Romantic Story : आसिफ अपनी बीवी सना के साथ 10 साल से बड़े प्यारमुहब्बत से मुंबई में रह रहा था. उस के 4 बच्चे थे, 2 बेटियां और 2 बेटे, जिन की उम्र महज 9 साल, 7 साल, 3 साल और एक साल थी. घर में सभी तरह की खुशहाली थी. किसी बात की कोई कमी न थी. आसिफ की सास साजिदा भी अपनी बेटी सना के साथ मुंबई में ही रह रही थी.

आसिफ एक मेहनती इनसान था. यही वजह थी कि उस ने बहुत कम समय में मुंबई में अपना खुद का कारोबार और घर बना लिया था.

आसिफ की सास साजिदा एक खर्चीली औरत थी, जबकि आसिफ की बीवी सना एक घर संभालने वाली जिम्मेदार औरत थी. यही वजह थी कि आसिफ ने काफी तरक्की की, क्योंकि सना फालतू के खर्च से हमेशा बचती थी, जिस से आसिफ को काफी बचत होती थी और धीरेधीरे वह बचत एक मोटी रकम बन जाती थी.

इस के उलट आसिफ की सास साजिदा दिनरात अपनी बेटी सना के कान भरती रहती थी कि क्यों इतने साधारण कपड़े पहनती हो, क्यों सीधीसादी बन कर रहती हो, जेवर खरीदो, अच्छे महंगे कपड़े पहनो. शौहर को बस में करना है, तो अपनी खूबसूरती में हर वक्त चार चांद लगाए लगाए रखो.

अपनी मां साजिदा की यें बात सुन कर सना बोलती, ‘‘अम्मी, मैं ऐसे ही इतनी खूबसूरत हूं. मुझे और क्या बननेसंवरने की जरूरत है. आसिफ मुझे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता है. वह एक सीधासादा इनसान है और उसे खुद सीधीसादी बीवी पसंद है.’’इस पर साजिदा बोलती, ‘‘तू नहीं जानती मर्दों की असलियत. जहां खूबसूरत औरत देखी नहीं, बस उन के दीवाने हो जाते हैं. आजकल मौडर्न जमाना है. मौडर्न बन कर रहा कर सना. इसी में तेरी भलाई है.’’

वक्त गुजरता गया. साजिदा अपनी बेटी सना को भड़काती रही. सना आखिर कब तक अपनी मां की बातों में न आती. आखिर एक दिन सना ने मां साजिदा की बातों में आ कर उन के बताए रास्ते को अपना ही लिया.

आसिफ ने जब सना का यह बदला रूप देखा, तो उसे बहुत हैरानी हुई. वह सना से बोला, ‘‘क्या तुम ब्यूटीपार्लर भी जाने लगी हो?’’

सना बोली, ‘‘हां, अम्मी वहां जबरदस्ती ले गई थीं और उन्होंने मेरी आईब्रो बनवा दीं, फिर बाल स्ट्रेट करवाए. अब कैसी लग रही हूं मैं?’’

आसिफ ने कहा, ‘‘अच्छी लग रही हो. पर बुरा मत मानना कि तुम तो वैसे ही जन्नत की हूर लगती हो. तुम्हें यह सब करने की क्या जरूरत है?’’

सना ने पूछा, ‘‘क्या तुम मुझे देख कर खुश नहीं हो?’’

आसिफ बोला, ‘‘मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं और मैं तुम से हमेशा खुश रहता हूं. मैं ने तो बस यही कहा कि तुम बिना ब्यूटीपार्लर जाए ही इतनी हसीन लगती हो कि मैं तुम्हारे हुस्न का दीवाना हो उठता हूं.’’

सना ने जब आसिफ से यह सुना, तो बड़े प्यार से उसे गले लगा कर एक प्यारा सा चुम्मा रसीद कर दिया.

आसिफ ने भी सना के प्यार का जवाब प्यार से दिया.

