केरल के कोझिकोड जिले में जाहद फाजिल और जिया पावल एक ट्रांसजेंडर जोड़ी है. पेशे से डांसर जिया का जन्म पुरुष के रूप में हुआ था, जिस की दोस्ती जब जाहद से हुई थी, तब वह लड़की थी. यानी जाहद का जन्म एक लड़की के रूप में हुआ था. दोनों ने कुछ दिनों में ही पाया कि उन के बीच विपरीत लिंग जैसा आकर्षण है. एकदूसरे के प्रति यही सैक्सुअल खिंचाव उन में आपसी प्रेम का कारण भी बना. वे एक प्रेमी युगल बन गए, लेकिन उन के अपने लिंग की अनुभूति  अलगअलग थी.

तब लड़की जैसी दिखने वाली जाहद ने महसूस किया था कि उस में लड़का होने के तमाम बायोलौजिकल गुण हैं. इसी तरह से जिया को भी अहसास हुआ था कि वह लड़का जरूर है, लेकिन उस के सारे लक्षण लड़कियों जैसे ही हैं. फिर क्या था, उन्होंने अपनेअपने दिल की सुनी और हमेशा एकदूसरे का हाथ थामे रहने के लिए अपनेअपने लिंग परिवर्तन करवा लिए. इस तरह से जाहद फाजिल लड़की से लड़का और जिया पावल लड़का से लड़की बन गई और फिर दोनों एक ट्रांसजेंडर जोड़ी के रूप में सोशल मीडिया पर छा गए.

यह करीब कोरोना काल के पहले साल 2019 की बात है. तब उन्होंने अपनी प्रेम कहानी के साथ जिंदगी को अलग अंदाज में जीने की शुरुआत की और अपने अनुभवों को इंस्टाग्राम पर भी साझा करने लगे. कहने को उन का लिवइन रिलेशन था, लेकिन सब कुछ जानपहचान वालों की नजर में था. किसी से कुछ भी छिपा नहीं था.

वे चाहते थे कि उन की कहानी अन्य ट्रांसजेंडर्स से अलग तरह की हो. वे समाज में सम्मान पाएं और भविष्य में याद किए जाएं. साथ ही उन की महत्त्वाकांक्षा सामान्य जोड़े की तरह अपना परिवार भी बनाने की थी. वे कम से कम एक बच्चा भी चाहते थे.

इस दिली तमन्ना को पूरा करने के लिए उन्होंने मांबाप बनने के लिए जानकारियां जुटानी शुरू कीं. कुछ लोगों से बात की. सलाह ली. फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि कोई बच्चा गोद ले कर अपने सपने को पूरा कर सकते हैं. ऐसा कर वे उस बच्चे के मातापिता कहला सकते थे. एक पैरेंट्स का सपना पूरा कर सकते थे, लेकिन वे बच्चे के जन्म देने वाले पैरेंट्स नहीं कहला सकते थे.

जब इस बारे में और जानकारी जुटाई तब मालूम हुआ कि ऐसा करना जितना सुनने में आसान लगा था, दरअसल, वह उतना ही मुश्किल था. कारण, इस प्रक्रिया में कानूनी चुनौतियां थीं. जिस के चलते उन्होंने इस योजना को पीछे छोड़ दिया.

  • मां बनने के लिए किया डाक्टरों से संपर्क

इस के लिए उन्होंने जब और छानबीन की तब उन्हें निस्संतान दंपति के मातापिता बनने के आईवीएफ तकनीक के बारे में मालूम हुआ, जिसे आम बोलचाल की भाषा में टेस्टट्यूब बेबी से जाना जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए दोनों ने बच्चे पैदा करने की योजना बनाई.

उस के बाद जाहद ने मां बनने के लिए डाक्टरों से संपर्क किया. इस का मुख्य कारण था कि उस के शरीर में स्त्री के अंश मौजूद थे. हालांकि यह भी कोई आसान नहीं था. इस दौर से गुजरने के क्रम में कई तरह की समस्याओं से गुजरते हुए खुद को मानसिक तौर पर तैयार किया.

