मोनिका नकली सी हंसी के साथ मुसकरा दी. ‘मोनिका...’ अचानक उस के मुंह से निकला. उस ने अचानक महसूस किया कि अंतरंग क्षणों में वह उस के कानों में इसी भावुकता से फुसफुसाता था. ‘मोनिका...’ वह दोबारा मन में बोला. इतने में वह साफसाफ बोली, " पैसे, पैसों के हिसाब के लिए आई हूं."
"ओह, अच्छा." वह समझा कि मोनिका बहुत ही सुसंकृत है और वह सब के सामने बहुत कायदे से पेश आना चाहती है, इसलिए उस ने गरदन दाएं और बाएं दौडा़ कर देखा. मगर आसपास तो उन दोनों के सिवा और कोई भी था ही नहीं. सो, उस को लगा कि उस की गैरहाजिरी में शायद वह चादरें पसंद कर ले गई होगी. तो, आज उन के पैसे देने आई होगी.
“हां, तो मोनिका..." उस ने आंखें मिला कर कहा तो वह नजर नीची कर के फिर बोली, "आज तुम मेरा हिसाब पूरा कर दो, 5 बार के मेरे पैसे दे दो, 2 हजार रुपए के हिसाब से 10 हजार बनते हैं. आप, 8 हजार रुपए दे दो."
मोनिका ऐसा कह कर खामोश हो गई, पर उस की आंखें नीची ही रहीं. उस के कानों ने यह सुना, तो वह तो जैसे आसमान से गिरा. उस को लगा कि वह जैसे किसी सडे़ हुए गोबर में फेंक दिया गया हो, छपाक... यह वही मोनिका है और किस बात के पैसे मांग रही है, उन मुलाक़ातों, ताल्लुकातों के जिन में वह भी अपनी मरजी से शामिल हुई. मगर वह तो उस से बहुत प्यार करती थी.
"मोनिका,” उस के मुंह से निकला और मुंह खोलते ही जैसे सडा़ हुआ गोबर सीधा उस के मुंह में गया, लेकिन उस ने अपनी आंखों से, पलकों से वह बदबूदार गोबर हटाया और पलकें झपकाते हुए कहा, "मोनिका, हम तो एकदूसरे की पूरी सहमति से... है ना... और यह तो प्यार था."
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