21 अगस्त, 2016 की दोपहर को जिस तरह सुमन की 2 साल की बेटी सोनी घर के बाहर बरामदे से खेलते हुए गायब हुई थी, उसे देखते हुए घर वाले ही नहीं, पूरा गांव हैरान था. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर छोटी सी बच्ची इस तरह कहां अचानक चली गई. घर में ही नहीं, उसे इधर उधर काफी खोजा गया, पर वह कहीं नहीं मिली. सोनी के न मिलने से सुमन ही नहीं, पूरा गांव परेशान था.
सोनी कहां गई, किसी की समझ में नहीं आ रहा था. बेटी के इस तरह गायब होने से सुमन का दिल बैठने लगा था. जल्दी ही यह खबर पूरे गांव में फैल गई थी. बेटी के न मिलने से सुमन का रो रो कर बुरा हाल था. सुमन की हालत देखते हुए उस के मां बाप, पड़ोसी प्रेमचंद और गांव के कुछ अन्य लोग उसे ले कर थाना फरेंदा पहुंचे और इंसपेक्टर संपूर्णानंद तिवारी को पूरी बात बताई तो उन्होंने लिखित शिकायत ले कर सोनी की गुमशुदगी दर्ज करा दी.
इस के बाद थानाप्रभारी ने सभी को सांत्वना दे कर घर भेज दिया कि वह बच्ची को ढुंढवाने की कोशिश करेंगे. मामला एक मासूम की गुमशुदगी का था, इसलिए संपूर्णानंद तिवारी ने मामले की जांच खुद संभालते हुए कारवाई शुरू कर दी.
गांव बाबू फरेंदा जा कर उन्होंने घर वालों से पूछताछ की तो पता चला कि सुमन के शादी से पहले गांव के पूर्व ग्रामप्रधान रामप्रीत के बेटे प्रेमचंद से प्रेमसंबंध थे. 2 दिन पहले वह सुमन से मिलने आया भी था. सुमन ने उसे झिड़क दिया था, तब उस ने खामियाजा भुगतने की धमकी दी थी. पुलिस के लिए इतनी जानकारी काफी थी.
संपूर्णानंद तिवारी ने सुमन और प्रेमचंद के प्रेमसंबंधों के बारे में विस्तार से पूछताछ की. इस के बाद प्रेमचंद पूरी तरह संदेह के दायरे में आ गया था. उन्होंने उस के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि वह थाने से लौटने के बाद से ही घर से गायब है. किसी को पता भी नहीं था कि वह कहां है.
प्रेमचंद के इस तरह घर से गायब होने पर पुलिस का संदेह और बढ़ गया. पुलिस खुद तो उस की खोज में जुट ही गई, मुखबिरों को भी उस की तलाश में लगा दिया. आखिरकार पुलिस ने मेहनत कर के प्रेमचंद को उसी के गांव के एक खंडहर पड़े मकान से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो घाघ प्रेमचंद ने पुलिस को काफी छकाया. लेकिन अंत में उसे जुबान खोलनी ही पड़ी. अपना अपराध स्वीकार करते हुए उस ने बताया कि उसी ने सोनी का अपहरण कर उस की हत्या कर लाश को नदी में फेंक दी है.
इस घृणित कार्य को उस ने अकेले ही अंजाम दिया था. इस के बाद इस सिरफिरे आशिक ने सुमन से प्यार से ले कर सोनी की हत्या तक की जो कहानी सुनाई, उसे सुन कर पुलिस भी हैरान रह गई. वह पूरी कहानी कुछ इस प्रकार थी—
सुमन उत्तर प्रदेश के जिला महाराजगंज के गांव बाबू फरेंदा के रहने वाले सुखी और संपन्न किसान भगवानचंद की सब से बड़ी बेटी थी. वह काफी सूझबूझ वाली और खूबसूरत लड़की थी. इंटर पास करने के बाद वह आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन महाविद्यालय घर से दूर होने की वजह से वह आगे नहीं पढ़ सकी.
सुमन सयानी हुई तो भगवानचंद ने उस की शादी कानपुर के रहने वाले विशुनदेव से कर दी. ससुराल में भरापूरा परिवार तो था ही, सुखी और संपन्न भी था. ससुराल में उसे इतना प्यार मिला कि उसे मायके की कमी कभी नहीं खली. समय के साथ सुमन 2 बच्चों की मां बनी, जिन में बेटा विकास 5 साल का है तो बेटी सोनी 2 साल की थी.
