राजधानी दिल्ली में आप ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई. सीएम केजरीवाल साल के पहले चुनाव में 70 में से 62 सीटों पर फतह हासिल कर विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया. इसबार के दिल्ली चुनाव हर बार से बहुत अलग थे. आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव को बहुत ही होशियारी के साथ लड़ा और इसमें विजय भी पाई. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि दिल्ली जैसा प्रयोग बिहार में भी देखने को मिल सकता है. वैसे तो यूपी और बिहार की राजनीति दिल्ली की राजनीति से बहुत अलग है. यहां के मुद्दों,नेताओं,जनता सभी में काफी असमानताएं हैं फिर भी चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की बातों से ऐसा लग रहा है कि वो भी बिहार की राजनीति में हाथ आजमाना चाहते हैं.

जेडीयू से निकाले गए नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के लिए बड़ी योजना का ऐलान कर दिया है. राजधानी पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत ने हालांकि किसी राजनीतिक दल बनाने का तो ऐलान नहीं किया लेकिन उन्होंने राज्य के लाखों युवकों को जोड़ने के लिए ‘बात बिहार की’ कार्यक्रम की घोषणा की. अपनी योजना की घोषणा करते हुए किशोर ने आज कहा कि वह बिहार को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होते हुए देखना चाहते हैं और इसके लिए वह मिशन पर निकलेंगे और युवाओं की फौज तैयार करेंगे. प्रशांत की इस तैयारी को राज्य में तीसरे मोर्चे के संकेत में रूप में भी देखा जा रहा है.

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प्रशांत ने सीधे तौर पर बिहार की राजनीति में एंट्री का ऐलान तो नहीं किया लेकिन ये संकेत तो जरूर दे दिया कि वह भविष्य में ऐसा जरूर कर सकते हैं. बिहार में इस साल नवंबर में चुनाव होने हैं. उससे पहले प्रशांत की ‘बात बिहार की’ कार्यक्रम के जरिए युवाओं को जोड़ने की मंशा को तीसरे मोर्चे की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है. प्रशांत ने कहा कि वह बिहार के युवाओं को राजनीति सिखाएंगे और उन्हें आगे करेंगे. उन्होंने कहा, ‘मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा लेकिन पंचायत स्तर से युवाओं को चुनकर उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा.’ उन्होंने दावा किया बिहार में उनके पास सवा लाख सक्रिय सदस्य हैं.

किशोर ने कहा कि वह युवाओं के अपने से जोड़ने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘ 20 फरवरी से बात बिहार की नाम से एक कार्यक्रम शुरू करने जा रहा हूं. राज्य के 8,800 पंचायतों में से लड़कों की एक टीम बनाने जा रहा हूं. अभी तक हमारे साथ 2 लाख 93 हजार लड़के जुड़ चुके हैं. हमसे जुड़े लोगों में बीजेपी के भी लोग शामिल हैं. 20 मार्च तक हम राज्य के 10 लाख लड़कों को शामिल करने की योजना है.’ उन्होंने कहा कि बिहार के गांव-गांव से लड़कों को जोड़कर आगे बढ़ाने की रणनीति है. हमारी योजना है कि राज्य में 10 हजार अच्छे मुखिया जीतकर आएं.’

प्रशांत किशोर की राह यहां आसान नहीं होगी क्योंकि उनको शायद नहीं मालूम की अमित शाह की अगुआई में बीजेपी का संगठन हर बूथ पर पन्ना प्रमुख साल भर पहले बना चुका है. बिहार में बीजेपी के 90 लाख तो सिर्फ प्राथमिक सदस्य हैं. अगर बूथ लेवल तक पहुंच को काउंट करें तो संख्या कहीं अधिक हो जाएगी. इसलिए जिस बुनियाद का सपना संजोकर पीके बिहार की राजनीति के महारथियों से लोहा लेने उतरे हैं, उसके बारे में खुद भी आश्वस्त नहीं हैं.

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प्रशांत किशोर ने सामाजिक और आर्थिक सूचकांक गिनाए. हर मोर्चे पर नीतीश कुमार को फेल बताया. उनका कहना था, “लड़कियों को फ्री साइकल मिल गई लेकिन शिक्षा बर्बाद हो गई, बिजली पहुंच गई लेकिन प्रति व्यक्ति आय नहीं बढ़ी. लालू के 15 साल के नाम पर राज करते रहे नीतीश लेकिन बेहतरी के लिए कुछ नहीं किया.” हालांकि प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए पीके क्या करेंगे ये बताना भूल गए. उनकी प्राथमिक शिक्षा नीति क्या होगी ये भी बताना भूल गए. कुल मिलाकर पीके वही काम कर रहे थे जिसे तेजस्वी यादव ठीक से नहीं कर पा रहे हैं.

मोटे तौर पर ये कहा जा सकता है कि पीके ने सरकार की विफलताएं तो खूब गिनाई लेकिन वो बिहार की जनता के लिए क्या करेंगे इसका कोई ठोस रोडमैप वो नहीं बता पाए. पीके भी कुछ वैसा ही कर रहे हैं जैसा की कई सालों से तेजस्वी यादव करते आ रहे हैं. फिलहार तो प्रशांत किशोर की बातों से तो यही समझ आता है कि वो पंचायत स्तर से शुरूआत करके बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर करने की सोच रहे हैं लेकिन यहां मुकाबला विश्व की सबसे बड़ी पार्टी से है तो पीके को खास रणनीति के साथ मैदान पर उतरलना पड़ेगा.

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