गांव हो या शहर लड़के और लड़कियों में सेक्स की जानकारियां बेहद कम होती है. जो भी जानकारियां होती भी है वह बेहद सतही होती है. इसकी वजह यह है कि पढने लिखने की जगह सोशल मीडिया से यह जानकारियां मिलती है. जो भ्रामक होती है. सोशल मीडिया के अलावा पोर्न फिल्मों से सेक्स की जानकारियां मिलती है. यह दोनो ही पूरी तरह से गलत होती है. कई बार लडकियों को पता ही नहीं होता है और गर्भवती हो जाती है. बात केवल लडकियों में नासमझी की नहीं होती लडकों को भी सेक्स की पूरी जानकारी नहीं होती है.
स्त्री रोगो की जानकार डाक्टर रमा श्रीवास्तव कहती है ‘बहुत सारी घटनाये हम लोगो के सामने आती है. जिनमें लड़की को पता ही नही चलता है कि उसे साथ क्या हो गया है. इसीलिये इस बात की जरूरत है कि किशोर उम्र में ही लड़की सेक्स शिक्षा दी जाय. घर में मां और स्कूल में टीचर ही यह काम सरलता से कर सकती है. मां और टीचर को पता होना चाहिये कि बच्चो को सेक्स की क्या और कितनी शिक्षा देनी चाहिये. इसके लिये मां को खुद भी जानकारी रखनी चाहिये.
गर्भ निरोधक की जानकारी हो:
डाक्टर रमा श्रीवास्तव का कहना है ‘जिस तरह की बाते सामने आ रही है उनसे पता चलता है कि कम उम्र में लडकियो के साथ होने वाला शारीरिक शोशण उनके रिश्तेदारो या फिर घनिष्ठ दोस्तो के द्वारा किया जाता है. इसलिये जरूरी है कि लड़की को यह 10 से 12 साल के बीच यह बता दिया जाय कि सेक्स क्या होता है और यह बहलाफुसला कर किस तरह किया जा सकता है. लड़कियांे को बताया जाना चाहिये कि वह किसी के साथ एंकात में न जाय. अगर भी इस तरह की कोई घटना हो जाती है तो लड़की को यह बता दे कि मां को अपनी बात बता दे ताकि मां उसकी मदद कर से.
शारीरिक संबंधो से यौन रोग हो सकते है. इनका स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड सकता है. इन बीमारियो में एडस जैसी जानलेवा बीमारियां भी शामिल है. जिनऽका इलाज तक नही है. इसी तरह स्कूल में टीचर को चाहिये कि वह लडकियो को बताये कि गर्भनिरोधक गोलियां क्या होती है ? इनऽका उपयोग क्यो किया जाता है. बहुत सारी लडकियों के साथ बलात्कार जैसी घटना हो जाती है तो वह या तो मां बन जाती है या फिर आत्महत्या कर लेती है. ऐसी लडकियो को इस बात की जानकारी दी जानी चाहिये कि अब इस तरह की गोली भी आती है जिसके खाने से अनचाहे गर्भ ऽको रोका जा सकता है. मार्निग आफ्टर पिल्स नाम से यह दवा की दुकानो पर मिलती है.
अस्पतालों में मिले मुफ्त:
डाक्टर रमा श्रीवास्तव का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालो में महिला डाक्टरो को एक दिन कुछ घण्टे ऐसे रखने चाहिये जिसऽके दौरान किशोरियो की परेशानियो को हल किया जा सके. यहां पर परिवार नियोजन की बात होनी चाहिये. स्कूलो को भी समय समय पर डाक्टरो को साथ लेकर ऐसी चर्चा करानी चाहिये. जिससे छात्र और टीचर दोनो को सही जानकारी मिल सके.
किशोर उम्र में सबसे बडी परेशानी लडकियो में माहवारी को लेकर होती है. आमतौर पर माहवारी आने की उम्र 12 साल से 15 साल केे बीच की होती है. अगर इस बीच में माहवारी न आये तो डाक्टर से मिल कर पता करना चाहिये कि ऐसा क्यो हो रहा है. डाक्टर रमा का कहना है कि माहवारी में देरी का कारण खानपान में मी पारिवारिकऽइतिहास जैसे मां और बहन को अगर माहवारी देर से आयी होगी तो उसके साथ भी देरी हो सकती है. इसके अलावा कुछ बीमारियो चलते भी ऐसा होता है. इन बीमारियो में गर्भाशय का न होना, उसका छोटा होना, अण्डाशय में कमी हो, क्षय रोग और एनीमिया के कारण भी देरी हो सकती है. डाक्टर के पास जाकर ही पता चल सकता है कि सही कारण क्या है.
यह बात भी ध्यान देने केे योग्य है किऽभीऽभी लड़की उस समय भी गर्भधारण कर लेती है जब उसऽके माहवारी नही होती है. डाक्टर रमा कहती है ऐसा तब होता है जब लड़की को शरीर गर्भ धारण के योग्य हो जाता है लेकिन माहवारी किसी कारण से नही आती है. यह नही सोचना चाहिये कि जब तक माहवारी नही होगी गर्भ नही ठहर सकता है.
माहवारी में रखे ख्याल:
माहवारी में दूसरी तरह की परेशानी भी आती है. कभी कभी यह समय से शुरू तो हो जाता है लेकिन बीच में एक दो माह का गैप भी हो जाता है. शुरूआत में यह नार्मल होता है लेकिन अगर यह परेशानी बारबार हो तो डाक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है. कभी कभी माहवारी का समय तो ठीक होता है लेकिन यह ज्यादा मात्रा में होता है. अगर ध्यान न दिया जाय तो लड़की का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और उसका विकास कम हो जाता है.
डाक्टर रमा कहती है परेशानी की बात यह है किऽकुछ लोग अपनी लडकियो को डाक्टर के पास लाने से घबराती है उनका मानना होता है कि अविवाहित लड़की की जांच कराने से उसके अंग को नुकसान हो सकता है. जिससे पति उस पर शक कर सकता है. ऐसे लोगो को पता होना चाहिये की अब ऐसा नही है. अल्ट्रसाउण्ड और दूसरे तरीको से जांच बिना किसी नुकसान के हो सकती है.
जानकारियां जो दी जानी चाहिये:
- वैक्सिन द्वारा बचाव – रूबैला, चिकन पाक्स, टिटनेस, हैपिटाइटस और पोलियो के टीके स्कूल समय में लगने चाहिये.
- युवा उम्र में खाना ऐसा होना चाहिये जो ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक हो. इस उम्र में शरीर का विकास होता है इसके लिये पौष्टिक खाना जरूरी होता है.
- लड़के और लडकियों को गर्भ से बचाव के तरीके बताये जाने चाहिये. जिससे उनको गर्भपात की परेषानियों से निपटना ना पडे.
- एनीमिया और माहवारी में ज्यादा रक्तस्त्राव होना खतरनाक होता है. इसको छिपाया नही जाना चाहिये.
- लड़के लडकियों दोनो में त्वचा सबंधी बीमारियां भी हो सकती है. इनमें मुंहासे निकलना सबसे प्रमुख समस्या होती है.
- पढाई का बोझ और नयेनये दोस्त बनने से कुछ मनोवैज्ञानिक परेशानियां भी हो सकती है. इस उम्र में पढाई, कैरियर और प्रेम संबंधों को लेकर तनाव को संभालने के लिये काउंसलर से सलाह लेनी जरूरी हो जाती है.