Short Story, लेखक- राजीव रोहित
थोड़ी देर पहले तक बरसात अपने शबाब पर था. रात के आठ साढ़े आठ बजनेवाले थे. अब बारिश की रफ्तार थोड़ी धीमी हो रही थी.
वे दोनों बस स्टॉप की एक शेड के नीचे खड़े थे.बहुत देर से एक भी बस नहीं आयी थी. आम कहानी के नायक और नायिका की तरह…! लड़की का जिक्र पहले…तो लड़की बेहद खूबसूरत..
चेहरे पर परिपक्वता भी स्पष्ट नजर आ रही थी. बारिश की बूंदे उसके चेहरे को सुंदरता और गरिमा दोनों प्रदान कर रही थीं.
फिलहाल परिस्थिति के अनुसार चेहरे पर चिंता छायी हुई थी. जो उसकी उदासी को दर्शाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी.
सबसे खास बात यह कि वह गौर से बस स्टॉप पर खड़े एकमात्र सहयात्री पुरुष को देखे जा रही थी. सहयात्री पुरुष युवावस्था से थोड़ा बहुत आगे बढ़ चुका प्रतीत हो रहा था.
कपड़े उसने किसी युवा के समान ही चुस्त दुरुस्त पहन रखे थे.चेहरा एकदम साफ सुथरा. चिकना या चॉकलेटी कहें तो ज्यादा बेहतर होगा.बालों की शैली में दिलीप साहब, अमित जी और शाहरूख का बेमिसाल गठजोड़ दिखाई दे रहा था.गोरे चिट्टे भी थे.कुल मिलाकर उनके और उनके दोस्तों के हिसाब से उनके चेहरे में युवा तत्व अभी भी नजर आते थे.
लड़की वो भी अकेली…दुर्लभ संयोग था. उनके होंठो पर बरबस रफी साहब की मीठी आवाज में कभी ‘जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात’ गीत आ जा रहा था तो कभी किशोर दा का प्यारा सा मदहोश करनेवाला गीत ‘एक लड़की भीगी भागी सी’…उनकी आंखों से बरस पड़ने को तड़प रहा था.
उनका हृदय कभी या खुदा ये बरसात की रात कभी खत्म न हो.ताकि बन जाये एक नया खूबसूरत सा रिश्ता !
लड़की अब भी उन्हें गौर से देखे जा रही थी. उनका दिल बेचैन हो रहा था.
‘क्या वो बात करना चाहती है?
‘क्या वो उन पर फिदा हो गयी है?’
‘क्या सचमुच एक नया रिश्ता बन जायेगा आज की रात?’
‘दोस्त उसे यूं ही नहीं कहते कि भाई किस चक्की का आटा खाते हो?
‘उम्र का पता ही नहीं चलता.‘
‘भाभी बहुत किस्मतवाली है.‘
‘विवाह पश्चात प्रेम संबंध क्या उचित होगा?’
‘लोग क्या कहेंगे?’
”पत्नी का तो दिल ही टूट जाएगा.गुस्से में कहीं तलाक का नोटिस भेज देगी तो फिर क्या होगा?
‘पता नहीं, प्रत्येक महीने में कितना हरजाना भरना पड़ेगा?’
‘समाज की नजरों से गिरकर वो कैसे जियेंगे?
इतना सोचेंगे तो मिल चुका जीवन में आनंद!
जो होगा वो देखा जाएगा.
इश्क और जंग में सब जायज है.
इतिहास के पन्नों पर पहुँच गए.
दुनिया की जितनी मशहूर प्रेम कथाएँ हैं. उनमें किसी में भी मिलन-योग नहीं है.
तो क्या हुआ प्रेम-योग तो है.
फिल्मों में ऐसे ही नहीं दिखाते !पहली नजर में प्रेम…!
इस उधेड्बुन में फंसे थे कि उनके कानों में मिश्री की डली में घुली आवाज पड़ी.
“क्या दो मिनट आपसे बात कर सकती हूँ ? आखिर चीर-प्रतीक्षित कामना पूर्ण हुई.
“हाँ-हाँ कहिए न?”
