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मासूमों की जिंदगी से चिंतित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी दी. योगी ने गृहमंत्री अमित शाह से एनएसजी कमांडो भेजने को कहा. फलस्वरूप एनएसजी कमांडोज को करथिया गांव रवाना कर दिया गया.

तब तक रात के 10 बज चुके थे. भीषण ठंड के बावजूद हजारों लोग घटनास्थल पर मौजूद थे. पुलिस की टीम तो थी ही. सब की निगाहें सुभाष के घर को ताक रही थीं. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि बच्चों को कैसे मुक्त कराया जाए. पुलिस असहज थी, लोग दहशत में थे. सब से ज्यादा वे महिलाएं बेहाल थीं, आंसू बहा रही थीं, जिन के जिगर के टुकड़े मकान में कैद थे.

जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह और एसपी डा. अनिल कुमार मिश्रा शातिर अपराधी सुभाष की गतिविधियों पर नजर गड़ाए थे. उस का ध्यान बंटाने के लिए उन्होंने गांव के 4 युवकों को लगा रखा था, जो उसे अच्छी तरह से जानते थे.

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इन्हीं में से एक युवक ने कहा कि डीएम साहब आ गए हैं, घर के बाहर आ कर अपनी बात कहो. इस पर सुभाष बोला, ‘‘मैं ने कई बार कलेक्ट्रेट के चक्कर लगाए. कालोनी मांगी, शौचालय मांगा, लेकिन कुछ नहीं मिला. अब चाहे कोई भी आ जाए, मैं दरवाजा नहीं खोलूंगा.’’

थोड़ी देर बाद सुभाष ने दीवार के छेद से एक पत्र बाहर फेंका. जिलाधिकारी को संबोधित उस पत्र में उस ने कई समस्याएं लिखीं. उस ने लिखा कि वह मेहनतमजदूरी कर के अपने परिवार को पालता है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कालोनी आई, लेकिन प्रधान शशि सिंह और उन के पति ने नहीं दी. शौचालय भी नहीं बनवाया. सेक्रेटरी के पास गया, कलेक्ट्रेट के चक्कर लगाए, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ.

प्रति बच्चा एक करोड़ मांगे

सुभाष बाथम ने एसओजी के सिपाही ललित से बात की और तमाम इलजाम लगाए. उस ने कहा कि एसओजी के सिपाही सचेंद्र व अनुज ने उसे चोरी के इलजाम में झूठा फंसाया, उसे मारापीटा, करेंट लगाया. उस ने मोहम्मदाबाद थाने के सिपाही लल्लू पर भी प्रताडि़त करने का आरोप लगाया.

मकान के अंदर से केवल सुभाष ही संवाद नहीं कर रहा था, बल्कि उस की पत्नी रूबी भी बात कर रही थी. गांव के एक युवक अमित ने जब रूबी से बात की तो उस ने धनाढ्य बनने की लालसा जाहिर की. उस ने प्रति बच्चा छोड़ने की कीमत एक करोड़ रुपया रखी.

कहा कि यदि अधिकारी 24 करोड़ रुपए देने को राजी हो जाएं तो वह सभी बच्चों को रिहा कर देगी. साथ ही उस ने सुभाष के खिलाफ चल रहे सभी मुकदमों को खत्म करने की भी शर्त रखी.

रात 11 बजे पुलिस ने भीड़ को खदेड़ कर सुभाष बाथम के घर की नाकेबंदी कर दी. इसी बीच सुभाष के एक परिचित अंशुल दुबे ने डीएम व एसपी की मौजूदगी में सुभाष से बात की. अंशुल ने सुभाष से कहा कि उस की कैद में 6 महीने की शबनम है. वह भूखीप्यासी होगी, उसे बाहर निकाल दे.

