कोरोना के दिनों में वैसे तो रैस्तरां बंद ही रहे पर कईर् देशों में उन्हें खुले में चलाने की इजाजत दी गई और यह प्रयोग सफल रहा क्योंकि खुले में मेजें दूरदूर लगीं और वायरस के हवा से एकदूसरे तक पहुंचने के अवसर काफी कम हो गए. दुनियाभर के बहुत से देश अब गरमी हो या सर्दीईटिंग आउट को ही फैशन बना देना चाह रहे हैं ताकि लोगों को एयरकंडीशंड इलाकों के दमघोटू माहौल से बचाया जा सके.

शहरों में जगह की किल्लत है पर इतनी भी नहीं कि बाहर पटरियों पर हलका सा शेड और हवा का इंतजाम कर बैठने की जगह न बनाई जा सके. घरों में एयरकंडीशनर होने के बावजूद लोग आज भी बाग या नदी के किनारे बैठ कर सुस्ताना चाहते हैं. एयरकंडीशंड रैस्तराओं ने असल में लोगों को बिगाड़ दिया है. बंद जगह में शोर मचाने की छूट भी मिलने लगी और बहुत सी अनचाही हरकतें भी होने लगीं.

ये भी पढ़ें- क्या चिराग पासवान का राजनीतिक करियर समाप्त हो गया है?

अब जैसेजैसे भारत में लौकडाउन डरतेडरते अनलौक किया जा रहा हैखुले में रैस्तरां का प्रयोग ज्यादा किया जाना चाहिए ताकि युवाओं को ठंडक और गरमी सहने की आदत पड़नी शुरू हो जाए. आजकल कम अमीर देशों में मांबापों की चिंता बिजली के बिलों की ही होती है क्योंकि युवा हीटर और एयरकंडीशनर दोनों साथ चलाने लगें तो भी आश्चर्य की बात न होगी. घर में सुरक्षित टैंपरेचर में रहने की आदत उन्हें निकम्मा बना रही है. वैसेयही युवा ग्लोबल वार्मिंग पर बड़ेबड़े भाषण देते हैं और एनर्जी को बचाने का उपदेश देते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
₹ 399₹ 299
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
₹ 480₹ 349
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...