Short Story : माही बेहाल पड़ी थी, रहरह कर शरीर में दर्द उभर रहा था. पूरे शरीर पर मारपीट के निशान पड़ चुके थे. मारते वक्त कभी सोचता भी तो नहीं था निहाल सिंह.
माही का पति निहाल सिंह कभी उसे बालों से पकड़ कर खींचता, तो कभी मारने के लिए छड़ी उठा लेता. शराब पीने के बाद तो वह बिलकुल जानवर बन जाता था. फिर तो उसे यह भी ध्यान नहीं रहता था कि उस के बच्चे अब बड़े हो चुके हैं. जब कभी उस की बेटी रूबी मां माही को बचाने के लिए आगे आती, तो वह भी पिट जाती.
2 दिन पहले जब वह शराब पी कर घर में सब को गालियां देने लगा था, तो माही ने उसे समझाते हुए कहा था, ‘‘बस करो, अब खाना खा लो. सुबह काम पर भी जाना है.‘‘
माही के इतना बोलने पर वह चीखते हुए बोला, ‘‘अब तुम रोकोगी मुझे. अभी बताता हूं तुझे,’’ फिर तो उस का हाथ ना थमा. आखिर रूबी दोनों के बीच में आ गई और उस का हाथ पकड़ कर झटकते हुए बोली, ‘‘पापा अब बस भी कीजिए, गलती तो आप की है, मम्मी को क्यों मार रहे हो?‘‘
‘‘कितनी बार कहा है कि तू बीच में ना बोला कर. जा यहां से,‘‘ रूबी को पीछे धकेलता हुआ वह बोला, ‘‘जाओ निकलो मेरे घर से.‘‘
यह सुन कर माही घबरा गई. इस से पहले भी तो वह कई बार उसे घर से निकाल चुका था. लड़खड़ाता हुआ वह बेड पर गिरा और सो गया.
रूबी ने मां को उठाया और दूसरे कमरे में ले गई. उस के जख्मों को साफ कर दवा लगाई और बोली, ‘‘मम्मी, अब बहुत हो गया, पापा नहीं सुधरेंगे. यह रोजरोज के झगडे जीने नहीं देंगे हमें.‘‘
माही दर्द से कराहते हुए बोली, ‘‘हां रूबी, मैं भी अब थक चुकी हूं. मुझे समझ में आ चुका है. अब मैं इन्हें कभी माफ नहीं करूंगी. बेशक रोए या गिड़गिड़ाए, मैं इन की बातों में नहीं आऊंगी.‘‘
अपने सिर पर लगी चोट को सहलाते हुए माही दृढ़ निश्चय के साथ बोली, ‘‘तुम बुलाओ पुलिस को, अब मैं दूंगी बयान इन के खिलाफ.‘‘
रूबी ने झट से पुलिस का नंबर डायल किया और सारी घटना बता दी.
माही और निहाल सिंह की लव मैरिज हुई थी. घर वालों के खिलाफ जा कर माही ने निहाल सिंह का हाथ थामा था. दोनों भारत से यूरोप आ कर बस गए थे. माही ने जब काम करना चाहा, तो उस ने कहा, ‘‘तुम मेरे घर की रानी हो, तुम घर संभालो, मैं बाहर संभालता हूं.‘‘
कुछ समय तो बहुत अच्छा बीता, मगर धीरेधीरे माही को महसूस होने लगा कि निहाल सिंह का स्वभाव दिन ब दिन बदलता जा रहा है. काम से आते ही वह शराब पीने लग जाता. तब तक बच्चे भी हो चुके थे. उस ने खुद को बच्चों में व्यस्त कर लिया था.
जब कभी माही उसे बाहर जाने को कहती, वह मना कर देता. निहाल सिंह अब छोटीछोटी बातों में भी माही पर शक करने लगा था. जब कभी काम का लोड बढ़ जाता, वह झल्ला कर कहता, ‘‘मुझ से नहीं होता इतना काम, मैं नहीं उठा सकता इतना बोझ.‘‘
अगर माही नौकरी करने को कहती, तो वह उसे पीटने लगता. शराब पी कर मारपीट तो उस के लिए रोज की बात हो गई थी. बच्चे डरते मां के पीछे छिप जाते थे. वह अब थोड़े बड़े भी हो गए थे. उन का स्कूल में दाखिला करवाना जरूरी हो गया था. खर्चा बढ़ गया था तो माही ने निहाल सिंह को किसी तरह नौकरी के लिए मना लिया. वह घर का सारा काम निबटा कर ही नौकरी पर जाती और वापस आते ही बच्चों और घर को देखती.