इस पर कुछ देर बाद उस ने मासूम शबनम को पीछे वाले कमरे की दीवार के छेद से अंशुल को थमा दिया. शबनम को उस की मां ने सीने से लगा लिया. उस की बेटी सोनम और बेटा लवकुमार अब भी सुभाष की कैद में थे. लगभग 7 घंटे बाद पहली बच्ची कैद से छूटी तो अधिकारियों को लगा कि शायद सुभाष और उस की पत्नी का रुख नरम पड़ रहा है.

इधर आईजी मोहित अग्रवाल लगभग 4 घंटे का सफर तय कर के रात साढ़े 12 बजे करथिया गांव पहुंचे. गांव पहुंचते ही उन्होंने औपरेशन मासूम की पहल शुरू कर दी. मोहित अग्रवाल एसओजी टीम के साथ सुभाष बाथम के मकान की छत पर पहुंचे और वहां का जायजा लिया.

फिर वह पड़ोस के मकान की छत पर पहुंचे और पूरी स्थिति को भांपा. उन्होंने छतों पर अत्याधुनिक हथियारों को लोड करा कर पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया और अलर्ट रहने को कहा. फिर उन्होंने सुभाष के घर का एक चक्कर लगा कर जायजा लिया.

इसी बीच सुभाष बाथम को महसूस हुआ कि पुलिस की गतिविधियां तेज हो रही हैं. उस ने दहशत फैलाने के लिए लगातार 2 फायर किए. दोनों फायरिंग में लगभग 10 सेकेंड का अंतराल था. आईजी मोहित अग्रवाल ने महसूस किया कि अगर सुभाष पर काबू पाना है तो औपरेशन को 10 सेकेंड में पूरा करना होगा. क्योंकि वह एक बार फायर करने के बाद 10 सेकेंड में हथियार लोड करता है.

उन्होंने यह भी देख लिया कि घर के अंदर जाने के 2 दरवाजे हैं. मुख्य दरवाजा सामने है जो लोहे का बना है, जबकि दूसरा मकान के पीछे था जो लकड़ी का था. तय हुआ कि जब सुभाष गोली चलाएगा, तभी पुलिस पीछे का दरवाजा तोड़ कर घर के अंदर दाखिल होगी और 10 सेकेंड के अंदर उसे पकड़ लेगी.

यह भी तय हुआ कि दरवाजा टूटने की भनक सुभाष और उस की पत्नी को न लगे, इसलिए कुछ स्थानीय युवकों को घर के सामने से पत्थरबाजी करने व शोर मचाने को कहा गया.

आईजी की रणनीति में फंसा सुभाष

सुभाष आईजी की इस रणनीति में फंस गया. कुछ देर बाद सुभाष ने जैसे ही गोली चलाई, पुलिस टीम ने पीछे का दरवाजा तोड़ा और घर के अंदर दाखिल हो गई. जब तक पुलिस सुभाष के सामने पहुंची, तब तक वह दोबारा गोली लोड कर चुका था. उस ने गोली चलाई जो आईजी मोहित अग्रवाल की बुलेटप्रूफ जैकेट में लगी. वार खाली जाते देख वह पत्नी रूबी के साथ गेट खोल कर बाहर की ओर भागा.

भीड़ ने रूबी को घेर लिया और मारोमारो कहते हुए उस पर टूट पड़ी. यह देख कर सुभाष घबरा गया और पीछे उसी कमरे की ओर भागा जहां बच्चे कैद थे. योजना के मुताबिक वहां पहले से ही पुलिस तैनात थी. पुलिस को देखते ही उस ने एसओजी प्रभारी दिनेश कुमार गौतम पर फायर कर दिया. इस बार भी उस की गोली बुलेटप्रूफ जैकेट में फंस गई.

सुभाष दोबारा फायर करने ही वाला था, तभी एसओजी के सिपाही नवनीत कुमार ने एके47 से सुभाष पर फायर झोंक दिया. वह घायल हो कर गिर पड़ा और मौके पर ही दम तोड़ दिया.

