पब्लिक प्लेस में कपल्स को हग या किस करते यानी गले लगाते और चूमते देखकर कई लोग नाकमुंह सिकोड़ लेते हैं. इसे मोरली खराब माना जाता है और अश्लीलता की कैटेगरी में डाल दिया जाता है. यंग जेनरेशन इस सिचुएशन को किस तरह हैंडल करती है, जानिए.

कपल के लिए हग और किस करना प्यार जताने का एक तरीका है. यह उन के लिए बहुत नौर्मल बात है. लेकिन पब्लिक प्लेस में हग और किस करना इंडिया में अभी नौर्मल बात नहीं है. हालांकि मैट्रो सिटीज में यह धीरेधीरे नौर्मल होता जा रहा है. इस का कारण यह है कि मैट्रो सिटीज में रहने वाले ज्यादातर लोग यंग हैं.

पब्लिक प्लेस में कपल का हग करना फैमिली के साथ आए लोगों को असहज कर देता है. ऐसा कंजरवेटिवथिंकिंग से ग्रसित लोगों का कहना है. लेकिन सच तो यह है कि वे अपनेआप को बदलना ही नहीं चाहते. उन का यह कहना है कि ये सब वैस्टर्न कल्चर की देन है. हमारे कल्चर में यह सब नहीं होता.

हमारे देश में पब्लिक प्लेस पर हग या किस करना अकसर सांस्कृतिक और पारंपरिक मापदंडों के कारण गलत माना जाता है. इंडियन सोसाइटी में पब्लिकली गले मिलना या कहें हग करना स्वीकार नहीं किया जाता है क्योंकि इसे बेहद गुप्त में होने वाली क्रिया माना जाता है. इसे प्यार जताने से ज्यादा गुप्त यौन क्रिया मान कर इसे पब्लिकली करने से खारिज कर दिया जाता है.

लेकिन बात करें अगर वैस्टर्न कंट्रीज की तो कपल का हग और किस करना बहुत ही नौर्मल है. लंदन की सड़कों पर कपल अकसर किस करते हुए दिख जाते हैं. न तो वह इमोरल दिखता है न ही भद्दा लगता है. बल्कि बहुत बार तो बहुत प्यारा लगता है और यह वहां बहुत ही नौर्मल है. लेकिन इंडिया में जहां 5000 साल पुरानी वेदपुराणों वाली पंरपराओं को सबकुछ मान कर चलने से बहुत रोकटोक इंसान अपनी जिंदगी में लगाता है या जो उसे इन ग्रंथों के मुताबिक चलने को कहता है वह चुपचाप बिना सवाल किए चलने लगता है.

हमारे देश में हमें सांस्कृतिक मापदंडों का ध्यान रखने और उन का सम्मान करने का पाठ बचपन से ही पढ़ाया जाता है. बिना यह जाने कि यूथ यह पाठ पढ़ना चाहते भी हैं या नहीं. बस हमें संस्कृतियों के जाल में फंसा दिया जाता है और मरते दम तक हम इसी जाल में फंसे रहते हैं.

पब्लिक प्लेस में हग और किस करना सही है या गलत. इस बात पर सब का नजरिया अलगअलग है. पुरानी जेनेरेशन जहां इसे असभ्य तो नहीं इसे सामान्य व्यवहार में गिनती है. इस विषय पर शारदा यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली यामिनी मेहता कहती है, ‘‘मेरे फ्रैंड्स सर्कल में लड़के और लड़कियां दोनों हैं. हम लोग साथ में चिलआउट करते हैं. क्लब जाते हैं. कई बार कालेज के बाद हम सभी कालेज के आसपास ही घूमने निकल जाते हैं.

‘‘मेरी आदत है कि मैं जब भी अपने दोस्तों से मिलती हूं तो उन्हें साइड हग जरूर करती हूं. वहीं जब मैं अपने पार्टनर से मिलती हूं तो मेरा हग करने का तरीका बदल जाता है. मैं अपने पार्टनर को एक वार्म हग करती हूं और कभीकभी मेरा पार्टनर और मैं एकदूसरे को किस भी कर देते हैं. हमारे लिए यह बहुत नौर्मल है.

‘‘लेकिन कई बार जब मैं पब्लिक प्लेस में अपने पार्टनर को हग करती हूं तो उस वक्त वहां के लोग हमें घूरघूर कर देखने लगते हैं जैसे हम ने कोई अपराध किया हो. ऐसा नहीं है कि इन में सिर्फ मर्द ही शामिल हों. बल्कि महिलाएं भी हमें आंखें दिखाने लगती हैं. उस समय अटपटा लगता है. ये लोग तब तो घूरघूर कर नहीं देखते जब इन की बहूबेटियों को इन के घर के मर्द पीटते और मांबहन की गंदीगंदी गालीगलौच करते हैं. संस्कृति और परंपरा तब क्यों नहीं आती?’’