अगले दिन सना की अम्मी बोलीं, ‘‘सना, चलो बाजार चलते हैं. तुम्हारे लिए मैं ने कुछ कपड़े पसंद किए हैं. वहां तुम वे कपड़े पहनना, बिलकुल अंगरेजी मेम लगोगी.’’

सना ने बाजार जाने से मना कर दिया, ‘‘मुझे इन सब चीजों की कोई जरूरत नहीं है.’’

इस पर साजिदा बोली, ‘‘कल आसिफ ने तुम से कुछ कहा था क्या?’’

सना ने कहा, ‘‘उन्हें यह सब पसंद नहीं है. वे बोलते हैं कि तुम ऐसे ही बहुत खूबसूरत हो. तुम्हें इन सब चीजों की क्या जरूरत है?’’

‘‘हर औरत इस होड़ में लगी रहती है कि वह दूसरी औरत से ज्यादा खूबसूरत लगे. जब तुम खूबसूरत हो तो क्यों एक घरेलू औरत की तरह सादगी से जिंदगी गुजार रही हो?

‘‘आसिफ तो पागल है. न तो वह खुद बनसंवर कर रहता है और न ही स्मार्ट दिखता है. बस, पैसा कमाने के पीछे इतना पागल हो गया है कि उसे अपनेआप को फिट और स्मार्ट रखने का ध्यान ही नहीं. अभी से उस ने कैसी बूढ़ों वाली दाढ़ी रख ली है.

‘‘जब तुम उस के साथ कहीं बाहर जाती हो, तो तुम दोनों को देख कर ऐसा लगता है जैसे बापबेटी जा रहे हो.’’

सना ने कहा, ‘‘क्या अम्मी, तुम भी कुछ भी बोलती हो. मेरा वे कितना खयाल रखते हैं, मुझे कितना प्यार
करते हैं.’’

‘‘प्यार तो करेगा ही न. जब कोई और औरत उसे घास नहीं डालती तो वह तेरा ही दीवाना बनेगा न. पता नहीं, मेरी क्या मति मारी गई थी, जो ऐसे बूढ़े से तेरी शादी कर दी.’’

सना अपनी अम्मी के मुंह से ऐसी बातें सुन कर सोच में पड़ गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अम्मी ने ऐसा क्यों बोला.

सना को आज भी वह बात याद है, जब आसिफ का रिश्ता उस के लिए आया था. तब सना की अम्मी ने आसिफ को देखते ही इस रिश्ते के लिए मना कर दिया था, पर उस के अब्बू और भाई की जिद थी कि आसिफ एक मेहनती इनसान है, इसलिए अब्बू और भाई ने अम्मी की एक न चलने दी और सना की शादी आसिफ से हो गई.

हालांकि, साजिदा को आसिफ से सना की शादी करना अच्छा नहीं लग रहा था, क्योंकि वे उस की शादी अपनी बहन के बेटे से करवाना चाहती थीं, जो कि बहुत ही खूबसूरत, स्मार्ट और कमउम्र था.

शादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी सना आसिफ के साथ बहुत खुश थी, मगर साजिदा उसे ऐसी सीख दे रही थी, जिस से उस के घर में कभी भी बड़ा तूफान आ सकता था.

साजिदा ने अपनी चालाकियों से सना को उस रास्ते पर ले जाना शुरू कर दिया, जिस की वजह से आसिफ और सना के रिश्ते में दरार पड़ने लगी.

हुआ यों था कि साजिदा ने सना को मौडर्न कपड़े पहनने का शौक डाल दिया. अब वह जींसटौप पहनने लगी थी, जिस से आसिफ को बुरा लगने लगा. उस ने उसे समझाने की कोशिश की, तो फौरन साजिदा बीच में ही बोल पड़ी, ‘‘तुम सना के मौडर्न बनने से जलते हो. उस के ब्यूटीपार्लर जाने से तुम्हें नफरत है.’’

