अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा 7 देशों के निवासियों पर अमेरिका में घुसने पर लगाए गए प्रतिबंध और नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले में बेहद समानता है. दोनों फैसलों में आतंकवादियों के नाम पर हर निर्दोष को काला साबित कर दिया गया. दोनों में न कोई विचार हुआ, न संसद का फैसला हुआ. दोनों में बेमतलब की सरकारी धौंस दिखाई गई. दोनों में आम शरीफ लोगों को कतारों में खड़ा होना पड़ा, अपना जीवन आंखों के सामने एक सरकारी आदेश के आगे फलतेफूलते पेड़ के ठूंठ होते दिखा.
डौनल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी जैसे नेता दुनियाभर में पनपने लगे हैं और युवाओं की बिना सीमाओं वाले विश्व की तमन्ना समाप्त होती दिख रही है. आज का युवा इंटरनैट से दुनियाभर से जुड़ा है पर सरकारें इन जुड़े युवाओं पर नक्शों पर खिंची सीमाओं पर पक्की दीवारें बनाने की तैयारी में लगी हैं. पहले कभी रूसियों ने पूर्वी जरमनी का हिस्सा पूर्वी बर्लिन के और खुले पश्चिमी बर्लिन के बीच दीवार बनाईर् थी जो 1989 में टूटी. आज महान नेता पैदा हो रहे हैं जो युवा तमन्नाओं पर दीवारों पर दीवारें बना रहे हैं.
हर देश में अपनेपराए का भेद अब गहरा रहा है. धर्म को इस में बड़ा मजा आ रहा है, क्योंकि धर्म के पाखंड से विमुख हो रहे युवाओं को भड़का कर आतंकवाद और राष्ट्रवाद के नाम पर कट्टर बनाया जा रहा है और जो कट्टर होता है वह सर्वव्यापी धर्म के पाखंड और सरकार के प्रचार में भेद नहीं कर पाता. डौनल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी दोनों धर्म की कट्टरता का सरकारी धौंसपट्टी थोपने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.
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