Social Story : ‘‘अरे नीलू, एंबुलैंस को फोन किया कि नहीं?’’ नीलू की सहेली मधु हंसते हुए बोली.

‘‘क्यों…?’’ नीलू ने पूछा.

‘‘इस स्काई ब्लू ड्रैस में तो तुम बला की खूबसूरत दिख रही हो. रास्ते में कम से कम 15-20 दिलजले तो बेहोश हो कर गिर पड़े होंगे,’’ मधु बोली.

‘‘तुझे तो ब्यूटी कौंटैस्ट में हिस्सा लेना ही चाहिए. गोरा गुलाबी रंग, शानदार फिगर, तीखे नैननक्श, मीठी खनकती हुई आवाज और उस पर यह कातिलाना अदाएं… तुम से बेहतर तो इस शहर में होना मुश्किल है,’’ साथ में खड़ी सुजाता ने कहा.

‘‘हां, बिलकुल ठीक बात है. इसी महीने के आखिर में ब्यूटी कौंटैस्ट हो भी रहा है,’’ मधु ने सूचना दी.

‘‘सच में… क्या मैं यह कौंटैस्ट जीत सकती हूं?’’ नीलू ने पूछा.

‘‘क्यों, क्या कमी है तुझ में. ऐसा फिगर तो कई हीरोइनों का भी नहीं है,’’ सुजाता ने कहा.

‘‘पर, शायद मम्मीपापा इजाजत न दें,’’ नीलू ने डर जाहिर किया.

‘‘हम सब चल कर उन्हें मना लेंगी,’’ मधु ने कहा.

पूछने पर नीलू की मम्मी बोलीं, ‘‘अरे, नहींनहीं. ऐसे किसी ब्यूटी कौंटैस्ट में हिस्सा लेने की जरूरत नहीं है. अभी कालेज का एक साल और बचा है. पहले पढ़ाई पूरी कर लो, फिर किसी ऐसीवैसी बात के बारे में सोचना.’’

‘‘आंटी, सिर्फ एक ही दिन की तो बात है, बाकी समय तो हम कालेज और किताबों में ही रहेंगे न,’’ मधु बोली.

‘‘अगर यह जीत गई तो हम सब को कितना अच्छा लगेगा, आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही,’’ सुजाता ने अपनी तरफ से जोर लगाया.

‘‘चलो, तुम सब इतना जोर दे रही हो तो मैं इस के पापा से पूछ कर ही कोई फैसला लूंगी,’’ नीलू की मम्मी बोलीं.

‘‘आंटी, प्लीज अपनी तरफ से पूरी कोशिश कीजिएगा,’’ मधु बोली.

शाम को मम्मी ने पापा को बताया.

‘‘बच्चों की इच्छा पूरी करना हमारा फर्ज बनता है. वैसे भी हमारे कौन से 5-7 बच्चे हैं. लेदे कर एक लड़की ही तो है, इसलिए हमें इसे इस कौंटैस्ट में भाग लेने की इजाजत दे देनी चाहिए. लेकिन यह पहली और आखिरी बार होगा. इस के बाद अपने कैरियर की तरफ ध्यान देना होगा,’’ नीलू के पापा ने अपना फैसला सुनाया. यह सुन कर नीलू बहुत खुश हुई.

नीलू जब फार्म भरने पहुंची, तो उसे बताया गया कि महीने के आखिरी रविवार को सुबह 11 बजे से इवैंट शुरू हो जाएगा.

इवैंट के मुख्य जज के रूप में फिल्मी दुनिया की एक मशहूर हस्ती आएगी, जिन का नाम अभी गुप्त रखा गया है. इस सिलसिले में सभी प्रतियोगियों को मुफ्त ग्रूमिंग क्लास की सुविधा भी दी जाएगी.

आखिरकार प्रतियोगिता वाला दिन आ ही गया. नीलू सभी प्रतियोगियों पर भारी पड़ी और आखिरी 10 वाले राउंड तक पहुंच ही गई. वहां पहुंच कर मालूम पड़ा कि मुख्य निर्णायक के तौर पर फिल्म स्टार कुशाल आने वाले हैं.