यामिनी आगे कहती है, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हग और किस अश्लीलता की श्रेणी में आते हैं. ‘हग’ केयर का ही एक पार्ट होता है और हम अपने चाहने वालों की केयर तो करते ही हैं. ऐसे में यही केयर हम अपने पार्टनर की भी करते हैं, जिस में हग कुछ देर ज्यादा और वार्म होता है. हां, इस में केयर के तौर पर बौडी को थोड़ी देर सहलाना शामिल है. हम अपनी फीलिंग्स अपने पार्टनर से शेयर कर रहे हैं तो इस में कुछ भी गलत नहीं है. यह सिर्फ अपना प्यार जताने का एक तरीका है.

‘‘जिन लोगों को लगता है कि पब्लिक प्लेस में कपल का हग करना सही नहीं है तो वह गलत है. वे लोग गलत मानसिकता के शिकार हैं. वे अभी भी पुरानी सोच पर टिके हुए हैं. उन्हें अपनी इस मानसिकता को बदल कर लिबरल होना होगा.’’

यामिनी हमारी इंडियन सोसाइटी पर सवाल करते हुए कहती है, ‘‘इंडिया में लोग पब्लिक प्लेस में एकदूसरे को किस क्यों नहीं कर सकते? जब प्यार सार्वभौमिक है तो उस के जताने के तरीकों को यहां विदेशी क्यों माना जाता है? हमारा समाज बदलाव को अपनाना क्यों नहीं चाहता? क्यों यह बदलाव से इतना डरा हुआ है?’’

कभीकभी ऐसा भी होता है कि आप जिस व्यक्ति को हग करना चाहते हैं वह तो ओपन माइंडेड होता है लेकिन आप के आसपास के लोग ओपन माइंडेड नहीं होते. वह वही दकियानूसी सोच लिए हुए बैठे होते हैं जो सालों से चली आ रही है. इन्हें पब्लिक प्लेस में चिपकाचिपकी पसंद नहीं आती. ये चाहते हैं कि कपल्स को जो भी करना है वे अपने घर में करें. हमारी सोसाइटी में गंदगी न फैलाएं. इन सब चीजों से हमारे बच्चों पर बुरा असर पड़ता है इसलिए वे चाहते हैं कि ये पब्लिक प्लेस में अपनी मर्यादा में बने रहें.

इंडियन सोसाइटी में हग करने को पैरा-रोमांटिक चीज माना जाता है. तभी इतना हौव्वा होता है. लेकिन पश्चिमी शहरों में ऐसा नहीं है. वहां सड़कों पर किस भी बहुत नौर्मल है. इस का एक कारण यह भी है कि वहां प्यार करने की आजादी है, सैक्स करना पाप नहीं माना जाता, दोस्ती करना अच्छे नेचर की निशानी मानी जाती है. जबकि इस के ठीक उलट यहां है.

दूसरी तरफ अगर बात करें एक फ्रैंडशिप में हमारे मन में ऐसा डर बैठा दिया है कि अपोजिट सैक्स वालों को हम नमस्ते या सिर्फ ‘हाय’ के साथ ही मिलते हैं. ऐसा गलत नहीं है लेकिन सिर्फ गले मिलना गलत क्यों? मैट्रो सिटीज में हग करना अब मेल नहीं चाहते कि वे अपनी तरफ से पहल करें और नमस्ते करना एक सेफ चौइस है. वहीं आज की लड़कियों को हग करने में कोई परेशानी नहीं होती. वे हग करने में सहज हैं लेकिन वे सोसाइटी की दकियानूसी बातों के पचड़े में नहीं पड़ना चाहतीं.

140 करोड़ से अधिक की आबादी के बावजूद हम इंडियन सैक्स के टौपिक पर पब्लिक प्लेस में खुल कर बात नहीं कर सकते हैं. हम सैक्स को सैक्स कहने से कतराते हैं. पब्लिक प्लेस में किस को अपराध करने जैसा माना जाता है और पब्लिक प्लेस में सैक्स के बारे में बात करना सही नहीं माना जाता है. एक कमरे के अंदर आप हर दिन सैक्स कर सकते हैं और 10 बच्चे पैदा कर सकते हैं लेकिन बाहर जनसंख्या नियंत्रण के लिए सैक्स एजुकेशन भी नहीं दे सकते.

