Love Story : इंद्राणी की मुसकान पर मुसकराते हुए कपिल जब लालबत्ती पर रुका तो वह कुछ गुनगुना रहा था. उम्र 50 भी हो तो क्या हुआ, मर्द हमेशा खुद को जवान महसूस करता है. कुछ सप्ताह पहले ही उस की पदोन्नति भी हुई थी. सबकुछ रंगीन था.
‘‘सर,’’ सहसा एक मीठे स्वर ने उस का ध्यान आकर्षित किया.
कपिल ने देखा, बिंदास और एक स्मार्ट लड़की उसे देख रही है. उस की छवि और अदा में अच्छा आकर्षण था, अंदाजन वह 20-22 वर्ष की होगी.
‘‘सर, क्या आप मुझे लिफ्ट देंगे?’’ लड़की ने पूछा.
लड़की अच्छी लगी और फिर कपिल का मूड भी अच्छा था, क्योंकि चलते समय ही उस का मन खुश हो गया था. उस समय वह अच्छे मूड में था क्योंकि इंद्राणी की मुसकान ने उस की मुसकान को दोहरा कर दिया था.
मनपसंद नाश्ता हो और घर की मुरगी मादक मुसकान फेंक कर विदा करे तो हर मौसम रोमानी लगता है. 45 वर्ष की उम्र में भी इंद्राणी उर्फ नूमा खुद को इतना चुस्तदुरुस्त रखती कि कोई आसानी से
भी अंदाजा नहीं लगा सकता कि वह
2 जवान बच्चों की मां है. जब वह अपनी बेटी के साथ होती तो अकसर लोग दोनों को किसी सौंदर्य साबुन के विज्ञापन का मौडल कहते.
अत: उस ने पूछा, ‘‘कहां जाना है?’’
‘‘वैसे तो मैं साऊथ दिल्ली जा रही हूं,’’ लड़की ने अपनी मीठी मुसकान का लाभ उठाते हुए कहा, ‘‘आप मुझे रास्ते में कहीं भी उतार दीजिए.’’
‘‘बैठो,’’ कपिल हंसा, ‘‘पर मुझे ब्लैकमेल तो नहीं करोगी?’’
लड़की हंस पड़ी. उस की हंसी में मधुर खनखनाहट थी. उस ने ध्यान से कपिल को देखा, मानो उस के चरित्र का मूल्यांकन कर रही हो. फिर बैठने के लिए पीछे का दरवाजा खोलने लगी.
कपिल ने अपने पास का दरवाजा खोलते हुए कहा, ‘‘पीछे नहीं, यहां बैठो. लोग मुझे कहीं तुम्हारा ड्राइवर न समझ बैठें.’’
लड़की फिर हंस पड़ी और अगली सीट पर जल्दी से बैठ गई.
हरीबत्ती हो चुकी थी और पीछे वाले बेचैनी से हौर्न पर हौर्न बजा रहे थे. कपिल ने जल्दी से कार आगे बढ़ा दी.
कपिल के दिमाग में बहुत सारी बातें एकसाथ चल रही थीं. कुछ दिनों पहले ही समाचारपत्रों में यौन अपराध संबंधी कई समाचार आए थे. साउथ दिल्ली और रोहिणी में कई लड़कियां धंधा करते रंगेहाथों पकड़ी गई थीं. इन में से अधिकतर लड़कियां शिक्षित व अच्छे घरों की थीं. यही नहीं, एक तो 2-3 वर्ष पहले मिस इंडिया भी रह चुकी थी. कालेज की लड़कियों को फैशन या मादक द्रव्यों की आदत के कारण ऊपरी आमदनी के अतिरिक्त कमाई का आसान रास्ता और क्या हो सकता है?
जब से फिल्म ‘आस्था’ परदे पर आई है, तब से पता चला कि शादीशुदा औरतें भी मौका पा कर, अपना जीवन स्तर ऊंचा करने के लिए, देहव्यापार करने लगी हैं.