नीलू फिल्म स्टार कुशाल की बहुत बड़ी फैन थी. अब उस का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया.

10वें नंबर पर नीलू का नाम पुकारा गया. इस प्रतियोगिता में सभी से 1-1 सवाल पूछा गया था, जिस का उन्हें एक मिनट में जवाब देना था.

नीलू से सवाल पूछा गया कि आप का आदर्श कौन है? बाकी प्रतियोगियों से भी इसी तरह के सवाल पूछे गए थे. सभी ने रटेरटाए जवाब दिए थे और तकरीबन सभी ने मातापिता, गुरु, दोस्त को अपने जवाबों में शामिल किया था, पर नीलू ने अपने जवाब को एक नया मोड़ दे दिया था.

‘‘मेरा आदर्श इस सृष्टि की एक छोटी सी रचना है, जिसे हम सब चींटी के नाम से जानते हैं. चींटी अपने शारीरिक वजन से कई गुना ज्यादा भार उठा कर बिना थके मेहनत करती है. जरूरत पड़ने पर हाथी से टकराने की भी हिम्मत रखती है. हमें भी इसी तरह बिना थके कामयाबी मिलने तक अपनी मेहनत जारी रखनी चाहिए.’’

नीलू के जवाब से काफी देर तक हाल में तालियां बजती रहीं. नीलू को इस इवैंट में पहला नंबर मिला था. इनाम देते हुए कुशाल ने नीलू की दिल खोल कर तारीफ की.

‘‘कमाल की खूबसूरत हैं आप. क्या फिगर है. क्या आंखें हैं. क्या बाल हैं. एकएक चीज लाजवाब और सब से ऊपर आप का जवाब. वाह, कमाल हो गया. इसे कहते हैं ब्यूटी विद ब्रेन.

‘‘मैं तो आप की डायलौग डिलीवरी का कायल हो गया हूं. बिना किसी ट्रेनिंग के किस जगह सांस लेना है, कितनी देर रोकना है, सब एकदम प्रोफैशनल. आप जैसे लोगों की तो बौलीवुड को जरूरत है. आप मुंबई आइए, मैं आप की पूरी मदद करूंगा,’’ कुशाल नीलू की तारीफ करते हुए बोला.

अवार्ड के अलावा विजेता नीलू को कुशाल के साथ डिनर भी करना था.

डिनर के समय नीलू ने कुशाल से पूछा, ‘‘क्या मैं सचमुच हीरोइन बन सकती हूं?’’

‘‘हां, तुम बिलकुल हीरोइन बन सकती हो,’’ कुशाल बोला.

‘‘क्या आप मेरी मदद करेंगे?’’ नीलू ने पूछा.

‘‘अरे, आप मंबई आइए तो सही, जो हम से बन पड़ेगा, जरूर करेंगे,’’ कुशाल ने जवाब दिया.

‘‘कुशाल साहब का तो नाम चलता है. अगर साहब कह रहे हैं तो चली जाओ सुबह की फ्लाइट से ही,’’ एक चमचाटाइप आदमी बोला.

‘‘मम्मीपापा से पूछना पड़ेगा,’’ नीलू थोड़ा सोच कर बोली.

‘‘ये पापा लोग ही तो विलेन होते हैं… फिल्मों में भी…’’ हंसते हुए कुशाल बोला, ‘‘जब इजाजत मिल जाए, तब आ जाना.’’

‘‘जी, आप अपना नंबर दे दीजिए,’’ नीलू ने कहा.

‘‘जरा नंबर दे दो,’’ कुशाल ने पास खड़े चमचे से कहा.

चमचे ने नंबर लिखवा दिया.

नीलू ने घर में घुसते ही कह दिया, ‘‘मैं फिल्मों में काम करना चाहती हूं.’’

