लेखक- राजेश चौरसिया

  • युवाओं की नई सोच बचायेगी लोगो को कोरोनो वायरस से..
  • बुंदेलखंड के युवा खुद खर्चे पर कर रहे पूरे शहर को सेनिटराइज..
  • लॉग डाउन के पहले दिन से बांट रहे राशन और खाना..
  • एक लाख रुपये प्रतिदिन का आ रहा सारा खर्च..
  • सभी युवाओं की टीम मिलकर उठा रही सारा खर्चा..
  • बड़े नेताओं, विधायक, मंत्रियों को पछाड़ बने सच्चे जनसेवक..
  • टीम में कोई भी राजनैतिक व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है वरना राजनीति होने लगती..

कहते हैं नेता, विधायक, जनप्रतिनिधि जनता के सेवक होता है वह इसलिये क्यों कि वे इसी जनता के वोटों की दम पर चुनाव जीतकर फर्श से अर्श (विधानसभा/लोकसभा) तक पहुंचते हैं और जननायक कहलाते हैं. लेकिन बुंदेलखंड में कुछ ऐसा देखने को मिला कि यह जननायक इन युवाओं के सामने नतमस्तक और बौने साबित होते दिख रहे हैं.

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छतरपुर में लॉग डाउन के पहले दिन से ही युवाओं की सोच बदल डाली है और यह युवा अब कोरोना से लड़ने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं. इन युवाओं की सोच इतनी आगे है कि बड़े-बड़े मंत्री, नेता, विधायक, जनप्रतिनिधि सब इनकी बड़ी सोच और जनसेवा के आगे बौने साबित हो रहे हैं.

हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की जहां छतरपुर के इन युवाओं ने लोगों के मुश्किल समय में वो कर डाला है कि जो उनके चुने हुए नेता, मंत्री, विधायक, भी नहीं कर पाये और अब बन बैठे हैं वे लोगों के सच्चे जननायक.

शहर में युवाओं की यह टीम देश में कोरोना वायरस की दस्तक के बाद और लॉग डाउन के पहले दिन से ही ख़ाशी शक्रिय है जो लोगों की मदद के लिये हर संभव तत्पर है. जानकारी के मुताबिक इस टीम ने पहले हज़ारों गरीब, कामगार, मजदूर, असहाय, लाचार, लोगों को एक-एक माह का राशन सहित जरूरत का सामान (आटा, दाल, चावल, शक्कर, चाय, नमक, मसाले, बिस्किट, साबुन, मास्क) सहित अन्य जरूरी सामग्री वितरित की उसके बाद से बाहर से आने-जाने वाले लोगों, मजदूरों, राहगीरों, कर्मचारियों, पुलिस, अस्पताल में मरीजों इन सभी को खाना बनवाकर लंच पैकेट वितरित किये जो कि अब भी अनवरत जारी हैं.

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अब इन्होंने एक नई जरूरत और सोच को मुमकिन कर दिखाया है जो कि शासन प्रशासन, जनप्रतिनिधि मिलकर भी पूरा नहीं कर पा रहे थे. इन्होंने अब पूरे शहर को सेनिट्राइज़ करने का बीड़ा उठाया है जिसके लिये इनकी टीम के द्वारा दो दर्जन से अधिक इलेक्ट्रॉनिक सेनेटराइज मशीनों को खरीदा गया है इस मशीन की क़ीमत तकरीबन 4 हजार रुपये है और इन सभी की कीमत लगभग 1 लाख बीस हज़ार आंकी गई है से सेनेटराइज सामग्री का घोल बनाकर पूरे शहर के 40 वार्डों में जाकर हर गली, मोहल्ले, घर-घर जाकर सेनेटराइज कर रहे हैं साथ ही आस पास के गांवों में भी जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

टीम के सदस्यों ने बताया..

टीम के सदस्य जवेद अख़्तर, प्रकाश (कल्लू) रावत, सरदार हरविंदर सिंह की मानें तो इनमें से कोई नेता, राजनेता, या उनका पुत्र सगा संबंधी कार्यकर्ता भी नहीं है जिसका कि किसी को राजनैतिक लाभ मिल सके सभी युवा और स्वतंत्र विचार के लोग हैं. हमने अपने इस कार्य में किसी नेता, राजनेता, जनप्रतिनिधि अथवा किसी भी दल को शामिल नहीं किया और न ही उन्हें शामिल होने दिया. और न ही उनका किसी भी प्रकार का सहयोग लिया है. यह सब हम सभी मिलकर निःस्वार्थ और सेवाभाव से कर रहे हैं.

मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि बुंदेलखंड के इन युवाओं की सोच ने दुनिया, देश, प्रदेश, के मुश्किल वक्क्त में वो सब कर दिखाया है जिसकी कि किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. यह वो सब कर रहे हैं जो चुने हुए जनप्रतिनिधि सरकार और उसका पैसा होने के बादभी नहीं कर पा रहे.

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इससे सिद्ध होता है कि इस सब के लिये सिर्फ नेता बनने और चुनाव जीतकर राज करने की आवश्यकता नहीं होती है होती है यो सिर्फ एक सोच और जज्बे की जो हमें यहां तक ले जाती है जो यहां सबको बौना साबित करती है.

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