कपिल ने सोचा, तो क्या यह लड़की भी उन में से एक है? क्या यह उपलब्ध है? क्यों न जानने की कोशिश की जाए? शारीरिक रिश्तों में विविधता का अपना अलग ही आकर्षण होता है.
टोह लेने के लिए कपिल ने पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’
‘‘मारिया,’’ लड़की ने कहा.
‘‘अच्छा नाम है,’’ कपिल मुसकराया, ‘‘पढ़ती हो?’’
‘‘पढ़ती थी, पर अब कालेज छोड़ दिया,’’ मारिया ने नीचे देखते हुए कहा.
‘‘क्यों?’’ कपिल ने पूछा
‘‘पिता टीबी के मरीज हैं, नौकरी नहीं करते,’’ मारिया ने कहा, ‘‘और मां को दमा है. छोटा भाई स्कूल में पढ़ता है. सारे घर की जिम्मेदारी मुझ पर आ पड़ी है.’’
‘‘बड़े दुख की बात है,’’ कपिल ने देखा, मारिया बहुत उदास दिखाई दे रही है.
अचानक मारिया मुसकरा दी, ‘‘सर, दुनिया है, सब चलता है… दुखी होने से क्या होगा?’’
‘‘सो तो ठीक है,’’ कपिल ने पूछा, ‘‘पर फिर करती क्या हो?’’
‘‘बस, ऐसे ही,’’ मारिया ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा, ‘‘गुजारा कर लेती हूं…कुछ न कुछ काम मिल ही जाता है.’’
‘‘कैसा काम?’’ कपिल ने कुरेदा.
‘‘सर,’’ मारिया ने एक क्षण रुक कर कपिल को देखा और धीरे से कहा, ‘‘क्या आप 500 रुपए उधार देंगे?’’
कपिल का अनुमान सही था कि वह लड़की उपलब्ध है. उस के जीवन में यह पहला अनुभव है. शरीर में फुरफुरी दौड़ गई. जो केवल पढ़ा और सुना था, वास्तविक बन कर सामने आ गया था.
‘‘यह क्या तुम्हारी फीस है?’’ कपिल ने पूछा.
‘‘नहीं, हजार, 2 हजार रुपए भी मिल जाते हैं, पर आज बहुत जरूरत है. 500 रुपए से काम चला लूंगी…राशन नहीं लूंगी तो खाना नहीं बनेगा.’’
कपिल ने मारिया के शरीर पर नजर दौड़ाई. जो कुछ देखा, बहुत अच्छा लगा, फिर पूछा, ‘‘कोई ठिकाना है क्या?’’
‘‘है तो,’’ मारिया ने कहा, ‘‘साउथ दिल्ली में एक गैस्टहाउस है, पर किराए के अतिरिक्त वहां के प्रबंधकों को भी कुछ अलग से देना पड़ता है.’’
कपिल ने मन ही मन अनुमान लगाया कि ऐसे सौदे में क्रैडिट कार्ड से काम नहीं चलेगा. इस समय जेब में लगभग 1,200 रुपए हैं, क्या इतना काफी होगा?
इस से पहले कि कपिल आगे पूछता, उस के मोबाइल फोन की ‘पिप…पिप… पिप…’ ने चौंका दिया.
‘‘हैलो,’’ उस ने कहा.
‘‘हाय पप्पा,’’ बेटी मृदुला के स्वर में उत्साह था.
‘‘हाय, मेरी प्यारी गुडि़या,’’ कपिल ने मुसकरा कर पूछा, ‘‘कैसे याद आ गई? अभीअभी तो घर से निकला हूं. रुपए चाहिए तो मां से ले लो.’’
‘‘अरे, नहीं पप्पा,’’ मृदुला ने कहा, ‘‘आप को याद दिला रही थी, मम्मा का जन्मदिन आ रहा है, एक सुंदर सा कार्ड और एक बहुत बढि़या उपहार खरीदने चलना है. आज चलेंगे न?’’
