कौन थे.’’
बस यही प्रश्न ऐसा था कि अनिल कुमार अपने जाल में फंस गया. वह इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दे पाया. फिर भी उन्होंने युवक की चरित्र पंजिका मंगवाई. कागज देख कर सतेंद्र सिंह को विश्वास हो गया कि जरूर कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है.
इस से पहले सतेंद्र कुमार कुछ समझ पाते, युवक सब कुछ समझ गया.
‘‘सर, बहुत जोर से लघुशंका आई है, मैं बस एक मिनट में ही फ्रैश हो कर आया.’’ उस युवक ने कहा.
‘‘ठीक है. जल्दी से हो कर आओ.’’ उस के बाद थानाप्रभारी युवक के बाकी कागजात देखने में व्यस्त हो गए.
काफी समय बाद भी वह युवक वापस नहीं आया तो सतेंद्र कुमार ने संतरी से उसे देखने को कहा. लेकिन अनिल नाम का वह सिपाही कहीं भी नजर नहीं आया. उस के बाद थानाप्रभारी को आभास हो गया कि वह सिपाही फरार हो गया.
उस के फरार होने की जानकारी मिलते ही सतेंद्र कुमार ने उसे हर जगह पर खोजा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चला. उस के इस तरह से फरार होने से यह तो साबित हो ही गया था कि जिस ने भी उस की शिकायत कप्तान साहब से की थी, वह बिलकुल ही सही थी.
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यह सब जानकारी मिलते ही सीओ डा. अनूप सिंह ने अनिल की गिरफ्तारी के लिए थानाप्रभारी सतेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम का गठन किया. अनिल कुमार की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम तुरंत मुजफ्फरनगर रवाना की गई.
सरकारी कागजों में अनिल का पता मुजफ्फरनगर के गांव दहौड़ का था. पुलिस टीम ने गांव जा कर अनिल के बारे में पूछा तो पता चला कि यहां पर कोई अनिल कुमार पुलिस में नहीं है. एक अनिल कुमार तो है जो अपने को सरकारी टीचर बताता है.
असली सिपाही हुआ गिरफ्तार
पुलिस उसी पते पर पहुंच गई तो उस वक्त अनिल नाम का युवक घर पर ही मिल गया. लेकिन यह वह नहीं था, जो लघुशंका के बहाने से थाने से फरार हो गया था.
अपने घर अचानक पुलिस आई देख अनिल कुमार कुछ नरवस सा हो गया. थानाप्रभारी सतेंद्र कुमार ने उस से पुलिस में तैनात होने के बाबत पूछा तो उस ने साफ कह दिया कि वह तो अध्यापक परीक्षा की तैयारी कर रहा है. पुलिस से उस का कोई मतलब नहीं.
फिर उन्होंने उस से सुनील के बारे में पूछा क्योंकि अनिल की मूल फाइल में सुनील कुमार के नाम से कागज थे.
सुनील का नाम सुनते ही उस के चेहरे का रंग उड़ गया. अनिल से सख्ती से पूछताछ की तो सारी सच्चाई पुलिस के सामने आ गई.
सब से हैरत वाली बात यह थी कि अनिल ने सिपाही बन कर जो खेल खेला था, उस की जानकारी गांव वालों को क्या, उस के परिवार वालों तक को पता नहीं थी.
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जब गांव वालों को अनिल की हकीकत का पता चला तो वे सभी दंग रह गए. अनिल के बड़े भाइयों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उन्हें तो केवल इतना ही मालूम था कि गांव गंगधाड़ी निवासी सुनील मुरादाबाद में अपने जीजा अनिल के पास रह कर कोई काम कर रहा है.
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