भारतीय महिला ट्वैंटी20 क्रिकेट टीम की सदस्य नुजहत परवीन सिंगरौली जैसे एक छोटे शहर से आती हैं. बेहद सीमित संसाधनों और बड़े स्तर पर क्रिकेट का माहौल न होने के बाद भी वे लगातार आगे बढ़ी हैं. शुरुआती दिनों में वे क्रिकेट नहीं, बल्कि फुटबाल खेलती थीं, लेकिन एक दिन जब वे क्रिकेट के मैदान में पहुंचीं, तो कोच ने उन्हें विकेटकीपर के दस्ताने पहना दिए. क्रिकेट और उसके नियमों से एकदम अनजान नुजहत परवीन ने पहले मैच में ही अपने हुनर का शानदार प्रदर्शन किया. विकेट के पीछे तो वे कामयाब रहीं ही, विकेट के आगे बल्ले से भी उन्होंने धमाल मचाया. संभाग स्तर पर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से उन में आत्मविश्वास आ गया और फिर उन का वह सफर शुरू हो गया, जिस की कल्पना खुद उन्होंने भी कभी नहीं की होगी.

नुजहत परवीन अपने अंदाज में खेलती गईं और उनका हुनर उनकी कामयाबी की कहानी लिखता गया. आज खेल के दम पर ही वे भारतीय रेलवे के साथ जुड़ी हैं और उन के परिवार में भी खुशहाली का माहौल है.

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देशप्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान बनाने के बाद अब रीवा संभाग देश और प्रदेश के खेल नक्शे पर भी उसी अंदाज में दिखने लगा है खासकर क्रिकेट में हाल के सालों में रीवा ने बहुत ज्यादा तरक्की की है. अवधेश प्रताप सिंह स्टेडियम में क्रिकेट टर्फ विकेट बनने के बाद यहां खेल में बड़ा शानदार बदलाव आया है.

रीवा के तेज गेंदबाज ईश्वर पांडे भारतीय क्रिकेट टीम में चुने जाने वाले इस संभाग के पहले खिलाड़ी थे. अब सिंगरौली से निकली विकेटकीपर बल्लेबाज नुजहत परवीन नैशनल लैवल पर अपनी पहचान तेजी से बना रही हैं. उन्हें एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 7 मार्च से शुरू हुई ट्वैंटी20 महिला क्रिकेट सीरीज के लिए टीम में शामिल किया गया.

वे पहले भी देश की टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. हाल में हुए महिला आईपीएल की 3 टीमों में से एक टीम में वे भी शामिल थीं. उन की एक विस्फोटक बल्लेबाज के रूप में पहचान है. एक तरह से वे ट्वैंटी20 टीम की अब नियमित सदस्य बन गई हैं. उन के आतिशी अंदाज के चलते ही उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट का ‘धौनी’ कहा जाता है. राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने कई बेहतरीन पारियां खेली हैं.

सनद रहे कि नुजहत परवीन एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं. उन के परिवार में कोई क्रिकेट के बारे न अच्छी तरह जानता था और न ही इस खेल में कोई खास दिलचस्पी ही थी. नुजहत परवीन आज जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है, लेकिन उन को परखने, निखारने और आगे बढ़ने का जज्बा पैदा करने वाला और कोई है. रीवा संभाग के बीसीसीआई के ए लैवल के कोच एरिल एंथोनी ने ही उन के हुनर को परखा और फिर जीजान से उसे निखारने में जुट गए.

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एरिल एंथोनी की पारखी निगाहों ने पहली नजर में ही नुजहत परवीन के टैलेंट को पहचान लिया था. उन के आक्रामक अंदाज को बनाए रखने के लिए उन्होंने उन में शौट सलैक्शन की समझ, गेंद की चाल और दिशा को भांपने की कला पैदा की. उन का तकनीकी पक्ष मजबूत करने के लिए भी कोच ने उन्हें वे सारे गुर सिखाए जो एक बेहतर बल्लेबाज बनने के लिए जरूरी होते हैं.

नुजहत परवीन आज विकेट के पीछे भी उतनी ही चपल हैं जितनी विकेट के आगे मुस्तैद रहती हैं. उन के जुनून और कोच की मेहनत ने उन में एक विस्फोटक बल्लेबाज पैदा कर दिया है.

इस समय रीवा के कई क्रिकेटर मध्य प्रदेश रणजी टीम में अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं. रीवा के महज 24 साल के कुलदीप सेन इस समय मध्य प्रदेश के प्रमुख तेज गेंदबाज हैं. वे भी ईश्वर पांडे की ही तरह के तेज गेंदबाज हैं.

कुलदीप सेन के आंकड़ों की बात की जाए तो वे अब तक प्रथम श्रेणी, लिस्ट ए और ट्वैंटी20 के तकरीबन 32 मैचों में 55 से ज्यादा विकेट ले चुके हैं. उन के हुनर को भी खोजने, निखारने और संवारने का काम एरिल एंथोनी ने किया है. एरिल खुद भी कभी एमआरएफ पेस फाउंडेशन में आस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेनिस लिली की निगरानी में निखरे हैं. एरिल खतरनाक तेज गेंदबाज थे, पर किन्हीं वजह से वह बड़े फलक पर नही आ सके, लेकिन आज वे उसी जुनून के साथ रीवा संभाग के खिलाड़ियों की राष्ट्रीय स्तर की फौज तैयार करने में जुटे हैं.

यहां “डाल डाल” पर ठग बैठे हैं

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