माही ने कभी किसी से अपने साथ हुई मारपीट का जिक्र नहीं किया था. हां, कभीकभी उस के घर से आती मारपीट और चीखने की आवाजों से परेशान हो कर पड़ोसी ही पुलिस में रिपोर्ट कर देते. पुलिस आती तो वह झूठ बोल कर उसे बचा लेती. ऐसे ही समय निकल रहा था.
निहाल सिंह का मन करता उसे प्यार करता, नहीं तो आधी रात को उसे मारपीट कर कमरे से बाहर निकाल देता. वह अपनी तकदीर को कोसती बच्चों के पास आ कर सो जाती.
इतना सबकुछ होने के बावजूद भी वह निहाल सिंह का पूरा ध्यान रखती. हर काम वह समय से करती. सुबह उठते ही सब से पहले उस का टिफिन तैयार करती. किसी तरह उस ने निहाल सिंह को मना कर बच्चों को साथ वाले बड़े शहरों में पढ़ने के लिए भेज दिया था, ताकि वह दोनों पढ़लिख कर अच्छी नौकरियों पर लग सकें. असल बात तो यह थी कि माही उन दोनों पर पिता की गलत हरकतों का असर नहीं पड़ने देना चाहती थी.
1-2 बार ऐसे ही किसी बात पर गुस्सा हो कर निहाल सिंह ने माही को आधी रात में घर से बाहर निकाल दिया था. माही की मौसी का बेटा इसी शहर में रहता था. वह उसे फोन करती और वह उसे ले कर अपने घर चला जाता. फिर उस ने माही को समझाया कि ऐसे तो यह कभी नहीं सुधरेगा. तुम कब तक इस की मारपीट बरदाश्त करोगी? मौसी के बेटे ने खुद ही पुलिस में उस की रिपोर्ट लिखवा दी.
जब पुलिस निहाल सिंह को घर से उठा कर ले गई, तब माही डर गई और उस ने भाई को रिपोर्ट वापस लेने के लिए मना लिया. जब ऐसा 2-3 बार हुआ, तो वह भी पीछे हट गया.
माही इसे अपनी किस्मत समझ कर समझौता कर रही थी. उसे पता था कि निहाल सिंह क्रोधी है, पर उस के बच्चों का पिता है. वह भले ही अब उसे पहले जैसा प्यार नहीं करता, मगर वह उस के लिए तो आज भी वही उस का प्यार है.
तभी एक दिन निहाल सिंह काम से आते वक्त अपने साथ एक जवान औरत को घर ले आया. माही ने उसे देखते ही निहाल सिंह से उस के बारे में पूछा कि यह कौन है तो उस ने बताया, ‘‘यह प्रीति है. इस का पति मेरे साथ काम करता था. ज्यादा शराब पीने से वह मर गया. मैं इस की मदद कर रहा हूं, क्योंकि उस के बीमे और पैंशन के बारे में इसे कुछ नहीं पता.‘‘
माही भोली थी. वह बोली, ‘‘अच्छा है, आप इन की मदद कर रहे हो वरना कौन बेगाने देश में किसी की मदद करता है.‘‘
अब तो जब भी प्रीति का फोन आता, निहाल सिंह भागाभागा उस के पास पहुंच जाता.
एक दिन माही काम से वापस आई, तो घर का दरवाजा खोलते ही बेडरूम से किसी के हंसने की आवाज आई. अंदर अंधेरा था. बिजली का स्विच औन करते ही माही की आंखें खुली की खुली रह गईं.
जब माही ने उन दोनों को बेड पर आपत्तिजनक हालत में देखा. शर्मिंदा होने के बजाय दोनों हंसने लगे. इस के बाद तो उस के सामने ही सबकुछ चलने लगा.
