Social Story In Hindi, लेखक - शकील प्रेम

रघुराम छोटी जाति का था. उस का बेटा सिपाही भरती हुआ, तो उस ने भोज कराया, पर ऊंची जाति का जानकीदास भोज में नहीं आया. उसे निराशा हुई. इसी बीच जानकीदास और एक ठेकेदार गंगू में घर की बिजली का ठेका हुआ, पर जानकीदास ने उसे कम पैसे दिए. यह मामला डीएम तक गया. क्या मामला सुलझ पाया?

रघुराम के बेटे का सिपाही पद के लिए सिलैक्शन हुआ था. घर वाले बहुत खुश थे. उन्हें अपने होनहार लड़के पर गर्व था. दौड़ में वह पूरे राज्य में 9वें नंबर पर आया था. 2 दिन पहले लड़के का जौइनिंग लैटर भी आ चुका था. तब से रघुराम के परिवार में खुशी का माहौल था. यह अलग बात थी कि घूस देने में जमीन चली गई थी, लेकिन अब रघुराम को इस का कोई मलाल नहीं था.

गांव की जिस बस्ती में रघुराम रहता था, वहां के लिए यह बहुत बड़ी बात थी, क्योंकि उन लोगों की पूरी बस्ती में एक भी सरकारी नौकरी वाला नहीं था. पहली बार उन की जाति का कोई लड़का सिपाही बनने वाला था.

हालांकि, उसी गांव के कई दबंग परिवारों में बड़ीबड़ी नौकरियां थीं. कोई प्रोफैसर, तो कोई दारोगा. टीचर तो कई थे. कुछ रेलवे में भी थे, लेकिन इस दलित बस्ती में यह पहली सरकारी नौकरी थी.

रघुराम ने इस खुशी में भोज का आयोजन किया, जिस में उस ने बड़े लोगों को भी न्योता दिया. जानकीदास को भी न्योता दिया गया, लेकिन उस के घर से कोई नहीं आया, तो रघुराम को इस बात से बहुत दुख पहुंचा.

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