आसिफ बोला, ‘‘अम्मी, मुझे कोई जलन नहीं है. हमारी शादी को इतने साल हो गए हैं. हमारे 4 बच्चे हैं.
2 बेटियां हैं. अगर सना इस तरह के कपड़े पहनेगी, तो उन सब पर क्या असर पड़ेगा.’’

‘‘आजकल कौन परदे में रहना पसंद करता है. तुम लोग तो औरत को चारदीवारी में कैद कर के रखना चाहते हो. औरत को भी जीने का हक है. पर तुम लोग तो औरत को घर की नौकरानी बना कर रखना चाहते हो.’’

अपनी सास साजिदा के मुंह से ये अल्फाज सुन कर आसिफ खामोश हो गया, पर सना को अपनी अम्मी की बातों में दम लगा और उस ने भी अपनी अम्मी का साथ दिया.

आसिफ चुप रहा. वह सोचता रहा कि सना नादान है. एक न एक दिन उसे अपनी गलती का अहसास होगा.

आसिफ का यह सोचना उस की भूल था. अब सना बिना परदे के बाहर घूमने जाने लगी और उस ने अपनेआप को पूरी तरह मौडर्न बना लिया था.

उधर साजिदा ने अपनी बहन के बेटे सनी को मुंबई बुला लिया था. वह मुंबई के एक इलाके में रहने लगा, जहां साजिदा सना को उस से मिलवाने ले जाने लगी.

सनी सना को घुमानेफिराने लगा, तो सना को एक नई खुशी मिलने लगी. अब वह कोई न कोई बहाना बना कर अपना ज्यादातर वक्त सनी के साथ गुजारने लगी.

दोनों का एकदूसरे से मिलनाजुलना शुरू हुआ, तो उन के बीच जिस्मानी ताल्लुकात भी जल्दी ही बन गए.

धीरेधीरे सना का लगाव सनी की तरफ बढ़ता गया और आसिफ से दूरियां बनने लगीं. वह बातबात पर आसिफ को नीचा दिखाने लगी, जिस से उन में ?ागड़ा होने लगा.

एक दिन मौका देख कर सना और उस की अम्मी साजिदा ने आसिफ के 7 लाख रुपए और जेवर घर से गायब कर दिए.

जब आसिफ को इस बात का पता चला, तो वह उन से इस बारे में पूछने लगा. पर उन्होंने साफ इनकार कर दिया कि उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता.

आसिफ चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया, क्योंकि वह सना से बहुत मुहब्बत करता था. वह नहीं चाहता था कि उस की किसी हरकत से सना नाराज हो जाए और उस का घर टूट जाए.

आसिफ का यह सोचना ही उस की सब से बड़ी भूल थी. अब सना के पास काफी पैसा हो गया था. उस ने सनी के साथ मिल कर उन पैसों से और ज्यादा घूमनाफिरना शुरू कर दिया. अब तो वह रातरातभर गायब रहने लगी थी.

आसिफ ने सना की इस हरकत का विरोध किया, तो उस ने साफसाफ कह दिया, ‘‘मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है. तुम अब मेरे काबिल नहीं हो.’’

आसिफ सना की यह बात सुन कर दंग रह गया. उस ने उसे सम?ाने की काफी कोशिश की, पर वह नहीं मानी.

आसिफ ने उसे अपने बच्चों का वास्ता दिया, तो सना की अम्मी साजिदा बोल पड़ी, ‘‘तेरे बच्चे हैं, तू पाल इन्हें.’’

आसिफ की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. उस ने इन सब बातों की जानकारी अपने ससुर को दी, तो वे अगले ही दिन मुंबई के लिए चल दिए.

यह खबर सुन कर सना और साजिदा घर छोड़ कर गायब हो गईं.

एक दिन इंतजार करने के बाद आसिफ और उस के ससुर ने उन दोनों के गायब होने की सुचना पुलिस को दी.

