बीरेंद्र बरियार

लाखों रुपए ले कर फर्जी तरीके से इम्तिहान देने वालों की जगह किसी सौल्वर (सवाल हल करने वाला) को बिठा कर इम्तिहान देने वालों के एक गैंग का खुलासा हुआ है. इस गैंग के सरगना के तार बिहार के छपरा और जहानाबाद जिले से जुड़े हुए हैं. सौल्वर गैंग के ज्यादातर लोग मैडिकल और इंजीनियरिंग का इम्तिहान पास कर चुके हैं या उस की तैयारियों में लगे हुए हैं.

सौल्वरों के जरीए नीट (नैशनल ऐलिजिबिलिटी कम ऐंट्रैंस टैस्ट) पास कराने का सौदा करने वाले गैंग का सरगना पीके उर्फ प्रेम कुमार उर्फ प्रमोद कुमार उर्फ नीलेश इस के लिए 30 लाख से 50 लाख रुपए तक वसूलता था.

इसी पैसे से पीके ने पटना में तिमंजिला मकान और दानापुर में 4 प्लौट खरीदे. उस के पास फौर्चुनर, हुंडई लिवो और एक वैगनआर कार बरामद हुई. बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और त्रिपुरा की पुलिस पीके की तलाश में लगी हुई थी. वाराणसी पुलिस ने पीके को पकड़ने वाले को एक लाख रुपए का इनाम देने का ऐलान कर रखा था.

पीके पिछले 6-7 सालों से नीट (यूजी) और पीजी के इम्तिहान में सौल्वरों को बिठा कर कैंडिडेट को पास कराने का गेम खेल रहा था. इस के अलावा वह बिहार और उत्तर प्रदेश में मास्टरों की बहाली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अधीनस्थ सेवा, बिहार पुलिस सेवा वगैरह में भी अपना गोरखधंधा चला रहा था. उसे पिछली 18 नवंबर को छपरा में दबोचा गया.

पीके की बहन प्रिया भी इस गिरोह में शामिल है. प्रिया साल 2019 में पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट औफ मैडिकल साइंसेज से एमबीबीएस की डिगरी ले कर डाक्टर बनी थी. फिलहाल वह छपरा के सारण में नगरा ब्लौक के प्राइमरी हैल्थ सैंटर में पोस्टेड है.

प्रिया की शादी रीतेश कुमार सिंह के साथ साल 2014 में हुई थी, जो बिहार सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग में क्लर्क है. वह इस पद पर साल 2004 में बहाल हुआ था. पीके की गिरफ्तारी के बाद उस की बहन प्रिया की एमबीबीएस की डिगरी भी जांच के घेरे में आ गई है.

पीके ने कोरैस्पोंडेंस कोर्स के जरीए पटना यूनिवर्सिटी से बीए का इम्तिहान पास किया था. उस ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बता रखा था कि वह डाक्टर है.

पीके मूल रूप से छपरा के सारण के एकमासिंटू गांव का रहने वाला है. उस के पिता कमलवंश नारायण सिंह बिहार सरकार के उद्योग विभाग से साल 1990 में रिटायर हो चुके हैं. पीके अपने पिता के साथ ही पटना की पाटलिपुत्र कालोनी के अपने मकान में रहता था.

12 सितंबर को सारनाथ के एक परीक्षा केंद्र पर त्रिपुरा के रहने वाली हिना विश्वास की जगह बीएचयू की बीडीएस की छात्रा जूली कुमारी को इम्तिहान देते हुए पकड़ा गया था. इस मामले में जूली, उस की मां बबीता, भाई ओसामा, विकास कुमार महतो, रवि कुमार गुप्ता और तपन साहा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

उस के बाद 22 सितंबर को पटना के रघुनाथ गर्ल्स हाईस्कूल में डिप्लोमा इन ऐलीमैंट्री ऐजूकेशन के इम्तिहान में 4 लड़कियों समेत 9 सौल्वर को पकड़ा गया.

इम्तिहान के दौरान वहां आए इंविजीलेटर को कुछ छात्रों पर शक हुआ. उस ने मजिस्ट्रेट को इस बात की जानकारी दी. जब सभी छात्रों के एडमिट कार्ड की जांच की गई, तो सौल्वर गैंग के लोग पकड़ में आ गए.

सौल्वर गैंग के सदस्य रिंकू कुमारी (मधुबनी), शैलेंद्र कुमार (मधेपुरा), शिवम सौरभ (मधुबनी), बीरेंद्र कुमार (मधुबनी), सुरुचि कुमारी (नालंदा), रंजीत कुमार (निर्मली), विनोद कुमार (सुपौल), गुडि़या कुमार (नालंदा), गुंजन कुमारी (मधेपुरा) को पुलिस ने गिरफ्तार किया.

पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र के मंगलदीप अपार्टमैंट्स के पास औनलाइन परीक्षा केंद्र आईडीजेड-5 में इम्तिहान देने के दौरान किसी दूसरे की जगह इम्तिहान दे रहे दीपक कुमार को पकड़ा गया. बाद में उस से मिली जानकारी के आधार पर ओरिजनल उम्मीदवार लकी कुमार को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

लकी कुमार सारण के गरखा गांव का रहने वाला है. दीपक ने पुलिस को बताया कि एक लाख रुपए में सौदा तय हुआ था और एडवांस के तौर पर 10,000 रुपए मिले थे. बाकी रकम कैंडिडेट के पास होने के बाद मिलने वाली थी.

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, लकी कुमार ने दीपक को अपने एडमिट कार्ड के साथ इम्तिहान सैंटर में पहुंचा दिया था. इम्तिहान शुरू होने से पहले जब सभी कैंडिडेट की जांच की गई, तो दीपक का चेहरा एडमिट कार्ड में चिपकाए गए फोटो से मेल नहीं खा रहा था. शक होने पर दीपक से पूछताछ की गई. पहले तो उस ने चकमा देने की कोशिश की, पर कुछ ही देर में सबकुछ सचसच उगल दिया.

पीके के गैंग में उस की प्रेमिका समेत दूसरी 12 लड़कियां भी शामिल थीं. सभी लड़कियां एजेंट का काम करती थीं और मैडिकल और इंजीनियरिंग का इम्तिहान देने वाले छात्रों को अपने जाल में फंसाती थीं. जब कोई छात्र जाल में फंस जाता था, तो उस की काउंसलिंग भी कराई जाती थी.

पुलिस रिकौर्ड के मुताबिक, बिहार के जहानाबाद जिले के अतुल वत्स ने सब से पहले सौल्वर गैंग बनाया था. उस के बाद उस ने काफी कम समय में बिहार समेत हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तक अपना जाल फैला लिया था.

उस के गैंग में तकरीबन 60 लड़के थे. सभी लड़कों को बाकायदा ट्रेनिंग दी गई थी कि किस तरह से शिकार को फंसाया जाए.

सभी एजेंट लग्जरी गाडि़यों में घूमते थे और महंगे होटलों में ठहरते थे. तमाम सुविधाओं के साथ उन्हें 20,000 से 25,000 रुपए हर महीने तनख्वाह के रूप में दिए जाते थे.

सौल्वर गैंग के लोगों ने पुलिस से बचने के लिए ऐसा पक्का इंतजाम कर रखा था कि उन का मोबाइल फोन सर्विलांस पर ट्रेस न हो सके. गैंग के सभी लोगों को कोडवर्ड में बात करने की हिदायत थी. जैसे ‘टिशू मिलना’ का मतलब होता था, डौक्यूमैंट मिलना. इसी तरह ‘खजूर मिलना’ का मतलब होता था, एडवांस मिलना. ‘डनडन’ कहा गया तो समझिए डील पक्की हो गई.

बीटैक, नीट, बीबीए क्वालिफाई कर चुके स्टूडैंट रातोंरात करोड़पति बनने के चक्कर में सौल्वर गैंग के जाल में फंसते रहे हैं.

गैंग का सरगना अतुल वत्स खुद बीटैक है. इस के अलावा गैंग में शामिल उज्ज्वल कश्यप, रमेश सिंह, प्रशांत कुमार और रोहित कुमार के पास भी बीटैक की डिगरी है.

साल 2006 में अतुल ने एनईईटी में और कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया था. साल 2010 में बीटैक करने के बाद अतुल ने दिल्ली जा कर एमबीए किया.

एमबीए में उसे काफी कम नंबर मिले, जिस से वह बहुत परेशान हुआ था. उस के बाद वह पटना लौट आया और अपने दोस्त दीपक के साथ मिल कर उस ने बोरिंग रोड इलाके में इंजीनियरिंग और मैडिकल कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला.

कोचिंग में अतुल फिजिक्स और कार्बनिक रसायन पढ़ाता था. साल 2014 में उस ने यूको बैंक के पीओ का इम्तिहान पास किया, लेकिन एक साल में ही उस का मन ऊब गया और उस ने नौकरी छोड़ दी.

साल 2016 में नीट पेपर सौल्वर गैंग में अतुल का नाम आया था. साल 2017 में वह पहली बार पुलिस के हत्थे चढ़ा था. दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था.

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