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सौजन्य- सत्यकथा

Writer- शाहनवाज

यह सुन कर नीरज ने सक्षम के कंधे पर हाथ रखा और घर के अंदर आ गया. सक्षम को यह देख कर थोड़ा अजीब लगा. उस ने अपने पिता को रोकना चाहा, लेकिन वह कहां रुकने वाला था. उन दोनों के अंदर घुसते ही बाहर से एक और आदमी मकान में आ घुसा.

यह शख्स नीरज का दोस्त लेखराज था. लेखराज के अंदर आते ही उस ने भीतर से मुख्य दरवाजे की कुंडी बंद कर दी और भाग कर पहली मंजिल पर जा पहुंचा.

लेखराज को देखते ही इस से पहले कि सक्षम कुछ कहता, नीरज ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया और उसे अपनी गोद में उठा कर उस कमरे की ओर चल पड़ा, जहां पर उस की पत्नी आयशा और उस की सास सुमन सोए हुए थी.

एक तरफ नीचे ग्राउंड फ्लोर पर नीरज अपने बेटे के साथ था तो दूसरी ओर लेखराज पहली मंजिल पर गगन और राजन के कमरे में था. लेखराज ने अपनी कमर से एक देसी तमंचा निकाल कर सोते हुए राजन पर गोली चला दी.

गोली चलने की आवाज सुन कर गगन नींद से जाग गया और उस की नजर लेखराज और उस के हाथ में तमंचे पर पड़ी. गगन के अवचेतन दिमाग ने खुद को बचाने के लिए बिस्तर किनारे रखे फोन को लेखराज की ओर जोर से फेंका. वह फोन लेखराज के चेहरे पर जा कर लगा और कुछ पलों के लिए उस का ध्यान गगन से हट गया.

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इतने में गगन भाग कर दरवाजे की ओर से निकलने ही वाला था कि लेखराज ने गगन पर पीछे से गोली चला दी, जोकि उस की कमर पर लगी. गोली लगते ही वह गिर पड़ा.

गगन के शरीर से निकला खून पूरे फर्श पर फैल चुका था, जिसे देख लेखराज को लगा कि वह मर गया है, क्योंकि गगन के शरीर से किसी तरह की कोई हरकत नहीं हो रही थी.

पहली मंजिल पर गोली चलने की आवाज सुन कर 12 साल का छोटा बच्चा इस से पहले कि कुछ समझ पाता, नीरज ने उसे नीचे उतार दिया. फिर उस ने अपने थैले में से तमंचा बाहर निकाल कर अपनी सास सुमन पर निशाना साधते हुए 2 गोलियां चला दीं.

नीरज की पत्नी आयशा जो गहरी नींद में सो रही थी, बाहर होने वाले शोर से वह भी जाग गई. इस से पहले कि वह कुछ समझ पाती, नीरज ने मौका देख कर एक गोली अपनी पत्नी की छाती पर दाग दी. गोली मारने के बाद नीरज ने इधरउधर देखा तो सक्षम वहां मौजूद नहीं था.

नीरज ने जब उसे अपनी गोद से उसे नीचे उतारा था, तब वह भाग कर बाथरूम में चला गया था. उस ने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया. सक्षम इतनी दहशत में था कि उस ने बाथरूम में किसी तरह की कोई हरकत करने की हिम्मत नहीं दिखाई.

इतने में लेखराज अपना काम पूरा कर के नीचे आया और उस ने नीरज से पूछा, ‘‘काम हो गया, अब आगे क्या करना है?’’

नीरज ने अपने थैले में से 2 धारदार चाकू निकाले और एक उस के हाथ में थमाते हुए बोला, ‘‘ये दोनों किसी भी कीमत पर जिंदा नहीं रहने चाहिए. इन्होंने मेरा जीना हराम कर दिया है, इसलिए इन्हें पूरी तरह से खत्म कर दो.’’

कहते हुए लेखराज और नीरज दोनों सुमन और आयशा की लाश की ओर बढ़े और दोनों उन के शरीर पर चढ़ कर उन के शरीर पर लगातार चाकू से वार करने लगे. उन्होंने उन का शरीर गोदने के बाद महसूस किया कि मकान में उन का नौकर भी रहता है, उस नौकर को भी उन्होंने ठिकाने लगाना जरूरी समझा. उसी समय उन्होंने महसूस किया कि कोई मकान का मेन दरवाजा खोल रहा है.

वह उस मकान में काम करने वाला नौकर शिवा ही था. उसे देख कर नीरज उस की ओर अपना तमंचा ले कर दौड़ा. शिवा अपनी जान बचाने के लिए तेजी से भागा और दीवार फांदते हुए वह मकान के इर्दगिर्द खाली पड़े प्लौट को पार करते हुए भाग निकला.

इस बीच नीरज ने उस की ओर निशाना साध कर गोली भी चलाई थी, लेकिन गोली के तमंचे में फंस जाने की वजह से शिवा अपनी जान बचाने में कामयाब रहा. नीरज और लेखराज सक्षम को छोड़ घर में सभी को गोली मारने के बाद तुरंत वहां से नौ दो ग्यारह हो गए.

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नीरज और लेखराज ने सभी को गोली तो मार दी थी, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि गगन को गोली लगने के बाद भी वह बच जाएगा. गगन को उस की कमर पर गोली लगी थी, उस का खून भी काफी बह चुका था लेकिन वह जिंदगी और मौत के बीच लटक गया था.

नीरज और लेखराज के वहां से निकल जाने के बाद सक्षम रोताबिलखता एकएक कर अपने परिवार के पास जा कर उन्हें देख रहा था, तभी उस ने देखा कि उस के मामा के शरीर में हरकत हो रही थी. यह देख कर फोन ले कर वह भागते हुए अपने मामा गगन के पास पहुंचा.

गगन ने 100 नंबर डायल कर पुलिस को फोन लगाया और पुलिस को कराहती आवाज में जल्द ही अपने घर पर आने के लिए कहा.

सुबह के करीब साढ़े 3 बज रहे थे, जब इस घटना की सूचना फरीदाबाद में धौज थाना क्षेत्र को मिली. धौज थाना गगन के नए घर से मात्र 5 मिनट की दूरी पर ही था.

मामले की सूचना मिलते ही धौज थानाप्रभारी दयानंद अपनी टीम के साथ कुछ ही देर में गगन के घर जा पहुंचे और उन्होंने सब से पहले मकान में गगन को ढूंढ निकाला और उसे पास के अस्पताल ले गए. उसी दौरान उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले की सूचना दी.

सूचना मिलने पर थोड़ी देर में जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और फोरैंसिक टीम भी वहां पहुंच गई. फोरैंसिक टीम द्वारा अपना काम निपटाने के बाद पुलिस ने दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए भेज दीं.

इस के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर थानाप्रभारी ने जांच शुरू कर दी. पुलिस ने सक्षम से उस के पिता का मोबाइल नंबर ले कर टैक्निकल टीम को दे दिया. टीम ने ट्रेसिंग कर के नीरज की लोकेशन का पता लगा लिया.

घटना के 9 घंटे बाद डीएलएफ और धौज की क्राइम ब्रांच की टीमों ने 22 अक्तूबर को एनआईटी फरीदाबाद से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

अगले भाग में पढ़ें- पिछले एक साल से आयशा अपने बेटे सक्षम के साथ अपने मायके में ही थी

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