मातापिता दोनों जानते थे कि ऐसा ही होने वाला है, क्योंकि उस प्रोग्राम में वे भी शामिल थे. मना करने पर नीलू के गलत कदम उठाने की संभावना बनी हुई थी. इस पर भी वे विचार कर रहे थे.

उस के पापा ने कहा, ‘‘2 महीने बाद तुम्हारे इम्तिहान हैं. पहले अच्छे से इम्तिहान दे दो, फिर मैं खुद तुम्हारे साथ चलूंगा, क्योंकि 1-2 दिन में तो तुम्हें कोई काम देगा नहीं, इसलिए हम वहां  महीनाभर रुक कर कोशिश कर लेंगे.’’

‘‘वैसे, इस की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि कुशाल ने कहा है कि वहां पहुंचते ही मुझे काम दिलवा देंगे,’’ नीलू चहक कर बोली.

‘‘उस दुनिया की सारी चकाचौंध दिखावटी है. परदे के पीछे का सच बहुत स्याहा और कड़वा है,’’ पापा ने चेतावनी देते हुए कहा.

‘‘जिस पर कुशाल का हाथ हो, वह हर तरफ से सुरक्षित है,’’ नीलू पर तो जैसे कुशाल का जादू छा गया था.

इस बीच नीलू ने सैकड़ों बार कुशाल को फोन लगाया. कई बार तो घंटी जाने के बाद भी फोन नहीं उठाया. कई बार दूसरे ने उठाया. कभी कुशाल साहब शूटिंग कर रहे होते, तो कभी स्टोरी सीटिंग या कभी सो रहे होते.

आखिर वह दिन भी आ गया, जब नीलू को मुंबई जाना था. अभी तक कुशाल से उस की बात नहीं हो पाई थी, फिर भी उसे यकीन था कि कुशाल उसे पहचान ही लेगा और और मदद करेगा.

विभिन्न पत्रपत्रिकाओं और इंटरनैट से नीलू ने कुशाल के घर का पता निकाल ही लिया था.

अपने पापा के साथ नीलू मुंबई में एक छोटे से होटल में रुक गई. सुबह होते ही वह कुशाल के बंगले पर पहुंच गई. वहां उस जैसे पचासों लोग खड़े थे. गार्ड ने उस की कोई बात नहीं सुनी और बाकी लोगों के साथ भीड़ में खड़ा कर दिया.

तकरीबन 4 घंटे धूप में खड़े रहने के बाद 12 बजे कुशाल अपने घर की गैलरी में आया और हाथ हिला कर मौजूद लोगों को देखा और फिर हाथ जोड़ कर अंदर चला गया.

इतनी दूर से उस का नीलू को पहचान पाना मुश्किल था. यही हाल स्टूडियो का था. वहां भी गार्ड किसी को अंदर नहीं जाने दे रहा था.

दूसरे दिन नीलू फिर भीड़ का हिस्सा बन कर खड़ी हो गई, पर आज उस ने अपने हाथों में दुपट्टा ले कर लहराया.

तकरीबन 7 दिनों तक लगातार ऐसा चलने के बाद आखिर एक दिन कुशाल का ध्यान उस की तरफ चला ही गया. वह उसे पहचान नहीं पाया था, फिर भी गार्ड को आदेश दे कर नीलू को अंदर बुलवा लिया.

सारी बातें जानने के बाद कुशाल ने पूछा, ‘‘कहां रुकी हो?’’

नीलू ने जब उसे अपना पता बताया, तो उस ने उसे अपने गैस्ट हाउस में रुकने को कहा. यह भी कहा कि तुरंत काम मिलना मुमकिन नहीं है, इसलिए बेहतर होगा कि वह अपने पिता को वापस घर भेज दे. यहां तो काम की तलाश में इधरउधर जाना पड़ेगा.

गैस्ट हाउस में अच्छीखासी सुविधाएं  थीं. स्टाफ भी अच्छा था, पर किसी भी बात का जवाब हां या न से ज्यादा नहीं देता था.

कुशाल ने अपनी एक कार ड्राइवर के साथ नीलू को दे रखी थी, जहां वह अपने पिता के साथ अलगअलग डायरैक्टरों के यहां मिलने जाती थी.