सुमन समयसमय पर मायके आती रहती थी और 2-4 दिन रह कर ससुराल चली जाती थी. 10 अगस्त, 2016 को भी वह दोनों बच्चों को ले कर मायके आई थी. उस दिन दोपहर का समय था. सुमन घर में अकेली थी. उस समय उस के दोनों बच्चे सो रहे थे. वह कपड़े सहेज रही थी, तभी उसे अपने बाएं कंधे पर दबाव महसूस हुआ. उस ने पलट कर देखा तो पीछे गांव का ही प्रेमचंद खड़ा था. उसे देख कर उस ने हैरान हो कर कहा, ‘‘तुम…तुम ने तो मेरी जान ही निकाल दी.’’
‘‘तुम कब से मुझ से डरने लगी सुमन?’’ प्रेमचंद ने मुसकराते हुए कहा तो सुमन ने तुनक कर कहा, ‘‘मुझे इस तरह का मजाक बिलकुल पसंद नहीं. आज के बाद इस तरह का मजाक करना भी मत.’’
‘‘ठीक है बाबा, अब इस तरह कभी नहीं करूंगा. तुम बेकार ही डर गईं.’’
‘‘काम ही तुम ने ऐसा किया.’’
‘‘कैसी बातें करती हो सुमन, पहले तो तुम ने इस तरह का व्यवहार मुझ से कभी नहीं किया. सौरी, माफी मांग रहा हूं.’’ प्रेमचंद ने दोनों कान पकड़ कर कहा.
‘‘ठीक है, अब कभी ऐसा मत करना. और हां, अब जाओ, शाम को मम्मी पापा आ जाएंगे, तब शाम को मिलने आना. अगर अभी किसी ने तुम्हें यहां देख लिया तो न जाने क्या सोचेगा?’’ सुमन ने घबराते हुए कहा.
‘‘यार, मैं तुम से और तुम मुझ से प्यार करती हो, फिर इतना डर क्यों रही हो?’’
‘‘मैं तुम से प्यार जरूर करती थी, पर अब नहीं करती. मेरी शादी हो चुकी है. गृहस्थी बस चुकी है मेरी, 2 बच्चे हैं मेरे, प्यार करने वाला पति है. पहले जो हुआ, सो हुआ. अब उसे भूल जाओ. उन्हें मैं धोखा नहीं दे सकती.’’ सुमन ने कहा.
‘‘अचानक तुम्हें यह हो क्या गया सुमन, कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो तुम? अब बस भी करो और आओ मेरी बाहों में समा जाओ. तुम्हें आगोश में लेने के लिए मेरी ये बांहें कब से बेताब हैं.’’ कह कर प्रेमचंद ने सुमन को बांहों में भर लिया.
सुमन कसमसाते हुए उस की बाहों से आजाद होने के लिए तड़प उठी. और जब आजाद हुई तो गुस्से में बोली, ‘‘मैं ने कहा था न कि मेरी गृहस्थी बस चुकी है, परिवार हो चुका है मेरा. तुम जो चाहते हो, अब वह नहीं हो सकता. प्लीज, मेरी बसीबसाई गृहस्थी में आग मत लगाओ. मेरी बात को समझो और चुपचाप यहां से चले जाओ. कहो तो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ लूं या पैर पकड़ लूं. पिछली बातों को भूल कर अब तुम मेरे ऊपर उपकार करो और यहां जाओ.’’
‘‘यह तुम क्या कर रही हो सुमन?’’ प्रेमचंद ने भर्राई आवाज में कहा, ‘‘मैं ने तो बस तुम से दिल्लगी की थी. मेरे सामने हाथ जोड़ने या पांव में पकड़ने की जरूत नहीं है. मेरी दुआएं हमेशा तुम्हारे साथ हैं और रहेंगी. भला मैं तुम्हारी गृहस्थी क्यों उजाड़ने लगा? ऐसी बात है तो आज के बाद मैं तुम्हारे सामने कभी नहीं आऊंगा. आज के बाद मैं तुम्हारी ओर देखूंगा भी नहीं. लेकिन आज मेरी इच्छा पूरी कर दो.’’ प्रेमचंद ने कहा.
