साल भर तक तो उन का यह आंखों वाला प्यार चला और फिर धीरेधीरे दोनों में प्रेम पत्रों का आदानप्रदान होने लगा. 1-2 बार छोटेमोटे गिफ्ट भी दिए थे दोनों ने एकदूसरे को. कई बार स्कूल के बाद कुछ देर रुक कर दोनों बातें भी कर लेते थे. तनु पहले की तरह ही मुझे अपने सारे राज बताती थी. अब तक हम दोनों 12वीं क्लास में आ गए थे. मैं ने एक दिन तनु से चुटकी ली, ‘‘कब तक चलेगा तुम्हारा यह प्यार?’’
तनु मुसकरा कर बोली, ‘‘जब तक प्यार सिर्फ प्यार रहेगा. जिस दिन इस की निगाहें मेरे शरीर को टटोलने लगेंगी, वही हमारे रिश्ते का आखिरी दिन होगा.’’ ‘‘अरे यार, आशिकों का क्या है? रिकशों की तरह होते हैं. एक बुलाओ तो कई आ जाते हैं,’’ तनु ने बेहद लापरवाही से कहा.
मैं उस की बोल्डनैस देख कर हैरान थी. मैं ने पूछा, ‘‘तनु, तुम्हें ये सब करते हुए डर नहीं लगता?’’ ‘‘इस में डरने की क्या बात है? अगर ऐसा कर के मेरा मन खुश रहता है तो मुझे खुश होने का पूरा हक है. और हां, ये लड़के लोग भी कहां डरते हैं? फिर मैं क्यों डरूं? क्या लड़की हूं सिर्फ इसलिए?’’ तनु थोड़ा सा गरमा गई. मेरे पास उस के तर्कों के जवाब नहीं थे.
उस दिन हमारी स्कूल की फेयरवैल पार्टी थी. हम सब को स्कूल के नियमानुसार साड़ी पहन कर आना था. तनु लाल बौर्डर की औफ व्हाइट साड़ी में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. हम लोग हमेशा की तरह साइकिलों पर नहीं, बल्कि टैक्सी से स्कूल गए थे. शाम को घर लौटते समय तनु ने मेरे कान में कहा, ‘‘मैं ने आज अपना रिश्ता खत्म कर लिया.’’ ‘‘मगर तुम तो हर वक्त मेरे साथ ही थी. फिर कब, कहां और कैसे उस से मिली? कब तुम ने ये सब किया?’’ मैं ने आश्चर्य के साथ प्रश्नों की झड़ी लगा दी.
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‘‘शांतशांतशांत…जरा धीरे बोलो.’’ तनु ने मुझे चुप रहने का इशारा किया और फिर बताने लगी, ‘‘टैक्सी से उतर के जब तुम सब स्कूल के अंदर जाने लगी थीं उसी वक्त मेरी साड़ी चप्पल में अटक गई थी, याद करो…’’ ‘‘हांहां… तुम पीछे रह गई थी,’’ मैं ने याद करते हुए कहा.
‘‘जनाब वहीं खड़े थे. टैक्सी की आड़ में, पहले तो मुझे जी भर के निहारा, फिर हाथ थामा और बिना मेरी इजाजत की परवाह किए मुझे बांहों में भर लिया. किस करने ही वाला था कि मैं ने कस कर एक लगा दिया. पांचों उंगलियां छप गई होंगी गाल पर…’’ तनु ने फुफकारते हुए कहा. ‘‘अब तुम ओवर रिएक्ट कर रही हो.. अरे, इतना तो हक बनता है उस का…’’ मैं ने उसे समझाने की कोशिश की.
‘‘नहीं, बिलकुल नहीं. मेरे शरीर पर सिर्फ मेरा अधिकार है,’’ तनु अब भी गुस्से में थी. उस के बाद परीक्षा. फिर छुट्टियां और रिजल्ट के बाद नया कालेज. वह स्कूल वाला लड़का कुछ दिन तो कालेज के रास्ते में दिखाई दिया मगर तनु ने कोई रिस्पौंस नहीं दिया तो उस ने भी अपना रास्ता बदल लिया.
