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(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

रात को वह हिसार से अपने गांव डाटा लौट रहे थे, तभी रास्ते में 2 बाइक और एक कार में सवार बदमाशों ने उन्हें घेर लिया और रकम लूटने के बाद उन्हें कार में जिंदा जला दिया. हांसी पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ लूटपाट और हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

सवाल मुंह बाए खड़े थे

पुलिस ने जांच शुरू की तो कई तरह के अनसुलझे सवाल सामने आए. पहला तो यही कि लुटेरों को राममेहर के पास मोटी रकम होने की सूचना कैसे मिली? दूसरे हिसार में वह किनकिन लोगों से मिले थे? क्या उन से पैसों का लेनदेन भी किया था? एक महत्त्वपूर्ण सवाल यह भी था कि कार किस ज्वलनशील पदार्थ से जलाई गई थी?

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राममेहर का शव ड्राइवर के पास वाली सीट पर मिला था, एक सवाल यह भी था कि कार में क्या कोई दूसरा व्यक्ति भी था? और यह भी कि वह हिसार से अपने गांव डाटा सीधे रास्ते से जाने के बजाय लिंक रोड से क्यों जा रहे थे?

हत्यारों का पता लगाने के लिए पुलिस ने राममेहर के मोबाइल की कालडिटेल्स निकलवाई. वारदात स्थल के आसपास 6 अक्तूबर की रात उस इलाके में एक्टिव रहे मोबाइल नंबरों का पता लगाया गया. मौकाएवारदात का सीन भी रिक्रिएट किया गया. कार में मिला शव राममेहर का ही है, इस की पुष्टि के लिए डीएनए जांच कराने का फैसला किया गया.

राममेहर ने हांसी में बैंक से जब रकम निकलवाई थी, तब उन के साथ और आसपास कौन लोग थे, इस का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई. बैंक से राममेहर के खाते की डिटेल्स भी निकलवाई गई.

राममेहर के परिवार के बारे में पुलिस को पता चला कि वह 7 बहनों के इकलौते भाई और सब से छोटे थे. उन की मां की एक साल पहले मृत्यु हो गई थी. परिवार में उस के पिता टेकचंद, पत्नी संतोष, 2 बेटियां और एक बेटा आशीष था.

दसवीं तक पढ़े राममेहर के पास करीब 15 एकड़ जमीन थी. वह खेतीबाड़ी के साथ व्यापार भी करते थे. पहले उन की डिस्पोजल की फैक्ट्री हांसी में बरवाला बाइपास पर थी.

करीब डेढ़ साल पहले उन्होंने वह फैक्ट्री बंद कर दी और बरवाला रोड पर ही डिस्पोजल आइटम्स के कच्चे माल की फैक्ट्री शुरू की. उन का माल हरियाणा के अलावा राजस्थान और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में भी जाता था.

राममेहर की मौत से डाटा और उस के आसपास के गांवों में रहने वाले लोग हैरान थे. हैरानी इस बात की थी कि उस इलाके में पहले कभी ऐसी वारदात न तो सुनी गई थी और न ही देखी गई थी. राममेहर की किसी से रंजिश या दुश्मनी होने की बात भी सामने नहीं आई.

राममेहर की मौत से उन के घर ही नहीं पूरे गांव में मातम छा गया था. सहारे की लाठी टूटने से बूढ़े पिता टेकचंद की आंखें पथरा गई थीं. पत्नी संतोष बेहोश और बेटियां बेसुध हो गई थीं. इस जघन्य वारदात से हिसार और हांसी के व्यापारियों में भी आक्रोश था.

अपराधियों तक पहुंचने के लिए पुलिस को अपनी जांच का दायरा बढ़ाना पड़ा. तकनीकी और वैज्ञानिक तरीकों से विभिन्न सवालों के जवाब खोजने के लिए पुलिस अपराधियों तक पहुंचने की कोशिश में जुट गई.