कपिल ने मारिया की ओर देखा. वह चुपचाप बैठी थी. बेटी मृदुला भी इतनी ही बड़ी होगी. अचानक एक अपराधबोध की भावना ने जन्म लिया, क्या जो वह करने जा रहा है, उचित है?
‘‘पापा,’’ मृदुला ने बेसब्री से पूछा, ‘‘सुन रहे हैं?’’
‘‘सुन रहा हूं, गुडि़या रानी,’’ कपिल ने उत्तर दिया, ‘‘पर आज नहीं, कल चलेंगे.’’
‘‘ठीक है.’’ कपिल ने फोन बंद कर दिया.
कुछ देर तक कार चलती रही. दोनों चुप थे.
‘‘सर,’’ सहसा मारिया ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘आप ने क्या सोचा?’’
‘‘तुम्हारे गैस्टहाउस वाले मैनेजर को कितना रुपया देना होगा?’’ कपिल ने पूछा. मारिया से संबंध बनाने की
इच्छा ने फिर जोर मारा. सोचा, क्या उचित है और क्या अनुचित, बाद में देखा जाएगा.
मारिया ने कहा, ‘‘कुछ ज्यादा रुपया नहीं लगेगा.’’
‘‘फिर भी,’’ कपिल ने कहा, ‘‘वहां पहुंच कर मूर्ख नहीं बनना है, वैसे जगह सुरक्षित तो है न?’’
यह प्रश्न वह रोज सुनती थी और उत्तर उस ने तोते की तरह रट रखा था. इस से पहले कि वह उत्तर देती, कपिल का मोबाइल फोन फिर से रिंग हुआ.
‘‘हैलो,’’ कपिल ने आहिस्ता से कहा.
‘‘हाय,’’ पत्नी नूमा का परिचित स्वर सुनाई दिया.
‘‘हाय,’’ कपिल ने पूछा, ‘‘क्या कोई आदेश देना बाकी रह गया?’’
‘‘एक अच्छी खबर है,’’ नूमा ने पुलकित स्वर में कहा, ‘‘सोचा, तुम्हें दफ्तर पहुंचने से पहले ही सुना दूं.’’
‘‘तुम से अच्छी खबर की उम्मीद तो नहीं है,’’ कपिल ने मंद मुसकान से कहा, ‘‘मुझे बहुत डर लगता है.’’
‘‘हिश्श…’’ नूमा ने कहा, ‘‘बेशर्म कहीं के. बल्लू का फोन अभीअभी आया था.’’
‘‘बल्लू का?’’ कपिल के स्वर में हर्ष और आश्चर्य का मिश्रण था, ‘‘क्या कहा, उस ने?’’
‘बल्लू’ यानी बलराम, उन का पुत्र सेना में कप्तान था और जोधपुर के पास सीमा पर तैनात था.
‘‘बोला…’’ नूमा ने गद्गद कंठ से कहा, ‘‘इस बार मेरे जन्मदिन पर अवश्य आएगा. एक सप्ताह की छुट्टी मिल गई है.’’
‘‘वाह,’’ कपिल ने खुश हो कर कहा, ‘‘ठीक है, खूब जश्न मनाएंगे.’’
‘‘सुनो,’’ नूमा ने कहा.
‘‘हां, सुन रहा हूं, पर जल्दी कहो, ट्रैफिक बहुत है,’’ कपिल ने कहा.
‘‘तो ठीक है, जब घर आओगे, तभी कहूंगी.’’
‘‘अब कह भी दो,’’ कपिल ने कहा.
‘‘बल्लू के लिए जो लड़कियां हम ने चुनी हैं, उन के अभिभावकों से हम मिलने का समय ले लेते हैं.’’
‘‘ठीक है,’’ कपिल ने कहा, ‘‘तुम जो ठीक समझो, वही करो. अब फोन बंद करता हूं.’’
कपिल ने फोन बंद कर दिया और सोचा, इतना सुनहरा अवसर मिला है और सब बाधाएं खड़ी कर रहे हैं. खैर, दफ्तर भी फोन करना है कि आने में
देर होगी. इतना दुर्लभ अवसर चूकना नहीं चाहिए?