6-7 घंटे गुजरने के बाद भी किसी से मुलाकात नहीं हो पाती थी, इसलिए 10 दिनों के बाद नीलू के पिता ने वापस जाने का फैसला कर लिया.

नीलू के पिता के जाने के दूसरे ही दिन कुशाल गैस्ट हाउस में आ गया.

‘‘गुड मौर्निंग नीलू, कुछ काम मिला क्या?’’ कुशाल नीलू के कमरे में घुसता हुआ बोला.

‘‘नहीं, अभी तक तो नहीं मिला. किसी से मुलाकात नहीं हो पाई,’’ नीलू निराशा भरी आवाज में बोली.

‘‘हम तुम्हें सिखाते हैं काम कैसे मिलता है. चलो, हमारे साथ,’’ कुशाल मुसकराते हुए बोला.

नीलू में इतनी हिम्मत नहीं थी कि पूछे कहां चलना है, किस से मिलना है. वह तैयार हो कर आ गई.

‘‘मैडम, यह क्या कपड़े पहने हैं. ये सब शूटिंग के दौरान पहनना. कोई छोटी ड्रैस नहीं है क्या?’’ सलवारकुरता पहने नीलू को देख कर कुशाल बोला.

‘‘जी, एक शौर्ट स्कर्ट तो है,’’ नीलू बोली.

‘‘तो फिर वही पहनो. यहां अकेले चेहरा नहीं देखा जाता है, बाकी चीजें

भी गौर से देखते हैं. समझी?’’ कुशाल कुटिलता से बोला.

‘‘जी, समझी,’’ कह कर नीलू ड्रैस बदल कर आ गई.

कमरे से बाहर निकलते ही कुशाल ने नीलू की कमर में हाथ डाल दिया. नीलू को असहज लगा.

‘‘लाइमलाइट में रहने के लिए यह सब तो करना ही पड़ेगा, तभी मीडिया में फोटो छपेगा और लोग जानेंगे. हम और हमारी टीम के जितना नजदीक रहोगी, उतनी ही ज्यादा कामयाब हो पाओगी, समझी?’’ कुशाल की आंखों में शरारत साफ नजर आ रही थी.

‘‘समझ गई,’’ कह कर नीलू उस से और चिपक गई. बाहर कई फोटोग्राफर खड़े थे, जो धड़ाधड़ इस पल को कैमरे में कैद कर रहे थे.

‘‘चलो, तुम्हें डायरैक्टर सोबर कुमार से मिलवाते हैं. वह एक फिल्म बनाने की प्लानिंग कर रहा है, हमारे साथ,’’ कुशाल बोला.

‘‘मैं वहां गई थी, पर 7 घंटे बाद भी वे मिल नहीं पाए थे,’’ नीलू बोली.

‘‘तुम हमारे साथ जा रही हो और हम तुम्हारे गौडफादर हैं, फादर नहीं. समझी?’’ कुशाल बोला.

कार में बैठते ही कुशाल ने नीलू की खुली जांघ पर अपना हाथ रख दिया. नीलू उसे हटाना चाहती थी, पर हाथ का दबाव इतना ज्यादा था कि वह चाह कर भी नहीं हटा पाई.

सारे रास्ते वह अलगअलग जगहों पर इस तरह का दबाव महसूस करती रही और खून के घूंट पी कर सहन करती रही.

तकरीबन एक घंटे बाद दोनों सोबर कुमार के औफिस में थे.

‘‘यह रही हमारी नई फिल्म की हीरोइन, जिस के बारे में हम ने तुम से बात की थी,’’ कुशाल बोला.

‘‘साहब, कम से कम 7 नई हीरोइनों को तो आप इंट्रोड्यूस करा ही चुके हैं,’’ सोबर कुमार हाथ जोड़ कर बोला.

‘‘यह 8वीं है,’’ कुशाल बोला.

‘‘साहब, स्क्रीन टैस्ट लेना पड़ेगा,’’ सोबर कुमार ने कहा.

