भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को जीतने में कुछ ज्यादा बेचैन ही नजर आ रही है और इसलिए उस के पिछलग्गू इस बात पर तो खुश होंगे कि उन की राह में रोड़ा बनी ममता बनर्जी की टांग एक भीड़ के कुचले जाने की वजह से क्रैक कर गई और बाकी चुनाव में उन्हें ह्वीलचेयर पर बैठ कर बोलना और जगहजगह जाना पड़ेगा.

यह घटना हुई इसलिए कि ममता बनर्जी अपने और अपने वोटरों के बीच फासला नहीं रखतीं. इस देश में वैसे तो छूतअछूत का दौर आज भी चलता है और जब तक दूसरे की जाति पता नहीं हुई उसे छूने का परहेज ही किया जाता है. जो जितना बड़ा हिंदू कट्टरपंथी होगा वह उतना ज्यादा छुआछात बरतेगा और कहीं गंदा न हो जाए वह भीड़ में ही नहीं जाएगा. जो मंत्री है उसे तो भरपूर सरकारी बंदोबस्त मिलता है और प्रधानमंत्री के आसपास तो सिर्फ कैमरे वाले ही फटक सकते हैं. गनीमत है कि ममता बनर्जी ऐसी नहीं हैं.

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चुनावों में इस तरह पैर टूटने से काफी नुकसान हो सकता है क्योंकि ममता बनर्जी अब उतनी जगह नहीं जा पाएंगी जितनी वे चाहती थीं. भाजपा की हो सकती है इस वजह से लौटरी भी खुल जाए. दूसरी तरह यह भी हो सकता है कि पश्चिम बंगाल की जनता कहे, अरे यह नेता तो अपनी है, अपनों के साथ घुलतीमिलती है, सेहत तक का खयाल नहीं रखती. ऐसा हुआ तो फायदा हो भी सकता है.

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