डाक्टर की सलाह पर रमुआ हवापानी बदलने के लिए अपने गांव जा रहा था. न जाने कितने साल हो गए थे उसे गांव गए हुए. मांबाप के मरने के बाद से वह एक बार भी गांव नहीं गया था.
रमुआ तकरीबन 10-12 साल पहले गांव से शहर आया था. गांव में उस की थोड़ीबहुत खेती थी. खेती के साथसाथ वह गांव में मजदूरी भी करता था.
गांव के कुछ लोग शहर में मजदूरी करते थे. जब रमुआ उन को गांव से वापस शहर जाते देखता था तो उस का मन भी मचल उठता था. लेकिन मांबाप उसे शहर नहीं जाने देते थे.
जब मजदूर शहर से गांव लौटतेतो अपनी बीवी के लिए चूडि़यां, बिंदी वगैरह लाते थे. यह देख कर रमुआ की बीवी सोचती कि काश, उस का पति भी शहर जाता. वह रमुआ को शहर जाने के लिए उकसाती थी.
एक दिन जिद कर के रमुआ रोजगार के लिए शहर चला गया. हफ्तेभर बाद उस ने बीवीबच्चों को भी वहां बुला लिया.
रमुआ को अपने गांव वालों की मदद से कैमिकल बनाने वाली किसी फैक्टरी में दिहाड़ी पर काम मिल गया था. रहने के लिए उस ने अपने साथियों के साथ शहर के बाहर एक नाले के किनारे झोंपड़ी बना ली थी.
रमुआ को जब पहली बार तनख्वाह मिली तो वह हैरान रह गया. इतना पैसा उस ने आज तक नहीं कमाया था.
रमुआ सोचने लगा कि वह अपने बच्चों को खूब पढ़ालिखा कर सरकारी नौकरी दिलाएगा.
शुरू के कुछ महीने तो अच्छे बीते, लेकिन बाद में यही पैसे कम पड़ने लगे. शहर में महंगाई ज्यादा थी और खर्चे भी गांव से ज्यादा थे.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
 - 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
 - 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
 - चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
 - 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
 - 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
 - चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
- 24 प्रिंट मैगजीन
 



 
                
            