जाहद के गर्भ ठहरने का फायदा उस के अंडाशय और गर्भाशय नहीं हटाने से मिला. जब वह सैक्स चेंज के दौर से गुजर रहा था, तब उस के स्तन हटा दिए गए थे, क्योंकि उन की टेस्टोस्टीरोन हार्मोनल थेरेपी चल रही थी, जबकि जिया का उस की पसंद के जेंडर के लिए हारमोन थेरेपी का इलाज चलाया गया था. करीब डेढ़ साल पहले, जब उन्होंने बच्चा पैदा करने का फैसला किया, तब उन की हार्मोनल थेरेपी बंद कर दी गई थी.

8 फरवरी, 2023 को उन्हें अपने बच्चे के मातापिता बनने की खुशखबरी भी मिल गई. पेरैंट्स बन गए. बच्चे का जन्म कोझिकोड (केरल) के सरकारी मैडिकल टीम की देखरेख में सीजेरियन से हुआ.

21 साल के जिया पावल और 23 साल की उन की पार्टनर जाहद बेहद खुश है कि डाक्टरों के कहे मुताबिक 9 फरवरी को बच्चे का जन्म हुआ.

इस तरह से ट्रांसजेंडर जोड़ी जिया और जाहद डाक्टर द्वारा दी गई जन्म की तारीख से एक माह पहले ही ही बच्चे के मातापिता बन गए. जिया ने बच्चे के जन्म पर खुशी जाहिर करते हुए सूचना दी कि जाहद और बेबी दोनों स्वस्थ हैं.

साथ ही जिया ने बच्चे का लिंग बताने से मना कर दिया. वैसे इस से पहले जिया को डाक्टरों ने बताया था कि उन की 23 वर्षीय जीवनसाथी जाहद 8 फरवरी को बच्चे को जन्म देने वाली हैं और डिलीवरी डेट अगले महीने की तय थी, लेकिन जाहद को डायबिटीज की समस्या के कारण उसे 6 फरवरी को ही केरल के सरकारी अस्पताल में भरती कराया गया था.

वे पलपल बदलती जिंदगी और पूरी होती महत्त्वाकांक्षा के बारे में अपनी कहानी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखते रहे हैं. मलयालम में लिखी गई कहानी के मुताबिक, जाहद ने कहा था कि मैं मां बनने के अपने सपने और जिया के पिता बनने के सपने को साकार करने वाली हूं. मैं जन्म से या शरीर से एक महिला नहीं था, लेकिन मेरा सपना था कि मुझे कोई ‘मां’ कहे.

इस की उन्हें मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली. अधिकतर ने उन्हें बधाई देते हुए बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं. एक यूजर ने लिखा- ‘बधाई! ये सब से खूबसूरत चीज है. सच्चे प्यार की कोई सीमा नहीं है.’ एक अन्य यूजर ने लिखा कि समाज के नियमों को तोड़ने के लिए शुक्रिया! आप का बच्चा स्वस्थ हो! बहुत शुभकामनाएं!

जिया ने अपने जीवनसाथी के पेट में 8 माह के बच्चे के पलने के बारे में सोशल मीडिया पर यह बताया कि उन के इस फैसले से ट्रांसजेंडर समुदाय बहुत ख़ुश है. जबकि इस समुदाय के अलावा बाहर के भी कुछ पुरानी चली आ रही बातों पर भी भरोसा करते हैं और उसे ही मानने को मजबूर करते हैं. वे समझते हैं कि समलैंगिक लोग बच्चा नहीं रख सकते. लेकिन इस से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.