“जी मेरे मोबाईल की बैटरी डाउन हो गई है.क्या आपका फोन इस्तेमाल कर सकती हूँ.
घर में जरा फोन करना था.“
“हाँ-हाँ, क्यों नहीं?घरवालों को चिंता तो हो ही रही होगी. बारिश का मौसम है. समय भी
ज्यादा होता जा रहा है.“ उन्होने फोन निकालकर उसे बड़े प्यार से दिया.
ऐसा करते समय उनका हाथ उसकी हथेलियों से छू गया. इतना मखमली स्पर्श…!
“थैंक्स.“ उसने फोन अपने हाथों में लिया.
“ जरा मेरा बैग पकड़िए न. अगर आप बुरा न मानें तो. उसमें रखी हुई डायरी में नंबर है. “
कहते हुये उसने .बैग से डायरी निकालनी है.
‘घर का नंबर तो सबको याद रहता है. इसका अर्थ है यह भी चाहती है कि बातचीत का सिलसिला आगे बढ़े.
उन्होने बैग बड़ी नजाकत से पकड़ा.
उसने अंदर से एक छोटी सी प्यारी सी डायरी निकाली.
“पापा ने नंबर कल ही बदला है. इसलिए याद नहीं है. “ उसने मुस्कुराकर कहा.
‘अरे वाह! आने दो. उसके पापा से दोस्ती कर लूँगा. फिर घर तक पहुंचाना आसान हो जाएगा.‘
“हैलो पापा, मैं यहाँ बस स्टॉप पर एक घंटे से खड़ी हूँ.आप जल्दी आ जाओ. मैं एक भाई साहब के फोन से कर रही हूँ.मैं लोकेशन भेजती हूँ.“
‘ भाई साहब कहा… भैया नहीं… अंकल नहीं…धन्यवाद शहजादी.‘ उन्होने संतोष की सांस ली.
“लीजिये. आपका बहुत-बहुत शुक्रिया.आप इधर ही जॉब करते हैं?”
“ जी हा. और आप?”
“ मैं तो गलत नंबर की बस पकड़ने के कारण इधर आकर फंस गई. “
“ अच्छा हुआ. “ उनके मुंह से निकाल पड़ा.
“ कुछ कहा आपने?”
“ जी नहीं.ये मेरा कार्ड है. रख लीजिये. कभी आपके काम आ सकूँ तो मुझे अच्छा लगेगा.“
“ मेरे पास कार्ड तो नहीं है. पर आपको नंबर देती हूं.नाम शालिनी लिखिएगा.
बड़े मनोयोग से उन्होने नाम और नंबर मोबाईल में फीड किया.
“ कहाँ काम करते हैं आप?”
“ कार्ड में है. सेंट्रल गवर्नमेंट के ऑडिट डिपार्टमेन्ट में सीनियर ऑफिसर हूँ. “
“ बहुत बढ़िया.मेरे पापा भी…!”
उसकी बात अधूरी रह गई.
एक मोटर साईकिल आकर वहाँ रुकी.
मोटरसाईकिल सवार का हेलमेट उठाना था कि उनके लिए मानों कयामत आ गई.
“ अरे शर्मा जी आप! अच्छा हुआ. मैं तो घबरा रहा था कि पता नहीं कैसा आदमी है?
बेटी, ये शर्मा जी हैं. हमारे डिपार्टमेन्ट में हैं. दूसरे सेक्शन में बैठते हैं. शर्मा जी, कभी आइये न हमारे घर पर.
बिटिया बहुत अच्छी चाय बनाती है.“वो बड़े उत्साह में बोले जा रहे थे.
“ जी अच्छा . उन्होने मरी हुई आवाज में कहा.
लड़की की आँखों में अब शोख़ी और शरारत दोनों झलक रही थीं.
वो मोटर साईकिल में पीछे बैठ गई.
“थैंक यू अंकल … बाय अंकल.“
मोटरसाईकिल आगे बढ़ गई.
‘क्या दो बार अंकल कहना जरूरी था?उनका दिल भर आया था.
बड़ा अफसोस हो रहा था. सारे अरमान धरे के धरे रह गए.
चल खुसरो घर आपने.
बरसात भी अब पूरी तरह थम चुकी थी.