तकरीबन 3 दिन बाद पुलिस ने सना से बात कर के उसे पुलिस स्टेशन बुलाया. साथ ही, आसिफ और उस के ससुर को भी पुलिस स्टेशन आने को कहा.

अगले दिन आसिफ और उस के ससुर पुलिस स्टेशन पहुंचे, तो देखा कि सना और उस की अम्मी साजिदा पहले से ही वहां मौजूद थीं.

पुलिस के पूछने पर सना बोली, ‘‘मुझे इस आदमी के साथ बिलकुल नहीं रहना. यह मेरे साथ मारपीट करता है. मुझ पर शक करता है. मुझे जानवरों की तरह मारता है, इसलिए मैं अपनी अम्मी के साथ अपने एक रिश्तेदार के यहां चली गई थी.’’

पुलिस इंस्पैक्टर ने कहा, ‘‘अगर तुम्हारे शौहर ने तुम पर जुल्म किया था, तो तुम्हें थाने में इस की रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए थी.’’

सना रोते हुए बोली, ‘‘इस के पास पैसा है, ताकत है. अगर मैं कुछ करती तो यह मुझे जान से भी मार सकता था, इसलिए मुझे जो अच्छा लगा, मैं ने वह किया.’’

पुलिस इंस्पैक्टर को उस पर तरस आया और वह आसिफ को डांटते हुए बोला, ‘‘तुम्हें शर्म नहीं आती, जो एक लाचार औरत पर जुल्म करते हो. अगर चार डंडे पड़ेंगे, तो तुम्हारे होश ठिकाने आ जाएंगे.’’

जब पुलिस इंस्पैक्टर ने आसिफ को हड़काया, तो सना की मां साजिदा बोली, ‘‘हम कभी इस के साथ नहीं जाएंगे और न ही कोई शिकायत दर्ज करेंगे. कुछ दिनों अकेला रहने और बच्चों की देखभाल करने पर इसे खुद ही पता चल जाएगा कि बच्चे कैसे पलते हैं.’’

पुलिस ने उन दोनों मांबेटी को छोड़ दिया और आसिफ को सख्त हिदायत दी, ‘‘आइंदा कुछ ऐसावैसा किया, तो जेल में बंद कर दूंगा.’’

आसिफ का घर टूट चूका था. उस के ससुर कुछ दिन वहां रहे और बाद में अपने घर लौट गए.

आसिफ अपने बच्चों को ले कर मुंबई से अपने गांव आ गया. अब उस के ऊपर अकेले बच्चों को पालने की जिम्मेदारी थी.

आसिफ का घर देखते ही देखते एक कब्रिस्तान की तरह बन गया. आज उस की मदद करने वाला कोई न था, पर आसिफ अभी भी सना की याद में तड़पता रहता था. उसे उम्मीद थी कि एक न एक दिन सना लौट आएगी.

आसिफ ने नशा करना शुरू कर दिया. अपनी बीवी के गम में वह रातरातभर सो नहीं पाता था. उस ने खुद को एक कमरे में कैद कर लिया था. उस के बच्चे भूखेप्यासे इधरउधर फिरते रहते थे. उन को देखने वाला अब कोई न था.

धीरेधीरे आसिफ को कई बीमारियों ने घेर लिया. वह शराब पीने के चक्कर में पहले से ही जिस्म से कमजोर था, फिर मन से भी कमजोर होता चला गया. सना के बिना उस की जिंदगी उजड़ गई थी.

आसिफ और उस के बच्चों की ऐसी बदहाली देख कर उस की बहन को उस पर तरस आया और उस के बच्चों को अपने साथ ले गई. इन सब के बावजूद आसिफ को कोई फर्क नहीं पड़ा.

आज इस घटना को पूरे 3 साल हो गए थे. न सना वापस आई और न ही आसिफ को होश रहा.

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