लेकिन सुमन राजी नहीं हुई. प्रेमचंद ने उसे बहुत समझाया, पर सुमन ने उसे झिड़क दिया. जब किसी भी कीमतड्ड पर सुमन राजी नहीं हुई तो प्रेमचंद ने उसे धमकी देते हुए कहा, ‘‘मेरी बात न मान कर सुमन तुम ने बहुत बड़ी भूल की है. इस का खामियाजा तुम्हें भुगतना ही होगा.’’
25 साल का प्रेमचंद भी उसी के गांव का रहने वाला था. उस के पिता रामप्रीत गांव के प्रधान रहे थे. 4 भाईबहनों में प्रेमचंद दूसरे नंबर का बेटा था. इंटर पास कर के उस ने पढ़ाई छोड़ दी थी, क्योंकि आगे पढ़ने में उस का मन नहीं लगा.
पढ़ाई छोड़ने के बाद वह दिन भर आवारा दोस्तों के साथ घूमता रहता था. आतेजाते उस की नजर सुमन पर पड़ी तो उस के दिल की घंटी बज उठी. सुमन आंखों के रास्ते दिल में उतरी तो वह हर घड़ी उसी के बारे में सोचने ही नहीं लगा, बल्कि उसे एक नजर देखने के लिए उस के घर के चक्कर भी लगाने लगा. लेकिन अपने दिल की बात वह सुमन से कह नहीं सका.
दूसरी ओर सुमन भी कम नहीं थी. उस ने जल्दी ही प्रेमचंद के मन की बात भांप ली थी. पता नहीं क्यों, वह उस की ओर आकर्षित होने लगी. वह समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा उस के साथ क्यों हो रहा है? ऐसे में जब प्रेमचंद ने हिम्मत कर के उस से दिल की बात कही तो उस ने भी अपने दिल की बात कह दी कि वह भी उस से प्यार करती है.
सुमन की स्वीकृति पर प्रेमचंद बहुत खुश हुआ. इस के बाद दोनों छिपछिपा कर मिलने लगे. संयोग से इस की भनक न तो सुमन के घर वालों को लगी और न ही प्रेमचंद के.
प्रेमचंद रोजीरोटी के चक्कर में चेन्नई चला गया तो कई सालों बाद गांव लौटा. उसी बीच सुमन की शादी ही नहीं हो गई, बल्कि वह 2 बच्चों की मां भी बन गई. इस बीच प्रेमचंद जब भी गांव आया, उस की मुलाकात सुमन से नहीं हो सकी.
संयोग से इस बार 20 अगस्त को प्रेमचंद गांव आया तो सुमन मायके आई हुई थी. सुमन के मायके में होने का उसे पता चला तो वह उस से मिलने उस के घर चला गया. लेकिन सुमन ने उसे लिफ्ट देने के बजाय झिड़क कर उस के अरमानों पर पानी फेर दिया. सुमन की बेवफाई ने प्रेमचंद को बेचैन कर दिया. उस पूरी रात वह सो नहीं सका. बिस्तर पर करवटें बदलते हुए यही सोचता रहा कि सुमन उस के साथ इस तरह बेवफाई कैसे कर सकती है?
भले ही वह अपनी मांग में किसी और के नाम का सिंदूर भर रही हो, पर प्यार तो उस ने उसी से किया था, इसलिए अब भी वह उसी की है. वह उस के बिना कैसे रह सकती है? और अगर रह सकती है तो उसे इस की सजा ऐसी मिलनी चाहिए कि जिंदगी भर दुख की धधकती आग में अपने आंसुओं को सुखाने की कोशिश करती रहे.
यही सब सोच कर उस ने सुमन को मजबूर करने के लिए एक खतरनाक षडयंत्र रच डाला. उस की योजना यह थी कि वह उस की मासूम बेटी सोनी का अपहरण कर लेगा और बदले में उस के जिस्म का सौदा करेगा. सुमन इस के लिए तैयार हुई तो ठीक, वरना वह उस की बेटी की हत्या कर देगा. बेटी को खोने के बाद वह सारी जिंदगी दर्द की आग में सुलगती रहेगी.
