पढ़ेलिखे सुनील पूनियां 5 साल पहले गरीबी व तंगहाली से परेशान हो कर अपने सपनों को पंख लगाने के लिए गांव से अपना घरबार छोड़ कर जयपुर आए थे. उन की आंखों में बेहतर भविष्य के सपने थे और दिल में कड़ी मेहनत कर के फौज में भरती होने का संकल्प था, पर अब उम्मीद का दामन छूटता जा रहा है.
शरीर से हट्टेकट्टे सुनील पूनियां का कहना है, ‘‘साल 2019 में 12वीं जमात पास करने के बाद मु?ो महसूस हुआ कि अब मैं फौज में भरती के काबिल हूं और मेरे घर वालों को भी उम्मीद थी कि मैं उन के सपनों को पूरा करूंगा, इसलिए उन्होंने लाखों रुपए खर्च कर के मु?ो जयपुर जैसे महंगे शहर में भेजा और पढ़ाईलिखाई का पूरा खर्चा भी ?ोला. 3 साल हो गए फौज की तैयारी करते हुए, लेकिन ‘अग्निवीर’ ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.’’
अजमेर के रहने वाले सूरज कुमार मजदूर परिवार से आते हैं. उन्हें बचपन से सेना में नौकरी करने का जुनून था. उन्होंने साल 2018 में सेना में भरती की तैयारी शुरू की थी.
मार्च, 2021 में उन्होंने फिजिकल और मैडिकल टैस्ट भी क्वालिफाई कर लिया, लेकिन फिर सेना में भरती के लिए आगे का एग्जाम ही नहीं हुआ और 15 महीने का इंतजार बेकार चला गया.
सूरज कुमार की तरह गजेंद्र सिंह भी एक गरीब किसान परिवार से आते हैं और पिछले 3 साल से सेना की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने भी पिछले साल ही मैडिकल टैस्ट क्वालिफाई कर लिया था, लेकिन ‘अग्निपथ योजना’ आते ही उन की उम्मीदें टूट गई हैं.
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