बहुत समय से लोगों को इस पल का इंतजार था क्यों और कैसे हम आगे बताएंगे. मगर यहां यह बताना जरूरी है कि भूपेश बघेल के ढाई साल की सरकार ने जो जमीनी कार्य किए हैं वह अपने आप में मील के पत्थर सिद्ध हुए हैं, सबसे महत्वपूर्ण कार्य है गरवा नरवा और बाड़ी का, जिसकी प्रशंसा सिर्फ कांग्रेस और हाईकमान ने ही नहीं बल्कि कांग्रेस के घोर विरोधी संघ अर्थात भारतीय जनता पार्टी की पितृ संस्था ने भूपेश बघेल से मुलाकात कर की है.
भूपेश बघेल का मुख्यमंत्रित्व काल इसलिए भी रेखांकित करने योग्य है क्योंकि अल्प समय में ही उन्होंने जो विकास के कार्य किए हैं वे महत्वपूर्ण हैं यही नहीं उन्होंने आम लोगों से भिन्न लगातार आम जन से मुलाकात का सिलसिला बनाए रखा. भूपेश बघेल कोरोना कोविड 19 के समय काल में भी छत्तीसगढ़ की जनता से वर्चुअल ही सही लेकिन लगातार मुलाकात करते रहे और लोगों के दुख दर्द को समझ कर के दूर करने का निरंतर प्रयास किया. आमतौर पर जब कोई सत्ता के सिंहासन पर बैठ जाता है तो उसमें एक मद दिखाई देता है मगर छत्तीसगढ़ इस संदर्भ में आज सौभाग्यशाली है कि भूपेश बघेल आज भी अपने आप को एक सामान्य साधारण सादगीपूर्ण गांधी वादी जीवन शैली अपनाते हुए लोगों के साथ सीधे जुड़े हुए दिखाई देते हैं.
रही बात ढाई साल के कार्यकाल पर उठे सवाल की तो यह अपने आप में आज एक जवाब है …. आगे इस पर हम विस्तार से चर्चा कर रहे हैं.
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किसानों, गरीब आदमी,जन हितैषी सरकार
भूपेश बघेल सरकार ने इन ढाई वर्ष में लगातार केंद्र की उपेक्षा सही है अगर यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा. हर पल हर रास्ते पर केंद्र ने रोड़ा अटकाने का ही प्रयास किया. यह भूपेश बघेल सरकार के लिए एक ऐसा अंधेरा पक्ष है जिसे छत्तीसगढ़ के लोग ने देखा है. किसानों के बोनस का मामला हो या धान खरीदी का हो केंद्र सरकार को जैसे जिम्मेदार तरीके से एक संघीय ढांचे के तहत राज्य सरकार को मुक्त हस्त मदद करनी चाहिए थी वह मदद भूपेश बघेल को नहीं मिली. इसके लिए बावजूद किसानों के लिए जो कल्याणकारी कार्य भूपेश बघेल सरकार ने किए हैं वह अपने आप में ऐतिहासिक कहे जा सकते हैं. 25 00 रूपए में प्रति कुंतल धान खरीदी ऐसा काम है जो देश में और कहीं नहीं हुआ, इस तरह भूपेश बघेल ने जहां किसानों को अपने पैरों पर खड़े करने के लिए काम किया है.
दरअसल, आज तक देश में कहीं भी ऐसा साहसिक कार्य नहीं हुआ है.इसके साथ ही सरकार में आते ही किसानों का सारा कर्ज माफ कर देना भी भूपेश बघेल सरकार का महत्वपूर्ण कार्य कहा जा सकता है. जबकि मध्य प्रदेश में ही कमलनाथ की कांग्रेस की सरकार ने बहुत कम राशि ही माफ की. जबकि भूपेश भगत सरकार ने सारी की सारी किसानों को दिये गए ऋण की राशि को माफ कर दिया. किसानों के लिए हृदय से जो काम छत्तीसगढ़ में हुआ है, वह देश के लिए एक नजीर है. यही नहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हों या फिर शिक्षक हों, इस सरकार ने अल्प समय में ही ठोस काम करके दिखाया है कि सरकार को किस तरीके से जनहितकारी होना चाहिए इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हाल ही में कोरोना वायरस के कारण ड्यूटी पर काल कवलित हुए शिक्षकों के एक परिजन को शासकीय नौकरी की पहल.
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भूपेश बघेल की कुर्सी पर संकट!
अगर यह कहा जाए भूपेश बघेल सरकार के ढाई साल बनाम 20 वर्ष तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. क्योंकि इतने अल्प समय में ही छत्तीसगढ़ के जमीन से जुड़े हुए जो काम भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के रूप में किए हैं वह कभी भुलाया नहीं जा सकते और जिनकी जमीनी स्तर पर बहुत आवश्यकता थी. डॉ रमन सिंह की 15 वर्ष की सरकार से तुलना करें तो साफ है पहले सिर्फ हवा हवाई बन कर रह गई थी सरकारें. जैसे एक सरकार को आम गरीब लोगों का हितेषी होना चाहिए यह भावना भूपेश बघेल की सरकार में दिखाई दी है चाहे वह राजस्व के साधारण से मामले हों, डॉ रमन सरकार ने 5 डिसमिल तक की भूमि के रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगा दिया था.मगर भूपेश बघेल सरकार ने शपथ के साथ ही यह प्रतिबंध उठा लिया. ग्राम पंचायतों पर टैक्स लादा जाने वाला था. इसी तरह छोटी-छोटी और महत्वपूर्ण चीजों को भूपेश बघेल सरकार ने लागू किया और लोगों को बड़ी राहत दी.
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सरकार की लोकप्रियता के साथ ही यह अफवाह भी बाजार गर्म कर रही थी कि भूपेश बघेल तो सिर्फ ढाई साल के मुख्यमंत्री हैं! क्योंकि इसके बाद ढाई साल का कार्यकाल की एस सिंह देव संभालेंगे, मगर ढाई साल होते होते इस अफवाह के गुब्बारे से भी हवा निकल गई और लोगों ने देखा कि ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है.