Best Hindi Story: रामपुर की फिजाओं में सरसों की बसंती महक घुली हुई थी. खेतों का पीला आवरण मानो धरती का सिंगार कर रहा था. गांव की चौपाल पर ठहाकों और बहसों का दौर हमेशा की तरह जारी था.

लेकिन इन सब के बीच पारुल एक अलग ही दुनिया में जी रही थी. रूप ऐसा कि जैसे कुदरत ने फुरसत में तराशा हो. गोरा रंग, अल्हड़ स्वभाव और आंखों में सुनहरे भविष्य की चमक. वह सपने बुनती थी कि एक छोटा सा घर हो, जीवनसाथी का अटूट साथ हो और खुशियों से भरी गृहस्थी हो.

जब पारुल की शादी विनोद से हुई, तब वह बहुत खुश थी. लाल जोड़े में लिपटी, हीरे सी दमकती पारुल उस दिन किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. विनोद का प्यार और उपहारों की बौछार ने पारुल को यह विश्वास दिला दिया कि बस यही असली जिंदगी है.

लेकिन, समय ने करवट ली और सुनहरे सपने कालिख में बदलने लगे. विनोद के बरताव में आया बदलाव धीमे जहर की तरह था. शराब का नशा, देर रात की वापसी, और फिर वह भयावह दौर जहां प्यार की जगह गालियों ने और इज्जत की जगह मारपीट ने ले ली.

पारुल का कोमल मन अब कांच की तरह दरक चुका था. उस की वह कुदरती मुसकान, जो कभी गांव की पहचान थी, अब दहशत में बदल गई थी.

फिर आई वह काली रात, जिस ने सबकुछ बदल दिया. पतिपत्नी के बीच हुआ झगड़ा. सुबह एक सन्नाटे में तबदील हो गया. ड्राइंगरूम के बीचोंबीच विनोद की लाश पड़ी थी. छाती में गोली थी और पास पड़ी पिस्तौल पर पारुल की उंगलियों के निशान थे. उस ने अपना जुर्म कबूल तो किया, लेकिन उस की पथराई आंखों में कैद ‘क्यों’ का जवाब कोई पढ़ नहीं सका.

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