असल में, हमारे विचारों और दिमाग में रूढि़वाद अपनी गहरी जड़ें जमा चुका है, जिसे आसानी से तब तक नहीं हटाया जा सकता जब तक कि हमारा समाज खुद को बदलने की पहल न करे. इस दिशा में फिल्मी कलाकर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अपनी भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि इन का सोसाइटी पर बहुत बड़ा इंपैक्ट पड़ता है, लेकिन ऐसा तभी होगा जब उन में सोसाइटी के नौर्म्स से टकराने की हिम्मत होगी.

हौलीवुड फिल्मों में मेल या फीमेल कैरेक्टर पूरी तरह से न्यूड हो जाते हैं, इस से भी उन की औडियंस को कोई परेशानी नहीं होती है. लेकिन बौलीवुड में 2 मिनट के स्मूच सीन से हायतौबा मच जाती है, जबकि इंटरनैट के जमाने में 18 साल का लड़का क्या कुछ देखपढ़ रहा है इस पर संस्कृति चाह कर भी कुछ नहीं कर पाती.

पुलिस और लोग हमारे अस्पष्ट कानूनों का नकारात्मक लाभ उठाते हैं. सब से बड़ा दोष यह परिभाषित न करना है कि अश्लील क्या है. उन पुलिस अधिकारियों द्वारा कानून को नियंत्रणीय बनाना जिन की अश्लीलता की परिभाषा अलग है, अब तक की सब से मूर्खतापूर्ण बात है. मूलरूप से इस का मतलब यह है कि हम सोचते हैं कि हर पुलिसवाले का फैसला हमेशा सही होता है जो सच नहीं है. यह मूलरूप से हमारे संविधान की एक मूर्खता है, जिस में व्यापक और अस्पष्ट कानून हैं जिन्हें आसानी से मोड़ा जा सकता है.

क्या कहता है कानून

भारतीय दंड संहिता की धारा 294 कहती है, ‘‘सार्वजनिक रूप से अश्लीलता एक आपराधिक अपराध है, लेकिन सार्वजनिक रूप से किस या हग करने के बारे में विशेष रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है इसलिए यह कोई अपराध नहीं कहा जा सकता है.

भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को चिढ़ाने के इरादे से किसी भी पब्लिक प्लेस पर कोई भी अश्लील हरकत करता है या किसी भी सार्वजनिक स्थान या उस के आसपास कोई अश्लील गाना या शब्द गाता है या बोलता है तो उसे सजा दी जा सकती है. आईपीसी की धारा 294 का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को अधिकतम 3 महीने की जेल या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है.

कानूनी नजरिए से अश्लीलता एक क्राइम है और इस के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292, 293 और 294 के तहत सजा का प्रावधान है. हालांकि इस में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि आश्लीलता है क्या और इस का दायरा क्या है.

कानूनी जानकारों की मानें तो अगर कोई शख्स ऐसी अभद्र सामग्री, किताब या अन्य आपत्तिनजनक सामान बेचे या सर्कुलेट करे जिस से दूसरों को नैतिक रूप से परेशानी हो तो उस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

इस मामले में दोषी पाए जाने पर आरोपी को 2 साल की सजा और 2000 रुपए जुर्माना देना पड़ सकता है. अगर दूसरी बार वह ऐसे ही मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल की जेल और 5000 रुपए जुर्माना देना होगा. इस के अलावा भी कई और धाराएं अश्लीलता को ले कर बनी हैं.

भारत में अश्लीलता पर कानून तो बना है लेकिन इसे स्पष्टरूप से परिभाषित नहीं किया गया है. आईपीसी धारा 292 और आईटी एक्ट 67 में उन सामग्री को अश्लील बताया गया है जो सैक्सुअल या सैक्सुअलिटी पैदा करती है या फिर इसे देखने, पढ़ने और सुनने से सैक्सुअलिटी पैदा होती हो. लेकिन कानून में सैक्सुअल और सैक्सुअलिटी किसे माना जाए इस को ले कर स्पष्ट नहीं किया गया है. इस की व्याख्या करने का अधिकार कोर्ट पर छोड़ दिया गया है.

पब्लिक प्लेस में हग और किस करना नैतिक है या अनैतिक, इस बात का जवाब बस इतना है कि यह आप की पर्सनल चौइस है. अगर आप कंफर्टेबल हैं तो किस हग करने में कोई हर्ज नहीं है. यह पूरी तरह से आप पर डिपैंड करता है.

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