यह देख माही का दिल टूट चुका था. इतना सब होने के बावजूद भी उस ने कभी नहीं सोचा था कि वह उसे इस तरह धोखा देगा. जब एक दिन उस को पास बिठा कर वह बोला, ‘‘तू हां करे, तो मैं इसे भी साथ रख लूं.
माही को तो काटो खून नहीं. उस ने पक्का मन बना लिया कि अब वह उस के साथ नहीं रहेगी.
बच्चे पढ़लिख कर अब अच्छी नौकरियों पर लग चुके थे. सिर्फ छुट्टियों में ही वे घर आते थे. वे मां को अपने साथ चलने को कहते, मगर वह जानती थी कि निहाल सिंह बीमारी का शिकार है. उस के खानेपीने का ध्यान उस ने ही रखना है, इसलिए वह सबकुछ बरदाश्त कर के भी उसी के साथ रह रही थी.
आजकल छुट्टियों में बेटी रूबी घर आई हुई थी. कल की हुई मारपीट के बाद माही ने रूबी को निहाल सिंह और प्रीति के संबंधों के बारे में भी बता दिया.
रूबी को अपने पिता पर बहुत गुस्सा आ रहा था. उस ने अपने पिता के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी थी. थोड़ी ही देर में पुलिस आ गई. रूबी और माही ने बयान दे दिया. माही की चोटें उस के साथ हुए अत्याचारों की साफ गवाही दे रही थीं.
माही ने यह भी बताया कि जब वह पेट से थी, तो निहाल सिंह ने उसे बहुत बार पीटा था.
रिपोर्ट को मजबूत बनाने के लिए पुलिस वालों ने माही की चोटों के फोटो भी खींच कर साथ लगा दिए. पुलिस निहाल सिंह को साथ ले गई. वहां उसे 2 दिन हिरासत में रखा, फिर वार्निंग दे कर छोड़ दिया गया कि वह माही के आसपास भी नहीं फटकेगा. अगर उस ने माही को तंग किया तो उस पर कार्यवाही की जाएगी और 2 साल की जेल भी हो सकती है. उसे एक अलग घर में रहने के लिए कहा गया.
निहाल सिंह फोन कर के बारबार माही से माफी मांगने लगा. उसे पता था कि माही का दिल पिघल जाता है. वह उसे अब भी प्यार करती है, मगर रूबी ने मां को साफसाफ कह दिया, ‘‘मम्मी इस बार अगर तुम ने पापा को माफ किया, तो मैं कभी आप से बात नहीं करूंगी.”
माही ने निहाल सिंह का अब फोन उठाना बंद कर दिया.
रूबी पिता को फोन पर धमकी देते हुए बोली, ‘‘आज के बाद अगर आप ने मम्मी को फोन किया, तो पुलिस आप को 2 साल के लिए जेल में डाल देगी. मम्मी अब अकेली नहीं हैं. आज तक जो आप ने उन के साथ किया, उस के लिए हम तीनों आप से कोई रिश्ता नहीं रखेंगे. आज तक जो बेइज्जती मम्मी की हुई है, उस की सजा तो आप को भुगतनी पड़ेगी. मम्मी को उस के बच्चे इंसाफ दिलवाएंगे.‘‘
पहले निहाल सिंह गिड़गिड़ाया, फिर बेशर्मी से बोला, ‘‘मैं भी तुम लोगों से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता. आज तक मैं ने तुम दोनों की पढ़ाई पर जो भी खर्चा किया है, वह मुझे वापस चाहिए.‘‘
यह सुनते ही रूबी की आंखों में आंसू आ गए, उस का पिता इतना गिर सकता है, उस ने कभी नहीं सोचा था, मगर फिर भी वह हिम्मत कर अपने आंसुओं को साफ करते हुए बोली, ‘‘पापा कोई बात नहीं, हमारी नौकरी लग चुकी है, हम दोनों हर महीने आप को खर्चा भेज दिया करेंगे, पर अब मम्मी की और बेइज्जती बरदाश्त नहीं करेंगे,‘‘ कहते हुए रूबी ने फोन रख दिया और मां माही को अपने गले से लगा लिया.