पता नहीं कैसी जनूनी थी तनु. उसे प्यार तो चाहिए मगर उस में वासना का तनिक भी समावेश नहीं होना चाहिए. कालेज के 3 साल के सफर में उस ने 3 दोस्त बनाए. हर साल एक नया दोस्त. मैं कई बार उसे समझाया करती थी कि किसी एक को ले कर सीरियस क्यों नहीं हो जाती? क्यों फूलों पर तितली की तरह मंडराती हो? ‘‘फूलों पर मंडराना क्या सिर्फ भौंरो का ही अधिकार है? तितलियों को भी उतना ही हक है अपनी पसंद के फूल का रस पीने का…’’ तनु ताव में आ जाती.
तनु में एक खास बात थी कि वह किसी रिश्ते में तब तक ही रहती थी जब तक सामने वाला अपनी मर्यादा में रहता. जहां उस ने अपनी सीमा लांघी, वहीं वह तनु की नजरों से उतर जाता. तनु उस से किनारा करने में जरा भी वक्त नहीं लगाती. वह अकसर मुझ से कहती थी, ‘‘अपनी मरजी से चाहे मैं अपना सब कुछ किसी को सौंप दूं, मगर मैं अपनी मरजी के खिलाफ किसी को अपना हाथ भी नहीं पकड़ने दूंगी.’’ ‘‘कालेज के बाद जौब भी लग गई. तनु अब तो अपनेआप को ले कर सीरियस हो जाओ. कोई अच्छा सा लड़का देखो और सैटल हो जाओ,’’ मैं ने एक दिन उस से कहा जब उस ने मुझे बताया कि आजकल उस का अपने बौस के साथ सीन चल रहा है.
‘‘मेरी भोली दोस्त तुम नहीं जानती इन लड़कों को. उंगली पकड़ाओ तो कलाई पकड़ने लगते हैं. जरा सा गले लगाओ तो सीधे बिस्तर तक घुसने की कोशिश करते हैं. जिस दिन मुझे ऐसा लड़का मिलेगा जो मेरी हां के बावजूद खुद पर कंट्रोल रखेगा, उसी दिन मैं शादी के बारे में सोचूंगी,’’ तनु ने कहा. ‘‘तो फिर रहना जिंदगी भर कुंआरी ही. ऐसा लड़का इस दुनिया में तो मिलने से रहा.’’
इस के बाद कुछ ही महीनों में मेरी शादी हो गई. तनु ने भी जयपुर की अपनी पुरानी जौब छोड़ कर मुंबई की कंपनी जौइन कर ली. कुछ समय तो हम एकदूसरे के संपर्क में रहे फिर धीरेधीरे मैं अपनी गृहस्थी और बच्चे में बिजी होती चली गई और तनु दिल के किसी कोने में एक याद सी बन कर रह गई. आज इस गाने ने बरबस ही तनु की याद दिला दी. उस से बात करने को मन तड़पने लगा. ‘पता नहीं उसे सनम मिला या नहीं…’ सोचते.
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हुए मैं ने पुरानी फोन डायरी से उस का नंबर देख कर डायल किया, लेकिन फोन स्विच औफ आ रहा था. ‘क्या करूं? कहां ढूंढ़ूं तनु को इतनी बड़ी दुनिया में,’ सोचतेसोचते अचानक मेरे दिमाग की बत्ती जल गई और मैं ने तुरंत लैपटौप पर फेस बुक लौग इन किया. सर्च में ‘तनु’ लिखते ही अनगिनत तनु नाम की आईडी नजर आने लगीं. उन्हीं में एक जानीपहचानी शक्ल नजर आई. आईडी खंगाली तो मेरी ही तनु निकली. मैं ने उसे फ्रैंड रिक्वैस्ट भेज दी.