जिया एक वैसे मुसलिम परिवार से है, जो काफी रूढि़वादी विचार के रहे हैं. वह डांसर बनना चाहती थी और शास्त्रीय नृत्य सीखना चाहती थी, जिस की अनुमति परिवार वालों ने कभी नहीं दी. वे इतने पुराने खयाल के थे कि उन्होंने जिया के बाल काट दिए ताकि वह डांस न कर पाए. संयोग से एक बार उसे एक यूथ फेस्टिवल में जाना हुआ. वहां से फिर कभी घर नहीं लौटी.

  • जिया बनना चाहती थी डांसर

वहां से जिया एक ट्रांसजेंडर कम्युनिटी सेंटर में चली गई, जहां लड़कियों को डांस सिखाया जाता था. वहीं उस ने डांस सीखा. 8 माह तक भ्रूण को अपने पेट में पालने वाले जाहद की कहानी भी कुछ इसी तरह की है. जब उस के जेंडर के बारे में परिवार को पता चला तो वह घर वालों से अलग हो गया. वह एक ईसाई परिवार से है. तिरुअनंतपुरम में ओकी तूफान के दौरान उस के मातापिता का घर और नाव दोनों तबाह हो गए थे.

हालांकि जब जाहद ने अपने अभिभावकों को प्रेग्नेंसी के बारे में बताया, तब उस के प्रति उन का रुख सकारात्मक बन गया था. उन्होंने जाहद की गर्भावस्था के दौरान मदद भी की. उस की मां ने सुझाव दिया था कि वह अपनी गर्भावस्था की बातों को सार्वजनिक नहीं करे.

उन की बात को मानते हुए कई महीने तक वह डाक्टरी देखरेख में रहा, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया, जब जिया को महसूस हुआ कि उन्हें जाहद के गर्भ की बात सार्वजनिक करनी चाहिए.

  • सरकारी अस्पताल में हुई डिलीवरी

वैसे जाहद और जिया की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. जिया अपनी माली हालत के बारे में बताते हैं कि उन के लिए जिंदा रहना तक बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि उन के पास छोटे बच्चों को डांस सिखाने का काम है. उन के लिए अच्छी बात यह है कि जाहद पढ़ालिखा है और एक अकाउंटेंट है. उन्होंने शुरुआत में तिरुअनंतपुरम में सरकार की ओर से बनाए गए जेंडर पार्क में काम किया.

बाद में जाहद कोझिकोड चला गया और वहीं उन्होंने सुपरमार्केट में नौकरी कर ली. जिया बच्चा पा कर खुश जरूर है, लेकिन घरेलू खर्च और बच्चे की जरूरतें पूरी करने के लिए खर्च जुटाने की जिम्मेदारी एक तरह से जिया पर ही है. इस के लिए उस ने स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई है. उसे पता है कि जाहद बच्चा पैदा होने के बाद 2 महीने तक काम पर वापस नहीं लौट पाएगा.

जाहद की देखभाल करने वाले कोझिकोड सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने तब बताया कि दंपति की किसी भी सामान्य पुरुष स्त्री की तरह ही नौरमल डिलीवरी होगी. तब डाक्टरों को इस मामले पर मीडिया से बोलने की इजाजत नहीं थी. इसलिए वे इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं जता पाए थे. किंतु सैक्स चेंज करने वाले डाक्टर के अनुसार जाहद दोबारा गर्भ धारण कर सकता है.

डाक्टर का कहना है कि एक बार  गर्भावस्था का दौर खत्म हो जाने पर वह सैक्स हारमोन थेरेपी को फिर से शुरू कर सकता है. ऐसा कर ट्रांसजेंडर कपल अपनी इच्छाएं पूरी कर सकते हैं. जब तक अंडाशय और गर्भाशय हटाया नहीं जाता, तब तक 40 साल की उम्र तक कोई समस्या नहीं आती है.

वैसे जिया और जाहद कथा लिखे जाने तक सैक्स चेंज की प्रक्रिया के दौर से ही गुजर रहे हैं. इस के पूरा होने के बाद उन्हें नए जेंडर का सर्टिफिकेट मिलेगा और वे कानूनी तौर पर शादी कर सकते हैं.

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