‘‘तो फिर किधर चलना है?’’ कपिल ने कहा, ‘‘मुझे खेद है. यह फोन बहुत तंग कर रहा है.’’
मारिया ने मादक मुसकान से कहा, ‘‘तो फिर फोन बंद कर दीजिए या बैटरी निकाल लीजिए.’’
‘‘बहुत समझदार और चतुर हो,’’ कपिल ने हंसते हुए कहा, ‘‘बस, एक फोन दफ्तर में करना है, ताकि बाकी समय चैन से गुजरे.’’
इस से पहले कि कपिल दफ्तर का नंबर लगाता, फोन बज उठा.
‘‘अब कौन है?’’ कपिल ने नाराजगी दिखाते हुए कहा, ‘‘हैलो.’’
‘‘सर,’’ उधर से आवाज आई, ‘‘मैं मनोहर बोल रहा हूं.’’
मनोहर महाप्रबंधक का निजी सचिव था. उस के स्वर में घबराहट थी.
‘‘हां, बोलो मनोहर, क्या बात है?’’ कपिल ने कहा, ‘‘जल्दी बोलो, मुझे
एक जरूरी काम है, आने में देर हो सकती है.’’
‘‘सर, आप तुरंत यहां आ जाइए,’’ मनोहर ने जरा ऊंचे स्वर में कहा, ‘‘मजदूरों ने साहब का घेराव कर रखा है और नारे लगा रहे हैं.’’
‘‘ओह,’’ कपिल ने क्रोध से कहा, ‘‘क्या सबकुछ आज ही होना है? ठीक है, मैं आ रहा हूं. तुम पुलिस को सूचना दे दो. शायद जरूरत पड़ जाए.’’
‘‘जी, सर,’’ मनोहर ने कहा, ‘‘पर आप जल्दी से जल्दी आइए.’’
कपिल ने खेदपूर्वक एक बार फिर मारिया को देखा और सोचा, क्या गजब की लड़की है, क्या फिर मुलाकात होगी?
‘‘मुझे खेद है,’’ कपिल ने सिर हिलाते हुए कहा, ‘‘आज का मुहूर्त शायद ठीक नहीं है. तुम्हें कहां छोड़ दूं?’’
मारिया के चेहरे से कुछ पढ़ पाना कठिन था, न तो मायूसी का भाव था और न ही खेद का. उस ने हौले से कहा, ‘‘यहीं उतार दीजिए.’’
कपिल ने कार सड़क के किनारे ला कर रोक दी तो मारिया ने दरवाजा खोला और बाहर निकल गई.
‘‘एक मिनट रुको,’’ कपिल ने जेब से पर्स निकालते हुए कहा, ‘‘लो, कुछ रुपए रख लो.’’
सौसौ के नोट थे, जिन्हें न तो कपिल ने गिना और न ही मारिया ने.
मारिया ने नोट हाथ में लेते हुए कहा, ‘‘धन्यवाद, आप बहुत अच्छे हैं.’’
‘‘अब कहां मिलोगी?’’ कपिल ने पूछा.
‘‘ऐसे ही किसी चौराहे पर,’’ मारिया ने दोनों हाथ हवा में फैला दिए.
‘‘फिर भी, कोई टैलीफोन या मोबाइल नंबर तो होगा?’’ कपिल ने पूछा.
‘‘नहीं,’’ मारिया ने सिर हिलाते हुए कहा, ‘‘मेरा कोई फोन नंबर नहीं है.’’
‘‘ओह,’’ कपिल ने खेद से कहा.
‘‘हां, आप अपना नंबर दे दीजिए,’’ मारिया ने शरारतभरी मुसकान से कहा, ‘‘कभीकभी फोन करती रहूंगी.’’
