जब से लौकडाउन लगा है मजदूरों की स्थिति बेहद भयावह हो गई है. इन की दर्दनाक घटनाएं आएदिन समाचारों की सुर्खियां बनती जा रही हैं.

लौकडाउन के बाद जहां मजदूरों को भूखे पेट रहने पर मजबूर होना पङ रहा है, वहीं अपने गांव जाने की छटपटाहट में ये जानलेवा घटनाओं के भी शिकार हो रहे हैं. सरकारी प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हो पा रही, ऐसे में दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर हजारों किलोमीटर तक का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं.

हाल ही में महाराष्ट्र के अहमदाबाद में 16 मजदूरों की मौत ट्रेन से कट कर हो गई थी और हालात ऐसे हो चुके हैं कि अब तो मजदूरों की दर्दभरी कहानियां देखसुन कर रौंगटे खड़े हो जा रहे हैं.

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इस बीच मजदूरों से जुङी एक घटना दिल को झकझोर देने वाली है.

एमपीमहाराष्ट्र के बिजासन बौर्डर पर नवजात बच्चे के साथ पहुंची महिला मजदूर की कहानी बेहद दर्दनाक है.

बच्चे के जन्म के 1 घंटे बाद ही उसे गोद में ले कर महिला 160 किलोमीटर तक पैदल चल कर बिजासन बौर्डर पर पहुंची.

वह गर्भ से थी और जाना 1 हजार किलोमीटर दूर था

शकुंतला नाम की एक महिला अपने पति के साथ नासिक में रहती थी. गर्भावस्था के 9वें महीने में वह अपने पति के साथ नासिक से सतना के लिए पैदल निकली. नासिक से सतना की दूरी करीब 1 हजार किलोमीटर है.

रास्ते में चलते हुए उसे लेबर पेन हुआ तो साथ चल रहे पति और दूसरे लोगों की समझ में कुछ नहीं आ रहा था. उधर महिला दर्द से तङपने लगी थी. पति की स्थिति बेहद खराब थी. जेब में फूटी कौङी भी नहीं था.

हालात इतने खराब हो गए कि बिजासन बौर्डर से 160 किलोमीटर पहले सड़क किनारे ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया.

पुलिस वाले भी हैरान रह गए

शनिवार को महिला बिजासन बौर्डर पर पहुंची तो उस के गोद में नवजात बच्चे को देख चेकपोस्ट की एक महिला इंचार्ज उस के पास जांच के लिए पहुंची. उन्हें लगा कि महिला को मदद की जरूरत है. उस के बाद उस से बात की, तो कहने को कुछ शब्द नहीं थे.

महिला 70 किलोमीटर चलने के बाद रास्ते में मुंबई-आगरा हाइवे पर बच्चे को जन्म दिया था. इस में 4 महिला साथियों ने मदद की थी.

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महिला की बातों को सुन कर पुलिस टीम अवाक रह गई. महिला ने जब यह बताया कि वह बच्चे को जन्म देने तक 70 किलोमीटर पैदल चली थी, तो पुलिस वालों का दिल भी पसीज गया.

जन्म देने के बाद भी निकल पड़ी पैदल

आश्चर्य तो यह भी है कि बच्चे को  जन्म देने के बाद वह महिला 1 घंटे सड़क किनारे ही रुकी और फिर दोबारा पैदल चलने लगी. बच्चे के जन्म के बाद वह बिजासन बौर्डर तक पहुंचने के लिए 160 किलोमीटर पैदल चली.

महिला के पति की लौकडाउन के बाद नौकरी छूट गई थी और जेब में फूटी कौङी भी नहीं थी. ऐसे में उस ने पैदल ही सतना जाने की सोची. दिक्कत यह थी कि उस की बीवी गर्भ से थी और इतनी दूर पैदल जाना इतना आसान भी नहीं था. मगर मरता क्या न करता. आखिरकार उन के बीच एक ही रास्ता था कि वे अपने गांव लौट जाएं.

साहस बटोर कर वे अन्य लोगों के साथ गांव की ओर निकल पङे मगर रास्ते में ही उस की बीवी को लेबर पेन शुरू हो गया. हालांकि बौर्डर पर मौजूद पुलिस वालों ने उस महिला की जरूर हरसंभव मदद की.

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मगर इस दर्दनाक कहानी के पीछे सरकारी निकम्मापन सरकार की उन दावों की भी पोल खोलता है, जिस में आम जनता और खासकर मजदूर वर्ग पिस रहा है मगर इन की सुनने वाला फिलहाल कोई नहीं.

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