सीन औफ क्राइम यूनिट के विशेषज्ञों ने सवाल उठाए कि शव राममेहर का है या नहीं, इस का पता डीएनए जांच से ही चलेगा. उन्हें जिंदा जलाया या मार कर, यह हिस्टोपैथोलाजी जांच से साफ हो सकता था. जिस ज्वलनशील पदार्थ से कार को जलाया गया, वह पेट्रोलडीजल या कोई कैमिकल था?

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राममेहर का शव जिस सीट पर मिला था, वह पीछे की तरफ झुकी हुई थी. इस से इस बात की संभावना थी कि उन्हें कार से बाहर खींचने का प्रयास किया गया होगा, वह बाहर नहीं निकले तो उन्हें मारपीट कर मार डाला गया या अधमरा कर छोड़ दिया और फिर ज्वलनशील पदार्थ डाल कर जला दिया गया.

एक सवाल यह भी उठा कि बदमाश अगर चलती कार को रोकने की कोशिश करते तो दुर्घटना होती, लेकिन मौके पर इस के सबूत नहीं मिले. इस से अंदेशा हुआ कि किसी परिचित ने कार को रुकवा कर वारदात को अंजाम दिया होगा.

आखिर सामने आ ही गई सच्चाई

जांचपड़ताल में कुछ ऐसे सबूत सामने आए कि पुलिस अफसर भी चौंक गए. करीब 11 लाख रुपए लूट कर राममेहर को कार में जिंदा जलाने की सचाई का पुलिस ने वारदात के करीब 65 घंटे बाद ही पता लगा लिया.

राममेहर घटनास्थल से 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से जीवित मिल गया. हिसार पुलिस उसे बिलासपुर से गिरफ्तार कर हांसी ले आई.

राममेहर से की गई पूछताछ और सबूतों के आधार पर उस की साजिश से परदा उठ गया. राममेहर ने ऐसी खौफनाक साजिश क्यों रची, यह कहानी बताने से पहले यह जानना जरूरी है कि पुलिस उस तक पहुंची कैसे?

जांचपड़ताल में पुलिस को कार पर कोई खरोंच तक नहीं मिली थी. कार सड़क किनारे खड़ी थी, हैंड ब्रेक लगे थे. इस से साफ हो गया कि कार को इत्मीनान से रोका गया था. सड़क पर कार दौड़ाने का कोई सबूत नहीं मिला. कार सड़क के बीच नहीं साइड में खड़ी थी.

आसपास दूसरी कार और बाइक के टायरों के निशान नहीं मिले थे. अगर किसी को अनहोनी का खतरा हो तो वह गाड़ी को सड़क किनारे खड़ा नहीं करेगा और हैंडब्रेक तो बिल्कुल नहीं लगाएगा. कार को अंदर व बाहर एकसाथ कैमिकल डाल कर जलाया गया था ना कि कार में आग फैली थी.

पुलिस को मौके पर कार से राममेहर का मोबाइल नहीं मिला था, जबकि उस की अंतिम लोकेशन उसी जगह की थी. कंकाल बन चुका शव कार के ड्राइवर के पास वाली सीट पर था. बेटे और भांजे के पास राममेहर का फोन रात सवा 11 बजे आया था, लेकिन उन्होंने पुलिस को सूचना रात 12 बज कर 5 मिनट पर दी गई थी. पुलिस जब मौके पर पहुंची तो कोई भी नहीं मिला, बाद में घरवाले जब मौके पर पहुंचे, तो कहा कि वे रास्ता भटक गए थे.

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आमतौर पर ऐसे मामलों में अवैध संबंध, बीमा क्लेम या अन्य किसी निजी स्वार्थ के लिए षडयंत्र रच कर खुद की मौत साबित करने की कोशिश की जाती है. इन्हीं सब बातों से शक उभरा, तो पुलिस ने गहराई से छानबीन की.

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