मर्द हो या औरत अंदरूनी अंगों की सफाई सभी के लिए बेहद जरूरी होती है. ऐसा करना सैक्स के लिए ही नहीं, बल्कि सेहत के हिसाब से भी बेहद जरूरी होता है.
मर्दों के मुकाबले औरतों के लिए यह बेहद जरूरी होता है. इस की वजह यह है कि औरत के अंदरूनी अंगों की बनावट ऐसी होती है जिन में इंफैक्शन होने का डर ज्यादा होता है. उन के अंग से स्राव, पसीना या फिर पेशाब के बाद अंग को साफ नहीं करने के चलते जांघें गीली हो जाती हैं.
लंबे समय तक गीले रहने के चलते उन में बैक्टीरिया पनपने का खतरा रहता है. इतना ही नहीं, इंफैक्शन या फि र बदबू की समस्या का भी खतरा रहता है, इसलिए अंग की सफाई करने के साथ ही इस जगह को सूखा रखना भी बेहद जरूरी है.
सैनेटरी नैपकिन बदलती रहें
माहवारी के समय ज्यादातर औरतें सैनेटरी नैपकिन को काफी लंबे समय तक नहीं बदलती हैं, जबकि उसे हर 5 से 7 घंटे में बदलना चाहिए. अगर एक ही सैनेटरी नैपकिन को लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाता है तो वह बदन पर लाल चकत्ते या फिर बदबू के साथ इंफैक्शन की वजह बन सकता है.
पीएच लैवल को बनाए रखें
औरत का अंग खुद को बैक्टीरिया और इंफैक्शन से बचाने के लिए एक उचित तापमान, पीएच लैवल और नमी को बनाए रखने में मदद करता है.
आमतौर पर अंग का पीएच लैवल तकरीबन 3.8 से 4.5 होता है, जो कठोर साबुन या कैमिकल वगैरह के इस्तेमाल से काफी बदल सकता है जिस से अंग को नुकसान पहुंच सकता है.
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