‘‘स्क्रीन टैस्ट, स्टोरी सीटिंग, प्रोड्यूसर से मीटिंग सब 7 दिन के बाद फिक्स कर लो. अभी 7 दिन तक तो यह हमारे साथ है,’’ कुशाल बोला.

‘‘जी, साहब,’’ सोबर कुमार ने कहा.

‘‘चलो, बधाई हो मैडम, आप हीरोइन बन गई हैं,’’ कुशाल बोला.

‘‘थैंक्यू सर,’’ नीलू ने कहा.

‘‘सर नहीं, साहब कहो. साहब हैं ये,’’ सोबर कुमार नीलू की तरफ देख कर बोला.

‘‘अभी नईनई हैं, धीरेधीरे सब समझ जाएंगी,’’ कुशाल बोला.

लौटतेलौटते रात के 11 बज गए. गैस्ट हाउस में आ कर कुशाल ने खाने का और्डर दिया.

‘‘ड्रिंक करोगी?’’ कुशाल ने पूछा.

‘‘जी, मैं शराब नहीं पीती,’’ नीलू ने जवाब दिया.

‘‘मैडमजी, यह शराब नहीं है. ट्रेनिंग है आप की. फिल्म के रोल के हिसाब से तैयारी तो करनी पड़ेगी न? लो पियो,’’ कह कर कुशाल ने एक पैग बढ़ा दिया.

नीलू में मना करने की हिम्मत नहीं थी. उस ने जिंदगी में पहली बार शराब पी थी.

खाना खा कर कुशाल ने एक विदेशी सिगरेट निकाली और सुलगा ली. एक सिगरेट नीलू की तरफ बढ़ाते हुए बोला, ‘‘यह ट्रेनिंग का दूसरा हिस्सा है. हमारा साथ देने के लिए इसे पी लो.’’

नीलू मना करती रही, पर कुशाल ने सिगरेट सुलगा कर उसे जबरन दे दी. मजबूरन नीलू को सिगरेट पीनी पड़ी.

2-3 कश लेते ही उस पर अजीब सी बेहोशी छाने लगी.

सुबह जब नीलू की नींद खुली तो अपनेआप को बिस्तर पर बिना कपड़ों के पाया. तकरीबन इसी अवस्था में कुशाल उस के पास लेटा हुआ था.

नीलू समझ चुकी थी कि ट्रेनिंग के नाम पर वह जिंदगी की अनमोल चीज गंवा चुकी है.

तकरीबन एक हफ्ते तक यही चलता रहा, बस अब फर्क इतना हो गया था कि कुशाल के आते ही नीलू खुद पैग बना लाती और सिगरेट पेश कर देती.

7 दिन बाद सोबर कुमार के पास स्क्रीन टैस्ट के लिए जाना पड़ा. जैसे ही सोबर कुमार ने सिगरेट पेश की, नीलू बोली, ‘‘मैं रियल ऐक्टिंग करती हूं. मुझे सिगरेट की जरूरत नहीं. बताइए, कहां देना है स्क्रीन टैस्ट.’’

‘‘वाह,’’ सोबर कुमार बोला.

इस के बाद तो प्रोड्यूसर, स्टोरी राइटर, डायलौग राइटर, म्यूजिक डायरैक्टर और कैमरामैन तक सभी ने नीलू को अलगअलग ढंग से टैस्ट किया और टे्रनिंग दी.

नीलू फिर भी दूसरे लोगों की तुलना में खुशकिस्मत थी. उसे कम से कम एक फिल्म तो मिल गई और वह फिल्म हिट भी हो गई.

किसी फिल्म की शूटिंग के दौरान वह अपनी वैनिटी वैन में मेकअप करवा रही थी, तभी बाहर जा रहे 2 लोग जोरजोर से बातें कर रहे थे.

‘‘अरे कालगर्ल है वह तो,’’ एक आदमी दूसरे से कह रहा था.

नीलू को लगा, शायद वह आदमी उसे आवाज दे रहा था.

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