प्रेमचंद ने ठीक वैसा ही किया, जैसा उस ने योजना बनाई थी. योजना के अनुसार 21 अगस्त, 2016 की सुबह से ही वह सुमन और उस की मासूम बेटी पर नजर गड़ाए था. दोपहर को सोनी बरामदे में अकेली खेलती दिखाई दी तो वह चुपके से उस के पास पहुंचा और गोद में ले कर भाग गया.
उस समय सुमन घर के कामों में लगी थी. काम निपटा कर उसे बेटी की याद आई तो वह घर के बाहर आई. बरामदे में बेटी को न पा कर उस की तलाश में लग गई. काफी तलाशने के बाद भी जब उस का पता नहीं चला तो सभी ने उस के गायब होने की सूचना थाने में देने का मन बना लिया. सभी सोनी के गायब होने की सूचना देने थाने जाने लगे तो प्रेमचंद भी सब के साथ यह देखने थाने चला गया कि सोनी की गुमशुदगी में सुमन उस का नाम तो नहीं लिखवा रही है.
थाने से लौटते समय प्रेमचंद सब का साथ छोड़ कर गायब हो गया. अचानक बीच रास्ते से उस के गायब होने से सुमन को उस पर शक ही नहीं हुआ, बल्कि विश्वास हो गया कि सोनी के गायब होने के पीछे उसी का हाथ है. क्योंकि उस ने उस को धमकी दी थी कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो उसे इस का खामियाजा भुगतना होगा.
घर पहुंच कर सुमन ने प्रेमचंद की धमकी वाली बात मां बाप को बताई तो यह सब सुन कर वे सन्न रह गए. भगवानचंद ने तुरंत गांव वालों को इकट्ठा कर के पूरी बात उन्हें बताई. इस के बाद सभी रामप्रीत के घर पहुंचे और प्रेमचंद को सामने लाने और सोनी को सकुशल बरामद कराने को कहा.
प्रेमचंद का कुछ पता नहीं था. रामप्रीत ने उसे फोन कर के घर आने को कहा तो वह समझ गया कि पिता उसे घर आने को क्यों कह रहे हैं. उस ने घर आने से साफ मना कर दिया. जब उस से सोनी के बारे में पूछा गया तो उस ने पिता से भी साफसाफ कह दिया कि जब तक सुमन उस की बात नहीं मानेगी, तब तक वह सोनी को किसी भी कीमत पर नहीं लौटाएगा. साफ हो गया कि प्रेमचंद ने जो शर्तें रखी थीं, वह निहायत ही घटिया थीं. रामप्रीत बेटे की इस करतूत से गांव वालों के सामने लज्जित हो गए.
प्रेमचंद सुमन की देह के लिए पागल था. बात जब उस के पिता तक पहुंची तो उस का पागलपन सनक में बदल गया. उसे विश्वास हो गया कि सुमन अब उस की बात कभी नहीं मानेगी. फिर क्या था, उस ने मासूम सोनी का गला घोंट कर हत्या कर दी और लाश को नदी में फेंक दिया. इस के बाद गांव आ कर एक खंडहर पड़े मकान में छिप गया, जहां से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.
अपना अपराध स्वीकार कर के मासूम की हत्या की कहानी सुनाते समय प्रेमचंद के चेहरे पर न कोई शिकन थी और न कोई पछतावा, बल्कि अपने किए पर वह खुश था. देखा जाए तो प्रेमचंद ने सुमन को ऐसा जख्म दिया था, जो वक्त के साथ भर तो जाएगा, लेकिन उस की कसक कभी नहीं जाएगी. सुमन ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिसे उस ने अपना सब कुछ सौंप दिया, वही उसे इस तरह का दर्द देगा.
कथा लिखे जाने तक प्रेमचंद जेल में था. बेटे की करतूतों से दुखी रामप्रीत ने उस के किए की सजा दिलाने के लिए उस की जमानत की भी कोशिश नहीं की थी. जब इस सब की जानकारी सुमन के पति को हुई तो उन्हें भी बहुत दुख हुआ. पर यह सोच कर उन्होंने पत्नी को माफ कर दिया कि वह बीता हुआ पल था. बीते हुए पल पर वर्तमान को हावी होने देना ठीक नहीं है. वह सुमन को ले कर कानपुर चले गए. पति के इस फैसले से सुमन के मन को थोड़ा तसल्ली जरूर मिली होगी.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित