बीते 5 मार्च की रात जयपुर शहर की सब से प्रमुख सड़क जवाहरलाल नेहरू मार्ग (जेएलएन मार्ग) पर कई तेंदुए चहलकदमी कर रहे थे. शहर के बीचो-बीच स्थित इस सड़क पर पूरी रात वाहनों का आनाजाना लगा रहता है. सड़क पर चहलकदमी करते तेंदुओं को देख कर उधर से गुजरने वाले वाहन चालकों की सांसें थम सी जाती थीं. फिर भी वे सावधानीपूर्वक बचते-बचाते निकलते रहे. तेंदुओं के इस सड़क पर घूमने का सिलसिला रात करीब 12 बजे से 6 मार्च की सुबह लगभग साढ़े 5 बजे तक चलता रहा. इस बीच तेंदुए कई बार सड़क पर आए. लोगों ने उन्हें इस तरह सड़क पर घूमते पहली बार देखा था, इसलिए पूरी रात बिजली की रोशनी से जगमग रहने वाली इस सड़क पर कुछ लोगों ने तेंदुओं के फोटोग्राफ भी खींचे.
गनीमत यह रही कि किसी तेंदुए ने न तो किसी वाहन चालक पर हमला किया और न ही कोई तेंदुआ किसी वाहन की चपेट में आया. ये तेंदुए रात को 6 घंटे तक करीब 2 किलोमीटर तक सड़क पर इधर से उधर घूमते रहे. सूचना मिलने पर पुलिस और वन विभाग के अधिकारी भी वहां पहुंचे और तेंदुओं पर नजर रखते रहे. सुबह करीब साढ़े 5 बजे सभी तेंदुए स्मृति वन में चले गए. 6 मार्च को दिन में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उन तेंदुओं की तलाश की, लेकिन उन का कुछ पता नहीं चला.
वन अधिकारियों का कहना था कि जयपुर में राजस्थान यूनिवर्सिटी कैंपस व स्मृति वन के आसपास तेंदुओं का देखा जाना आम बात है. लेकिन सड़क पर घूमते देखे गए तेंदुओं से डरने का एक कारण यह था कि इधर सरिस्का बाघ अभयारण्य में आदमखोर तेंदुए का आतंक फैला हुआ था.
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