कपिल की आंखों में चमक आ गई. सोचा, घर का नंबर देना तो ठीक नहीं होगा, मोबाइल नंबर…नहीं, यह भी ठीक नहीं है. कहीं ब्लैकमेल ही करने लगे तो? अपनी सुरक्षा की उतनी ही चिंता थी जितनी कि मारिया की संगति का आकर्षण.
‘‘सुनो, क्या कल इसी समय इसी जगह मिल सकती हो?’’
‘‘सर, कल की कौन जानता है,’’ मारिया ने खनखनाती हंसी से कहा, ‘‘कल इस राह से आप गुजरें और मुझे पहचानें तक नहीं?’’
‘‘तो फिर कहां?’’ कपिल हंसा, ‘‘बहुत शरारती हो.’’
‘‘कोशिश कर लीजिएगा,’’ मारिया ने कहा और भीड़ में गायब हो गई.
अगले 2-3 दिनों तक कपिल उसी जगह उसी समय बेकरारी से मारिया को ढूंढ़ता रहा. अचानक अच्छाखासा पारिवारिक आदमी नए यौनाकर्षण का शिकार हो गया. दिमाग पर धुंध सी छा गई थी.
चौथे दिन कुछ देर प्रतीक्षा के बाद…
‘‘सर, अच्छे तो हैं?’’ एक नई खुशबू का झोंका आया.
‘‘हाय,’’ कपिल ने कहा.
‘‘हाय,’’ मारिया ने मुसकरा कर कहा और बिना निमंत्रण के कार का दरवाजा खोल कर कपिल के पास बैठ गई.
‘‘तुम्हारी मां अब कैसी है?’’ कपिल ने पूछा.
‘‘छोडि़ए सर,’’ मारिया ने हाथ घुमाते हुए कहा, ‘‘आप तो सब समझते हैं. अपनी बताइए, क्या इरादा है?’’
‘‘तुम्हारा गुलाम हूं,’’ कपिल ने रोमानी अंदाज में कहा, ‘‘जहां चाहो, ले चलो.’’
‘‘आप को कोई डर तो नहीं है?’’ मारिया ने पूछा.
‘‘डर तो है, पर तुम्हारे ऊपर विश्वास करने के अलावा कोई चारा भी तो नहीं है.’’
‘‘आप बहुत समझदार हैं,’’ मारिया ने कहा और गैस्टहाउस का रास्ता बताया.
जब कार गैस्टहाउस के आगे रुकी तो कपिल का मन गुदगुदा रहा था, पर दिल पहली बेवफाई के एहसास से कुछ अधिक गति से धड़क रहा था.
अंदर पहुंच कर मारिया ने एक आदमी से कुछ बातें कीं और फिर कपिल को एक कमरे में ले गई. ऐशोआराम का सारा सामान कमरे में मौजूद था. कपिल को सोफे पर बैठने का संकेत करते हुए मारिया ने फ्रिज का दरवाजा खोला और पूछा, ‘‘बीयर चलेगी?’’
कपिल ने स्वीकृति में सिर हिलाया.
मारिया ने 2 गिलासों में बीयर डाली.
‘‘चीयर्स,’’ मारिया ने कहा.
‘‘चीयर्स,’’ कपिल मुसकराया.
तभी उसी आदमी ने, जो बाहर था, भीतर प्रवेश किया. कपिल ने प्रश्नसूचक दृष्टि से उसे देखा.
‘‘अपना पहचानपत्र दिखाइए,’’ उस ने आदेश दिया.
‘‘पहचानपत्र?’’ कपिल ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘क्यों?’’
‘‘हमें यह देखना है कि आप पुलिस के आदमी तो नहीं हैं?’’ उस ने उत्तर दिया.
‘‘पर मारिया जानती है,’’ कपिल ने बौखला कर कहा, ‘‘मैं पुलिस का आदमी नहीं हूं.’’
‘‘आप को पहचानपत्र दिखाना होगा,’’ उस ने जोर दे कर कहा.
‘‘मेरे पास कोई पहचानपत्र नहीं है.’’
‘‘कोई और सुबूत होगा?’’
‘‘नहीं, मेरे पास कुछ नहीं है,’’ कपिल ने झूठ कहा.