इधर भीड़ ने सुभाष की पत्नी रूबी को पीटपीट कर बुरी तरह घायल कर दिया. बड़ी मशक्कत के बाद पुलिस रूबी को भीड़ के चंगुल से छुड़ा पाई. उसे इलाज के लिए डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया. उस की हालत गंभीर होने के कारण डाक्टरों ने उसे सैफई रेफर कर दिया. लेकिन उस ने सैफई पहुंचने के पहले ही रास्ते में दम तोड़ दिया. पुलिस उस के शव को वापस ले आई.

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सुभाष बाथम ने कमरे के अंदर एक तहखाना बना रखा था, जिस में सभी बच्चे कैद थे. तहखाने का दरवाजा अंदर से बंद था. पुलिस ने दरवाजा पीटा और पुलिस की मौजूदगी का आभास कराया, इस पर अंजलि नाम की बालिका ने दरवाजा खोला. उस के बाद आईजी मोहित अग्रवाल ने सभी बच्चों को रिहा करा कर उन के मातापिता को सौंप दिया. अपने बच्चों को सहीसलामत पा कर उन की आंखों में खुशी के आंसू आ गए.

पुलिस ने उस कमरे से एक मासूम को भी बरामद किया. यह मासूम औपरेशन के दौरान मारे गए सुभाष बाथम की एक वर्षीय पुत्री गौरी थी. आईजी मोहित अग्रवाल ने उसे गोद में लिया, दुलारा फिर महिला सिपाही रजनी को सौंप दिया.

अब तक एनएसजी टीम दिल्ली से आगरा पहुंच चुकी थी. टीम को औपरेशन मासूम सफल होने की जानकारी मिली तो टीम आगरा से वापस लौट गई. लखनऊ से रवाना एटीएस टीम भी औपरेशन पूरा होने के बाद ही पहुंच पाई.

आईजी (कानपुर जोन) मोहित अग्रवाल ने सभी बंधक बच्चों को सकुशल मुक्त कराने और अपराधी सुभाष बाथम के मारे जाने की जानकारी डीजीपी ओमप्रकाश सिंह, प्रमुख सचिव (गृह) तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दी, तो सभी के चेहरे खिल उठे. मुख्यमंत्री ने आईजी मोहित अग्रवाल को बधाई दी और उन की टीम को ईनामस्वरूप 10 लाख रुपए देने की घोषणा की.

31 जनवरी, 2020 की सुबह पौ फटते ही बच्चों को बंधक बनाने वाले सुभाष बाथम के मारे जाने तथा बच्चों के सकुशल मुक्त होने की खबर जंगल की आग की तरह फैली तो कई गांवों के लोग सुभाष का शव देखने के लिए उमड़ पड़े. चारों तरफ पुलिस जिंदाबाद के नारे लगने लगे.

एडीजी (कानपुर जोन) जे.एन. सिंह तथा कमिश्नर सुधीर एम. बोवडे भी घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने भी पुलिस पार्टी की प्रशंसा की. इस के बाद सुभाष और उस की पत्नी रूबी के शवों को पोस्टमार्टम हाउस फर्रुखाबाद भेज दिया गया.

सुभाष बाथम के घर की तलाशी तथा विस्फोटक बरामदगी हेतु एएसपी त्रिभुवन सिंह की देखरेख में बम निरोधक टीम करथिया गांव पहुंची. बम निरोधक दस्ते ने सुभाष के घर की तलाशी ली तो तहखाने में 5 किलो के गैस सिलेंडर में विस्फोटक भरा मिला. साथ ही 4 बड़े तथा 4 छोटे बम भी मिले.

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इस के अलावा भारी मात्रा में बारूद, गंधक, पोटाश, बजरी और तार बरामद हुआ. तेज धमाके वाले 100 पटाखे व 30 अर्धनिर्मित बम भी बरामद हुए. घर में एक .315 बोर का तमंचा, एक राइफल, 20 खोखे और 2 दरजन से अधिक जिंदा कारतूस बरामद हुए. एक मोबाइल फोन भी बरामद हुआ.

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