तभी एक दूसरे आदमी ने भीतर प्रवेश किया. उस के हाथ में कैमरा था.
‘‘इन का फोटो ले लो,’’ पहले आदमी ने कहा.
‘‘मैं फोटो नहीं खिंचवाऊंगा,’’ कपिल ने घबरा कर कहा, ‘‘आप का मतलब क्या है?’’
‘‘20 हजार रुपए चाहिए,’’ उस ने कहा.
‘‘मेरे पास रुपए नहीं हैं,’’ कपिल ने कहा.
‘‘कोईर् बात नहीं,’’ उस आदमी ने शांति से कहा, ‘‘कपड़े उतार लेते हैं. मारिया, चलो अपना काम करो.’’
कपिल ने घबरा कर कहा, ‘‘ठहरो, मैं रुपए देता हूं, पर इतने नहीं हैं.’’
‘‘कितने हैं?’’
‘‘मेरे ब्रीफकेस में हैं, और ब्रीफकेस कार में है.’’
‘‘अपना पर्स और घड़ी दो,’’ उस आदमी ने कहा.
कपिल ने चुपचाप पर्स में से रुपए निकाल कर दे दिए. फिर घड़ी
उतार दी. उस की सांस तेजी से चल रही थी.
‘‘साहब के साथ जाओ,’’ उस आदमी ने मारिया से कहा, ‘‘और ब्रीफकेस ले कर आओ. होशियारी मत करना. मुन्ना साथ जा रहा है. हमें रुपए वसूल करना आता है.’’
कपिल ने गहरी सांस ले कर उन्हें देखा और फिर चुपचाप बाहर आ गया. उस के पीछे मारिया और मुन्ना भी थे.
कार के पास पहुंच कर कपिल ने चाबी से दरवाजा खोला और अंदर बैठ गया. पीछे की सीट पर रखे ब्रीफकेस की ओर देखा. इस से पहले कि वे कुछ करते, उस ने कार स्टार्ट कर दी. मुन्ना ने कार रोकने के लिए आगे पैर बढ़ा दिया, पर कपिल ने फौरन गति बढ़ा दी. चलती कार ने मुन्ना को पीछे फेंक दिया. कुछ ही क्षणों में वह आंखों से ओझल हो गया.
काफी दूर पहुंच कर कपिल ने गहरी सांस ली कि क्षणिक कमजोरी कितनी यातना देती है. अब मैं कभी इस चक्कर में नहीं पड़ूंगा.
शाम को जब वह घर पहुंचा तो ऐसा लग रहा था, मानो कोई कैदी जेल से भाग कर आया हो. कभी भी पुलिस द्वार पर दस्तक दे सकती है.
रात में जब घंटी बजी तो कपिल का दिल दहल गया.
‘‘इतनी रात गए कौन होगा?’’ इंद्राणी ने कहा.
‘‘देखता हूं,’’ कपिल ने उठते हुए कहा. दिल तेजी से धड़क रहा था. घबराते हुए दरवाजा खोला तो देखा, सामने बेटा बल्लू खड़ा है.
‘‘अरे,’’ कपिल ने उसे छाती से लगा लिया.
‘‘ऐसे ही आता है,’’ मां ने गदगद कंठ से कहा, ‘‘मुझे लग रहा था कि बल्लू ही होगा.’’
सुबह नाश्ते की मेज पर कहकहे लग रहे थे. अचानक कपिल की निगाह समाचारपत्र पर गई. पहले पृष्ठ पर ही समाचार छपा था कि साउथ दिल्ली के एक गैस्टहाउस में ब्लैकमेल करने व लूटने वाले एक गिरोह को गिरफ्तार किया गया. गिरोह में एक लड़की भी शरीक थी.
‘‘कोई खास बात है क्या?’’ पत्नी ने पूछा.
‘‘कुछ नहीं,’’ कपिल ने समाचारपत्र नीचे फेंकते हुए कहा, ‘‘वही आम बातें…’’